Bangladesh Violence : बांग्लादेशी गुट जो पाकिस्तान का है साथी, जानिए क्या है ‘जमात ए इस्लामी’?

जमात-ए-इस्लामी बांग्लादेश एक कट्टरपंथी पार्टी है, जिस पर हाल ही में शेख हसीना की सरकार ने प्रतिबंध लगा दिया था। शेख हसीना के सत्ता से हटने के बाद, बांग्लादेश की नई सरकार में जमात-ए-इस्लामी की महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है।

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Bangladesh Violence : बांग्लादेश में कट्टरपंथी पार्टी जमात-ए-इस्लामी ने आखिरकार अपने उद्देश्यों में सफलता प्राप्त कर ली है। जमात-ए-इस्लामी और इसकी छात्र विंग इस्लामी छात्र शिबिर ने विरोध प्रदर्शनों को हिंसा में बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इन हिंसक विरोध प्रदर्शनों के कारण प्रधानमंत्री शेख हसीना को सत्ता छोड़नी पड़ी। यह स्थिति कि शेख हसीना को देश छोड़कर भागना पड़ेगा, शायद ही किसी ने कल्पना की थी। शेख हसीना बांग्लादेश की बिगड़ी हालत को लेकर असंतुष्ट थीं, लेकिन पारिवारिक दबाव के कारण उन्हें यह निर्णय लेना पड़ा। बांग्लादेश की मौजूदा स्थिति के लिए जमात-ए-इस्लामी पार्टी काफी हद तक जिम्मेदार है। आइए जानते हैं जमात-ए-इस्लामी पार्टी का इतिहास और विचारधारा।

क्या है ‘जमात-ए-इस्लामी’

जमात-ए-इस्लामी बांग्लादेश की एक कट्टरपंथी पार्टी है, जो कभी नहीं चाहती थी कि बांग्लादेश पाकिस्तान(Bangladesh Violence) से स्वतंत्र हो। बांग्लादेश की पहली मुजीबुर्रहमान सरकार के दौरान जमात-ए-इस्लामी पर प्रतिबंध लगना शुरू हो गया था। पार्टी पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया की समर्थक रही है, इसलिए यह संभावना जताई जा रही है कि बांग्लादेश की नई सरकार में जमात-ए-इस्लामी भी शामिल हो सकती है। जमात-ए-इस्लामी की जड़ें भारत से जुड़ी हुई हैं, और इसकी स्थापना 1941 में ब्रिटिश शासन के दौरान अविभाजित भारत में की गई थी। जमात-ए-इस्लामी की देश विरोधी गतिविधियों को देखते हुए बांग्लादेश के चुनाव आयोग ने इसका पंजीकरण रद्द कर दिया था। इसके बाद से ही जमात-ए-इस्लामी ने शेख हसीना की सरकार का विरोध शुरू कर दिया था।

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जमात ए इस्लामी है पाकिस्तानी समर्थक

शेख हसीना की सरकार ने हाल ही में आतंकवाद रोधी कानून के तहत जमात-ए-इस्लामी और इसकी छात्र विंग इस्लामी छात्र शिबिर पर प्रतिबंध लगा दिया था। इस प्रतिबंध के कारण छात्रों का प्रदर्शन अधिक हिंसक हो गया और हालात इस कदर बिगड़ गए कि शेख हसीना को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा। जमात-ए-इस्लामी ने शुरुआत से ही पाकिस्तान से बांग्लादेश के स्वतंत्र होने का विरोध किया है और 1971 के मुक्ति संग्राम के दौरान पाकिस्तानी सैनिकों का समर्थन किया था। बांग्लादेश सरकार ने जमात-ए-इस्लामी की 1971 में भूमिका को पार्टी पर प्रतिबंध लगाने के चार कारणों में से एक बताया था। इसके बाद, बांग्लादेश में आरक्षण के मुद्दे पर शुरू हुए आंदोलन भी हिंसक हो गए थे।
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