डॉ. नवल कुमार वर्मा (Dr Naval Kumar Verma MD (Hom) Hon PhD (Doctor of Science)) का जीवन कठिन संघर्ष, निस्वार्थ सेवा और करुणा से परिपूर्ण एक प्रेरणादायक कहानी है। विभाजन के बाद शरणार्थी बने माता-पिता के बेटे के रूप में जन्मे डॉ. वर्मा ने विपरीत परिस्थितियों का सामना करते हुए एक अद्वितीय मुकाम हासिल किया। उनके माता-पिता के साहस और आत्मविश्वास ने उनके जीवन को गहराई से प्रभावित किया और उन्हें मानवता की सेवा का मार्ग दिखाया। आज, डॉ. वर्मा एक विश्वविख्यात होम्योपैथिक चिकित्सक, सामाजिक सुधारक और समग्र स्वास्थ्य देखभाल के क्षेत्र में अग्रणी के रूप में जाने जाते हैं।
कोविड-19 महामारी के दौरान असाधारण योगदान
कोविड-19 महामारी के दौरान जब पूरा देश संकट में था, डॉ. नवल कुमार वर्मा (Dr. Nawal Kumar Verma) ने होम्योपैथिक विज्ञान का उपयोग कर लाखों लोगों को राहत पहुंचाई। उन्होंने “Covid-19 Nosode” नामक एक नवीन दवा की खोज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसने रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने और कोविड संक्रमण के प्रभाव को कम करने में कारगर सिद्ध हुई। डॉ. वर्मा की इस खोज ने न केवल वैज्ञानिक समुदाय का ध्यान आकर्षित किया बल्कि लाखों भारतीयों की जान बचाने में मदद की।
अलीगढ़ जिला प्रशासन सहित देश के कई राज्यों ने उनके प्रयासों की सराहना की और उनकी दवा को कोविड के प्रबंधन में शामिल किया। उनके नेतृत्व में आयोजित नि:शुल्क कोविड स्वास्थ्य शिविरों ने गरीब और कमजोर वर्गों तक राहत पहुंचाई। लाखों कोविड मरीजों और उनके परिवारों को न केवल चिकित्सा सहायता मिली बल्कि मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी उन्होंने व्यापक सहायता प्रदान की। डॉ. वर्मा की इस अनोखी उपलब्धि ने उन्हें कोविड योद्धा के रूप में पहचान दिलाई और उन्होंने यह साबित किया कि आयुष चिकित्सा और होम्योपैथी आधुनिक संकटों के समाधान में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।
होम्योपैथी और कैंसर पॉलिएटिव मेडिसिन में शोध का नेतृत्व
डॉ. वर्मा (Dr. Nawal Kumar Verma) वर्तमान में AIIMS दिल्ली और आयुष मंत्रालय के Central Council for Research in Homeopathy (CCRH) के साथ मिलकर कैंसर पॉलिएटिव मेडिसिन पर शोध कर रहे हैं। उनका यह शोध गंभीर कैंसर रोगियों के लिए बेहतर जीवन गुणवत्ता सुनिश्चित करने और उपचार के दुष्प्रभावों को कम करने पर केंद्रित है। यह शोध होम्योपैथी और आधुनिक चिकित्सा के संयोजन से एक समग्र मॉडल तैयार कर रहा है, जो मरीजों को राहत और आशा प्रदान करता है। उनका दृष्टिकोण इम्यूनिटी बूस्ट, मानसिक स्वास्थ्य और संपूर्ण देखभाल पर आधारित है, जिससे मरीजों को प्रभावी उपचार मिल सके।
प्रोस्टेट हेल्थकेयर में अग्रणी योगदान
डॉ. वर्मा (Dr. Nawal Kumar Verma) प्रोस्टेट स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक विश्व-प्रसिद्ध विशेषज्ञ हैं। उनकी पुस्तक “Reversing Prostate Problems in a Natural Way” दुनिया भर में सराही गई है और इसमें प्रोस्टेट समस्याओं को प्राकृतिक तरीके से प्रबंधित करने की वैज्ञानिक जानकारी दी गई है। उनके शोध ने दिखाया है कि सही आहार, होम्योपैथिक उपचार और जीवनशैली में बदलाव से प्रोस्टेट ग्रंथि के विकारों को नियंत्रित और उलटा जा सकता है। डॉ. वर्मा के दिशानिर्देश लाखों पुरुषों के लिए एक नई उम्मीद बन गए हैं, खासकर उन देशों में जहां प्रोस्टेट स्वास्थ्य समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं।
Non-Communicable Diseases को उलटने में योगदान
डॉ. वर्मा ने मधुमेह, हृदय रोग, मोटापा और कैंसर जैसी असंचारी रोगों (NCDs) के रोकथाम और उलटने के लिए एक समग्र दृष्टिकोण विकसित किया है। उनके द्वारा सुझाए गए स्वदेशी आहार, विशेष रूप से बाजरा, सर्केडियन रिदम-आधारित समयानुसार भोजन और मेटाबॉलिज्म आधारित भोजन ने हजारों मरीजों को इन रोगों से राहत दी है। डॉ. वर्मा का दृष्टिकोण प्राकृतिक जीवनशैली और आयुष उपचार के माध्यम से बीमारी के मूल कारणों का समाधान करने पर केंद्रित है।
Purple Festival, गोवा में विकलांग एथलीट्स के लिए सराहनीय योगदान
डॉ. वर्मा ने पिछले साल गोवा में आयोजित Purple Festival में विशेष योगदान दिया, जिसमें उन्होंने विकलांग एथलीट्स को स्वास्थ्य देखभाल और चोटों के उपचार में सहायता प्रदान की। उन्होंने इन एथलीट्स की प्रदर्शन क्षमता में सुधार लाने और चोटों से तेज़ रिकवरी के लिए विशेष होम्योपैथिक प्रोटोकॉल और आयुष आधारित उपचार विकसित किए। उनका यह प्रयास समावेशी खेल को बढ़ावा देने और विकलांग खिलाड़ियों को वैश्विक स्तर पर उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए प्रेरित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ।
आयुष के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका
भारत के पहले आयुष मंत्री के सलाहकार के रूप में, डॉ. वर्मा (Dr. Nawal Kumar Verma) ने आयुर्वेद, योग और होम्योपैथी को राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीतियों का हिस्सा बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनके प्रयासों से आयुष उपचारों को वैज्ञानिक मान्यता मिली और भारत को आयुष पर्यटन के वैश्विक केंद्र के रूप में स्थापित करने की दिशा में बड़ी सफलता मिली।
स्वदेशी अनाजों और आहार आधारित उपचार को बढ़ावा
डॉ. वर्मा स्वदेशी अनाजों जैसे बाजरा (मिलेट्स), ज्वार, रागी के कट्टर समर्थक हैं। उनका मानना है कि ये पारंपरिक भारतीय सुपरफूड्स मधुमेह, उच्च रक्तचाप, मोटापा और कैंसर जैसी बीमारियों को नियंत्रित करने में प्रभावी भूमिका निभाते हैं। उन्होंने सर्केडियन रिदम और मेटाबॉलिज्म आधारित भोजन मॉडल विकसित किए, जो सुरक्षित, जैविक और विष-रहित भोजन को प्राथमिकता देते हैं। इस प्रयास से न केवल लोगों का स्वास्थ्य बेहतर हुआ है, बल्कि ग्रामीण किसानों को भी आर्थिक सशक्तिकरण मिला है।
महिलाओं और कमजोर वर्ग के लिए कार्य
डॉ. वर्मा (Dr. Nawal Kumar Verma) महिलाओं के स्वास्थ्य और स्वच्छता को लेकर भी विशेष रूप से समर्पित हैं। उन्होंने महिलाओं में मासिक धर्म स्वच्छता, पोषण और मातृ स्वास्थ्य जैसे मुद्दों पर जागरूकता बढ़ाने के लिए कई अभियान चलाए। ग्रामीण इलाकों में उनके प्रयासों ने महिलाओं को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक किया और एनीमिया जैसी समस्याओं में सुधार किया।
वैश्विक आयुष प्रचार और स्वास्थ्य सेवा
डॉ. वर्मा ने योग और आयुष चिकित्सा को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ावा दिया। उन्होंने वैश्विक मंचों पर भारत की समग्र चिकित्सा पद्धतियों को प्रस्तुत किया और इनकी वैज्ञानिकता को सिद्ध किया। उनके प्रयासों से लाखों लोग आयुष पद्धतियों से लाभान्वित हुए।
करुणा और नवाचार की विरासत
डॉ. नवल कुमार वर्मा (Dr. Nawal Kumar Verma) का जीवन करुणा, परिश्रम और नवाचार की मिसाल है। उन्होंने होम्योपैथी, कोविड-19 दवा विकास, प्रोस्टेट हेल्थकेयर और आहार-आधारित रोग रिवर्सल के क्षेत्र में नए आयाम स्थापित किए। उनके द्वारा आयोजित नि:शुल्क चिकित्सा शिविरों ने दूर-दराज के इलाकों में जरूरतमंद लोगों तक स्वास्थ्य सुविधाएं पहुंचाई। एक वैज्ञानिक, चिकित्सक और समाज सुधारक के रूप में डॉ. वर्मा ने न केवल भारत, बल्कि वैश्विक स्तर पर स्वास्थ्य सेवा का स्वरूप बदलने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उनका जीवन और कार्य आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा और सशक्तिकरण का प्रतीक है।