Nazul Property Bill 2024 : कल तक इस कानून का समर्थन करने वाली योगी सरकार ने अब इसे प्रवर समिति में भेजकर अपनी मुसीबत टाल दी है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इसके पीछे आगामी विधानसभा उपचुनाव और 2027 से पहले लोगों की नजर में अमानवीय बनने से बचने का प्रयास है।
संगठन का दबाव
संगठन सरकार पर भारी पड़ा और Nazul Property Bill 2024 को प्रवर समिति को भेज दिया गया। यह समिति विधेयक का अध्ययन कर दो महीने में अपनी रिपोर्ट देगी। संभावित संशोधनों के साथ समिति अपने सुझाव सरकार को देगी। बीजेपी विधायकों के विरोध के आगे सरकार को झुकना पड़ा और अब इसे संशोधित करके ही दुबारा विधानसभा में पेश किया जाएगा। इसका मतलब है कि अब यह विधेयक ठंडे बस्ते में चला गया है।
विधायकों का विरोध
बुधवार को विधानसभा में बीजेपी विधायकों हर्षवर्धन वाजपेयी, सिद्धार्थ नाथ सिंह, और राजा भईया ने बिल पर आपत्ति दर्ज कराते हुए इसे प्रवर समिति को भेजने की मांग की थी। संख्या बल के आधार पर इसे पास करा लिया गया था, लेकिन गुरुवार को विधान परिषद में सरकार को अपनों की नाराजगी झेलनी पड़ी।
विधान परिषद की असहमति
विधान परिषद में नेता सदन केशव प्रसाद मौर्या द्वारा विधेयक प्रस्तुत किए जाने पर बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष भूपेन्द्र चौधरी ने असहमति जताई और इसे प्रवर समिति में भेजने की मांग की। सभापति ने इस मांग को स्वीकार किया और विधेयक प्रवर समिति में भेज दिया गया।
विधायकों की खुशी
बीजेपी के कई विधायक बिल को प्रवर समिति में भेजे जाने से खुश दिखे। हर्षवर्धन वाजपेयी ने अपनी आपत्ति विधेयक को और बेहतर बनाने के लिए बताई। उन्होंने कहा कि उनके क्षेत्र में नजूल की जमीन का मामला ज्यादा है, इसलिए उन्हें बोलना पड़ा।
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कोर्ट के फैसले और सुझाव
हर्षवर्धन वाजपेई ने बताया कि कोर्ट ने भी सुझाव दिया है कि नजूल की संपत्ति पर लंबे समय से रह रहे लोगों के लिए सरकार विकास योजनाएं बना सकती है। जैसे पीएम आवास योजना के तहत आवासीय योजना बनाई जा सकती है।
सपा का विरोध
सपा सरकार को इस मुद्दे पर घेरने की कोशिश में है। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि नजूल की जमीन पर सबसे ज्यादा कब्जा बीजेपी नेताओं का है। सरकार की मंशा नहीं है कि नजूल की जमीन को बीजेपी नेताओं से खाली कराया जाए। कांग्रेस ने भी विरोध करते हुए कहा कि जबतक सरकार बिल वापस नहीं लेती, उनका विरोध जारी रहेगा।