Patanjali : पतंजलि आयुर्वेद, जो बाबा रामदेव के नेतृत्व में संचालित होता है, इस समय एक विवाद में घिरा हुआ है. दिल्ली हाईकोर्ट में दायर एक याचिका के अनुसार, पतंजलि (Patanjali ) के हर्बल टूथ पाउडर ‘दिव्य मंजन’ में मछली से प्राप्त सामग्री ‘समुद्रफेन’ का उपयोग किया गया है. यह सामग्री, जिसे ‘Sepia officinalis’ के नाम से भी जाना जाता है, आमतौर पर मछली से निकाली जाती है, और इस दावे ने शाकाहारी उपभोक्ताओं के बीच चिंता उत्पन्न की है.
शाकाहारी लेबलिंग पर सवाल
याचिका में दावा किया गया है कि Patanjali ‘दिव्य मंजन’ की पैकेजिंग पर हरा निशान है, जो इसे पूरी तरह शाकाहारी उत्पाद के रूप में दर्शाता है. हालांकि, सामग्री की जांच के दौरान ‘समुद्रफेन’ का उल्लेख पाया गया, जो कि मांसाहारी है. यह मुद्दा उन उपभोक्ताओं के लिए चिंता का कारण बन गया है जिनकी धार्मिक आस्थाएं शाकाहारी उत्पादों पर आधारित हैं.
मिसब्रांडिंग और ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट का उल्लंघन
पतंजलि पर मिसब्रांडिंग का आरोप लगाते हुए याचिकाकर्ता ने दावा किया है कि यह ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट का उल्लंघन है. याचिका में यह भी कहा गया कि बाबा रामदेव ने खुद एक यूट्यूब वीडियो में स्वीकार किया था कि ‘समुद्रफेन’ एक जानवर से प्राप्त सामग्री है और इसे ‘दिव्य मंजन’ में इस्तेमाल किया जाता है.
दिल्ली हाईकोर्ट की नोटिस और अगली सुनवाई
इस विवाद के बीच, दिल्ली हाईकोर्ट ने Patanjali, बाबा रामदेव, केंद्र सरकार और दिव्य फार्मेसी को नोटिस जारी किया है. अगली सुनवाई 28 नवंबर, 2024 को निर्धारित की गई है। यह मुद्दा पतंजलि के उत्पादों की लेबलिंग और उनके शाकाहारी दावों पर सवाल खड़ा कर रहा है, जिससे उपभोक्ताओं के बीच व्यापक चिंता फैल गई है.
पतंजलि के लिए कानूनी विवाद कोई नई बात नहीं
यह पहली बार नहीं है जब पतंजलि कानूनी विवादों में फंसा है, इससे पहले भी, सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि को भ्रामक विज्ञापनों के लिए फटकार लगाई थी.
ये भी पढ़े : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ब्रुनेई दौरा… द्विपक्षीय संबंधों में एक नया अध्याय