लखनऊ ऑनलाइन डेस्क। कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष द्वादशी तिथि पर तुलसी विवाह किया जाता है। पंचांग के अनुसार, इस वर्ष तुलसी विवाह 12 नवंबर को है। इस खास पर्व पर घर और मंदिरों में तुलसी विवाह का आयोजन किया जाता है। इसके अलावा इस दिन लोग घर में तुलसी का पौधा भी लगाते हैं। धार्मिक मान्यता है कि घर में तुलसी का पौधा लगाने से मां लक्ष्मी का वास होता है। साथ ही धन लाभ के योग बनते हैं। ऐसे में हम आपको उस मंदिर से रूबरू कराने जा रहे हैं, जहां तुसली विवाह के दिन हजारों की संख्या में भक्त पहुंचते हैं और विधि-विधान से पूजा-अर्चना कर मन्नत मांगते हैं।
तुलसी मानस मंदिर कहा जाता है
तुलसी विवाह का पर्व 12 नवंबर को है। ऐसे में अभी से भक्त तैयारियों में जुट गए हैं। तुलसी विवाह पर्व सुख-समृद्धि और सौभाग्य का कारक माना जाता है। इसलिए लोग इस दिन किसी ऐसे मंदिर में दर्शन का प्लान बनाते हैं, जो तुलसी माता से जुड़ा हो। ऐसे में लोग वाराणसी के तुलसी मानस मंदिर में दर्शन करने जाते हैं। भले ही यह मंदिर तुलसी माता से जुड़ा नहीं है, लेकिन तुलसी नाम से जुड़ा होने की वजह से यहां त्योहार पर भक्तों की भीड़ ज्यादा देखी जाती है। इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि इसी स्थान पर तुलसीदास जी ने रामचरितमानस की रचना की थी, इसलिए इस तुलसी मानस मंदिर कहा जाता है।
रामचरितमानस के दोहे और चौपाइयां लिखी
तुलसी मानस मंदिर की सभी दीवारों पर रामचरितमानस के दोहे और चौपाइयां लिखी हैं। लोगों का कहना है कि पहले यहां छोटा सा मंदिर हुआ करता था। सन 1964 में कलकत्ता के एक व्यापारी सेठ रतनलाल सुरेका ने तुलसी मानस मंदिर का निर्माण करवाया था। मंदिर का उद्घाटन भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति डा. सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने किया था। यहां पर मधुर स्वर में संगीतमय रामचरितमानस संकीर्तन गुंजायमान रहता है। यहां पर भगवान श्रीराम, माता सीता, लक्ष्मण और हनुमानजी की प्रतिमाएं हैं। तुलसी विवाह पर्व पर वाराणसी के अलावा पूर्वांचल से हजारों की संख्या में भक्त आकर माथा टेकते हैं।
जातक का जीवन सदैव खुशहाल
इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि इसी स्थान पर तुलसीदास जी ने रामचरितमानस की रचना की थी, इसलिए इस तुलसी मानस मंदिर कहा जाता है। बता दें, धार्मिक मान्यता है कि तुलसी विवाह के दिन तुलसी पूजा-अर्चना करने से जातक का जीवन सदैव खुशहाल होता है। साथ ही आर्थिक तंगी से छुटकारा मिलता है। वहीं इस दिन घर में तुलसी का पौधा लगाना शुभ माना जाता है। साथ ही जो भी भक्त विधि-विधान से तुलसी की पूजा करता है तो उसके घर पर बीमारियां दस्तक नहीं देती।
फिर उत्तर दिशा में लगाना शुभ
वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर में तुलसी का पौधा उत्तर पूर्व या फिर उत्तर दिशा में लगाना शुभ होता है। माना जाता है कि इस दिशा में तुलसी का पौधा लगाने से परिवार के सदस्यों के बीच मनमुटाव की समस्या दूर होती है। साथ ही घर में सदैव मां लक्ष्मी का वास होता है। तुलसी का पौधा घर में लगाने से नकारात्मक शक्ति दूर होती है। वास्तु शास्त्र की मानें तो तुलसी का पौधा घर में दक्षिण दिशा में नहीं लगाना चाहिए। इस दिशा में तुलसी का पौधा लगाने से वास्तु दोष का सामना करना पड़ता है और आर्थिक समस्या आती है।
एक कथा ऐसी भी
पौराणिक कथाओं के अनुसार, जालंधर नाम के राक्षस की पत्नी का नाम वृंदा था। भगवान शिप ने असुर का वध कर दिया। जब इस बात की जानकारी वृंदा को हुई, तो उन्होंने श्री हरि को श्राप दे दिया कि वे तुरंत पत्थर के बन जाएं। उनके इस श्राप को स्वीकार करते हुए भगवान विष्णु तुरंत ही पाषाण रूप में आ गए। यह सब देखकर माता लक्ष्मी ने वृंदा से यह प्रार्थना की कि नारायण को वह श्राप से मुक्त कर दें। वृंदा ने नारायण को तो श्राप से मुक्त कर दिया लेकिन, उसने स्वयं आत्मदाह कर लिया। जिस स्थान पर वृंदा भस्म हुई वहां तुरंत एक पौधा उग गया, जिसे विष्णु भगवान ने तुलसी का नाम दिया।
तुलसी विवाह का शुभ मुहूर्त
कथा के अनुसार भगवान विष्णु ने कहा था कि शालिग्राम नाम से मेरा एक रूप इस पत्थर में हमेशा विराजमान रहेगा, जिसकी पूजा सदैव के लिए तुलसी के साथ ही की जाएगी। इसी कारण से हर साल देवउठनी एकादशी पर श्री हरि के स्वरूप शालिग्राम जी और देवी तुलसी का विवाह कराया जाता है। इस साल 12 नवंबर 2024 को तुलसी विवाह का शुभ मुहूर्त शाम 5ः29 बजे से है क्योंकि इस समय सूर्यास्त होगा। अंधेरा होने पर देवी तुलसी का विवाह भगवान शालिग्राम से किया जाएगा। तुलसी विवाह का शुभ समय शाम 5 बजकर 29 मिनट से 7 बजकर 53 मिनट तक है।