Vasundhara Raje : ‘पद और मद स्थाई नहीं होते…’ राजनीति के उतार चढ़ाव पर बोली वसुंधरा राजे

राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी की प्रमुख नेता वसुंधरा राजे ने पार्टी के नए प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ के शपथ ग्रहण समारोह में पद, महत्व और स्थिति का उल्लेख कर राजनीतिक हलचल पैदा कर दी है।

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Vasundhara Raje : राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने बीजेपी के नए प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ के शपथ ग्रहण समारोह में पद, महत्व और स्थिति का जिक्र कर पार्टी में खलबली मचा दी है। राजे ने बिना किसी का नाम लिए इशारों-इशारों में कई नेताओं पर निशाना साधा। उनके इस बयान के बाद से कोई भी प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है, लेकिन इससे यह संकेत मिल रहा है कि पार्टी में सब कुछ ठीक नहीं है और एक ‘साइलेंट जंग’ जारी है, जो पांच विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव में प्रभाव डाल सकती है।

जयपुर में पार्टी के प्रदेश कार्यालय में शनिवार को हुए मदन राठौड़ के शपथ ग्रहण समारोह में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की उपस्थिति ने चर्चाओं को जन्म दिया। राजे ने मदन राठौड़ की सादगी की सराहना करते हुए कहा कि केंद्रीय नेतृत्व ने एक सेवाभावी, सरल और ईमानदार नेता को प्रदेश अध्यक्ष बनाया है और उन्होंने राठौड़ पर विश्वास जताया। इसके साथ ही, राजे ने यह भी कहा कि सभी को साथ लेकर चलना सबसे कठिन कार्य है।

पद मद और कद में समझाया भेद

राजे ने कहा कि राजनीति में हर व्यक्ति के सामने तीन चीजें आती हैं: पद, मद और कद। पद और मद स्थायी नहीं होते, लेकिन कद स्थायी रहता है। राजनीति में अगर किसी को पद का मद लग जाए, तो उसका कद घट जाता है। आजकल लोगों को पद का मद लग ही जाता है। उनके अनुसार, सबसे बड़ा पद जनता की चाहत है—जनता का प्यार और विश्वास। यह ऐसा पद है जिसे कोई भी छीन नहीं सकता। इस दौरान राजे की पीड़ा भी सामने आई, उन्होंने कहा कि राजनीति का दूसरा नाम उतार-चढ़ाव है और हर व्यक्ति को इस दौर से गुजरना पड़ता है।

मदन राठौड़ के पदभार ग्रहण समारोह की विशेष बात यह रही कि इस अवसर पर सभी गुटों के नेता उपस्थित थे। लेकिन वसुंधरा राजे की उपस्थिति ने सबका ध्यान खींच लिया। राजे द्वारा इशारों-इशारों में कई नेताओं पर निशाना साधना यह दर्शाता है कि बीजेपी के भीतर की जंग अभी भी समाप्त नहीं हुई है। अब मदन राठौड़ की पहली परीक्षा आने वाले विधानसभा उपचुनाव होंगे। देखना होगा कि वे इस अंदरूनी संघर्ष को सुलझा पाते हैं या जुबानी तीर इसी तरह चलते रहेंगे।
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