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सिर्फ करवा चौथ पर खुलता है चौथ माता के मंदिर का दरवाजा, जानें प्रसाद में क्यों दिया जाता है ‘तांत्रिक कपड़ा’

मध्य प्रदेश के उज्जैन स्थित नागदा बायपास मार्ग पर शिप्रा नदी के किनारे जीवन खेड़ी क्षेत्र में करवा चौथ माता का यह अनोखा मंदिर है, जहां देवी पार्वती के साथ ही उनकी बहुएं रिद्धि, सिद्धि अपने भाई लाभ, शुभ और बहन संतोषी माता के साथ विराजमान हैं।

Vinod by Vinod
October 10, 2025
in Latest News, धर्म, राष्ट्रीय
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नई दिल्ली ऑनलाइन डेस्क। करवा चौथ हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है। इस दिन शादीशुदा महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। यह त्योहार पति-पत्नी के अटूट प्रेम का उत्सव है। हिंदू कैलेंडर के मुताबिक, करवा चौथ कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है। इस बार ये पर्व 10 अक्टूबर, 2025 को है। ऐसे में हम आपको चौथ माता को उस मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जो साल में सिर्फ करवा चौथ पर ही खुलता है। मध्य प्रदेश के उज्जैन स्थित नागदा बायपास मार्ग पर शिप्रा नदी के किनारे जीवन खेड़ी क्षेत्र में करवा चौथ माता का यह अनोखा मंदिर है, जहां देवी पार्वती के साथ ही उनकी बहुएं रिद्धि, सिद्धि अपने भाई लाभ, शुभ और बहन संतोषी माता के साथ विराजमान हैं।

महाकाल की नगरी उज्जैन देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में विख्यात है। यहां हरदिन हजारों भक्त महाकाल के दर पर आकर मत्था टेकते हैं और पूजा-अर्चना कर पुण्ण कमाते हैं। महाकाल की नगरी में ही चौथ माता का ऐतिहासिक मंदिर है, जो 364 दिन बंद रहता है। लेकिन वर्ष में केवल एक बार करवा चौथ पर ही इस मंदिर को खोला जाता है। जहां पर माता अपने भक्तों को अपने 3 स्वरूपों के दर्शन देती हैं। करवा चौथ पर माता का पूजन अर्चना करने के लिए बड़ी संख्या में शुक्रवार की सुबह से श्रद्धालु मंदिर पहुंचने लगे हैं। भक्त माता रानी की अराधना कर रहे हैं। माता रानी के जयकारों से पूरी उज्जैन नगरी धर्ममय हो गई है। माता रानी पर आए श्रद्धालुओं को मां कामाख्या का सिंदूर, नेपाल का रुद्राक्ष और विशेष सिक्के प्रसाद के रूप में भेंट किए जाएंगे।

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बताया जाता है कि करवा चौथ पर माता के अलग-अलग स्वरूप में दर्शन होते है। सुबह माता बाल स्वरूप, दोपहर में किशोरी और शाम को एक विशेष स्वरुप में दर्शन देती है। करवा चौथ पर होने वाले इन दिव्य दर्शनों के लिए बड़ी संख्या में माता बहने मंदिर में पहुंचती है और दर्शन का लाभ लेने के साथ ही पति की लंबी आयु की कामना भी करती है। मंदिर में सुहागन महिलाओं के साथ ही कुंवारी लड़कियां भी अच्छे पति की कामना लेकर यहां पहुंचती है। मंदिर के पुजारी का कहना है कि कुवांरी युवतियां करवा चौथ से ठीक एक दिन पहले मंदिर पहुंच जाती है। रात को विधि-विधान से पूजा की तैयारी करती हैं। सुबह से वह निर्जला व्रत रखती हैं। पूरे दिन माता के दरवार भजन-कीर्तन का आयोजन होता है। युवतियों के साथ सुहागिनें माता का जप करती हैं। पुजारी के मुताबिक माता रानी की कृपा से कुंवारी लड़कियों को जीवनसाथी मिल जाता है। विवाहित महिलाओं की मुरादें मातारानी पूरी करती हैं।

मंदिर के पुजारी ने बताया कि साल में एक केवल एक बार करवा चौथ माता के मंदिर के पट खुलते हैं। जहां दर्शन करने आने वाली प्रत्येक महिलाओं और युवतियों को मां कामाख्या का सिंदूर, नेपाल का रुद्राक्ष, गर्भग्रह का सिक्का, माता रानी का तांत्रिक कपड़ा प्रसाद के रूप में भेंट किया जाता है। मंदिर के व्यवस्थापक डॉ नागवंशी ने बताया कि राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले के बरवाड़ा कस्बे में स्थित मां करवा चौथ के सिद्ध पीठ से जहां मंदिर जुड़ा हुआ है। करवा चौथ माता को इसी मंदिर से आमंत्रित कर उज्जैन लाया गया है। इसके बाद से माता का आशीर्वाद सदा सभी पर बना हुआ है। मंदिर में आने वाले प्रत्येक भक्त की मनोकामना माता रानी पूर्ण करती हैं। व्यवस्थापक ने बताया कि इस वर्ष करवा चौथ पर्व को लेकर पहले से सारी तैयारियां पूरी कर ली गई है। करीब तीन से चार लाभ भक्त मातारानी के दरवार पर आ सकते हैं।

Tags: Chauth Mata Temple UjjainKarwa Chauth 2025Karwa Chauth 2025 latest newsKarwa Chauth festivalKarwa Chauth news
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Vinod

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