IIT-BHU: वाराणसी के आईआईटी-बीएचयू में बीटेक करने वाली एक छात्रा से गैंगरेप करने के दो आरोपी सात महीने बाद रिहा हो गए। आरोपी कुणाल पांडेय और आनंद उर्फ अभिषेक चौहान को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सशर्त जमानत दी। तीसरे आरोपी सक्षम पटेल की जमानत को कोर्ट ने नहीं माना। 16 सितंबर को उसकी जमानत की अर्जी पर सुनवाई होगी।
वाराणसी के प्रतिष्ठित IIT-BHU परिसर में हुए एक जघन्य गैंगरेप मामले ने देश को झकझोर कर रख दिया। यह घटना न केवल शैक्षणिक संस्थानों की सुरक्षा पर सवाल उठाती है, बल्कि राजनीतिक संबंधों और न्यायिक प्रक्रिया की जटिलताओं को भी उजागर करती है। दो आरोपियों की हालिया रिहाई ने इस मामले को फिर से सुर्खियों में ला दिया है, जिससे न्याय की गति और प्रभावशीलता पर बहस छिड़ गई है।
दो आरोपी रिहा, तीसरे की जमानत याचिका लंबित
वाराणसी के IIT-BHU गैंगरेप मामले में दो आरोपियों को हाल ही में जमानत पर रिहा किया गया है। कुणाल की 24 अगस्त को और आनंद की 29 अगस्त को रिहाई हुई। दोनों की जमानत याचिकाएँ इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जुलाई में स्वीकार की थीं, लेकिन जमानतदारों के सत्यापन में समय लगने के कारण रिहाई में देरी हुई। तीसरे आरोपी सक्षम की जमानत याचिका अभी लंबित है। यह मामला काफी चर्चित रहा है क्योंकि तीनों आरोपी भाजपा IT सेल से जुड़े बताए गए हैं और कथित तौर पर सरकार के मंत्रियों और विधायकों के संपर्क में थे।
पुलिस ने दाखिल की दो चार्जशीट, आरोपियों पर गैंगस्टर एक्ट
वाराणसी पुलिस ने इस मामले में अब तक दो चार्जशीट दाखिल की हैं। पहली चार्जशीट 17 जनवरी को कोर्ट में पेश की गई, जिसमें आरोपियों के खिलाफ धारा 376(डी) समेत अन्य धाराएं लगाई गईं। इसके बाद, पुलिस ने तीनों आरोपियों पर गैंगस्टर एक्ट के तहत भी मामला दर्ज किया और जल्द ही इसकी भी चार्जशीट दाखिल कर दी। पुलिस ने आनंद चौहान उर्फ अभिषेक को गैंग का लीडर बताया है, जबकि कुणाल और सक्षम को उसके गिरोह के सदस्य के रूप में चिह्नित किया है।
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पीड़िता ने कोर्ट में दर्ज कराया बयान, मामले की सुनवाई जारी
22 अगस्त को रेप पीड़िता ने कोर्ट में अपना बयान दर्ज कराया। उसने घटना का विवरण दिया और बताया कि वह अभी भी डर महसूस करती है और ज्यादातर समय होस्टल में ही रहती है। मामले की सुनवाई वाराणसी फास्ट ट्रैक कोर्ट (पाक्सो) में चल रही है। पुलिस ने अपनी जांच में 225 से अधिक CCTV फुटेज की जांच की और कई टीमों को आरोपियों की तलाश में लगाया था। आरोपियों को गिरफ्तार करने में पुलिस को 60 दिन लगे थे, जिस दौरान वे मध्य प्रदेश में छिपे हुए थे।