Meerut Subharti University : यूनिवर्सिटी में पैसे देकर पेपर लीक कराने वाले गिरोह का पर्दाफाश, कंपटीटिव एग्जाम पर लगी रोक

एसटीएफ (Special Task Force) लखनऊ की टीम ने सुभारती यूनिवर्सिटी में चल रहे एग्जाम के बीच एक एग्जाम सेंटर पर छापेमारी की थी। इस छापेमारी का उद्देश्य परीक्षा में नकल या अन्य किसी प्रकार की गड़बड़ी की जाँच करना था। एसटीएफ की टीम ने परीक्षा केंद्र में छापेमारी करके नकल या धोखाधड़ी के प्रयासों को रोकने के लिए कार्रवाई की।

Meerut Subharti University

Meerut Subharti University : मेरठ की सुभारती यूनिवर्सिटी के लिए एक बुरी खबर है। अब सुभारती यूनिवर्सिटी में कोई प्रतियोगी परीक्षा नहीं होगी। हाल ही में हुई काउंसिल ऑफ इंडस्ट्रियल रिसर्च नेशनल एलिजिबिलिटी टेस्ट (नेट परीक्षा) में नकल पकड़ी गई थी। इस दौरान परीक्षा में छेड़छाड़ पाई गई थी। इस पर सुभारती यूनिवर्सिटी के आईटी हेड समेत सात लोगों को परीक्षा में छेड़छाड़ के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।

मेरठ एसटीएफ यूनिट की ओर से एडीजी कानून व्यवस्था को पत्र भेजा गया था। एसटीएफ ने राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी को पत्र भेजा है। एसएसपी मेरठ को भी इसकी जानकारी दे दी गई है। सुभारती यूनिवर्सिटी की नेशनल स्टॉक एक्सचेंज इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (एनएसईआईटी) कंपनी की ओर से सीएसआईआर नेट परीक्षा कराई जा रही थी। 26 जुलाई को एसटीएफ ने सुभारती परीक्षा केंद्र पर छापा मारा था।

वहां परीक्षा केंद्र के कंप्यूटर सर्वर में दो लैन एडमिन मिले थे। गिरोह का सरगना अजय उर्फ ​​बच्ची निवासी झज्जर हरियाणा, मनीष उर्फ ​​मोनू निवासी डाकला झज्जर हरियाणा, दीपक कुमार निवासी मढ़ी थाना रोहटा मेरठ और अनिल राठी निवासी गांगनौली दोघट बागपत है। अभ्यर्थियों को नकल कराने में मदद करने वाला आईटी हेड अरुण शर्मा काफी समय से सॉल्वर गैंग के साथ काम कर रहा था। रोहटा के मढ़ी गांव निवासी दीपक ने ही अजय उर्फ ​​बच्ची निवासी झज्जर हरियाणा की मुलाकात अरुण शर्मा से कराई थी। अरुण शर्मा के कार्यालय में एडमिन कंप्यूटर भी अजय उर्फ ​​बच्ची ने ही लगाया था।

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दीपक और अनिल मिलकर यूपी और दिल्ली के अभ्यर्थियों को पास कराने का ठेका लेते थे। मेरठ एसटीएफ के एएसपी ब्रजेश कुमार सिंह ने बताया कि एसटीएफ ने जब सुभारती विवि में परीक्षा में नकल पकड़ी थी, उसके बाद एसटीएफ की ओर से एक पत्र भेजा गया था। पूरे मामले पर सुभारती प्रबंधन का कहना है कि प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए सेंटर किराए पर लिया गया था। इससे विवि को कोई लाभ नहीं मिल रहा था, इसलिए विवि पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा, क्योंकि नकल में विवि की कोई भूमिका नहीं थी।

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