Navratri : नवरात्र के पांचवें दिन स्कंदमाता की पूजा की जाती है। स्कंदमाता को विवेक और बुद्धि देने वाली देवी माना जाता है। स्कंदमाता चैत्र पंचमी को पूजा जाती है।
स्कंदमाता को केले का भोग लगाकर उसे विशेष कृपा मिलती है। आइए जानते हैं नवरात्रि के पांचवे दिन स्कंदमाता की पूजा करने का शुभ मुहूर्त और कैसे करें।
Navratri : नवरात्र के पांचवें दिन स्कंदमाता की पूजा की जाती है। पांचवें दिन स्कंदमाता की पूजा पूरी तरह से की जाती है। स्कंद कार्तिकेय यानी भगवान कार्तिकेय की माता का नाम है। भगवान कार्तिकेय बचपन में स्कंदमाता की गोद में बैठते हैं। स्कंदमाता को विवेक और बुद्धि का पिता भी कहा जाता है।
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Navratri में स्कंदमाता की पूजा करने से ज्ञान, बुद्धि और विवेक में वृद्धि होती है, जिससे व्यक्ति बिना भय के अपने जीवन के निर्णय ले सकता है। इससे सुधार होता है। मैं जानता हूँ कि नवरात्रि के पांचवे दिन स्कंदमाता की पूजन, आरती और भोग की विधि क्या है।
पूजा करने का शुभ समय और मुहूर्त
नवरात्रि का पांचवा दिन स्कंदमाता का पूजन होता है। 13 अप्रैल को नवरात्रि का पांचवा दिन होगा। 12 अप्रैल 2024, शुक्रवार को शाम 4 बजकर 50 मिनट से पंचमी शुरू होगी और 13 अप्रैल 2024, शनिवार को 3 बजकर 55 मिनट तक रहेगी। सुबह स्कंदमाता को पूज सकते हैं। सुबह ९ बजे से पहले आप स्कंदमाता की पूजा करें। यह पूजन करने का उपयुक्त समय है।
स्कंदमाता की पूजा का तरीका
माता को पूजना बहुत सरल है। सुबह उठकर जल्दी स्नान करें। इसके बाद स्कंदमाता की चौकी को सही ढंग से सजाओ। मंदिर में पीला या लाल रंग का कपड़ा डालकर स्कंदमाता की तस्वीर को उसके ऊपर लगा दें। इसके बाद मंदिर में गंगाजल डालें।
अब माता को पीले या लाल चुन्नी ओढ़ाएं। अब पूजा थाली में मिठाई, दीया, इलायची, लौंग, फूल और केले का फल रखें। इसके बाद माता के सामने दीया जलाकर आरती करें और उसे फूल-फल आदि दें।
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स्कंदमाता को क्या खाना चाहिए?
माता को केले खिलाए जाते हैं। स्कंदमाता को मिठाई और अन्य फलों के साथ केले भी खाना चाहिए। आप स्कंदमाता को केले के हलवे का भोग भी दे सकते हैं, इससे वे विशेष रूप से प्रसन्न होंगे। यह भी बहुत फायदेमंद माना जाता है।
स्कंदमाता का पूजन मंत्र
या देवी सर्वभूतेषू मां स्कंदमाता रूपेण संस्थिता
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम