PM मोदी की मोटापा मुक्त भारत की अपील, FSSAI का बड़ा कदम, तेल-चीनी पर लगाम

FSSAI और CBSE ने स्कूलों को 'शुगर बोर्ड' स्थापित करने का निर्देश दिया है ताकि मीठी चीजों के सेवन को नियंत्रित करने के महत्व को समझाया जा सके। विशेषज्ञों का कहना है कि इससे छात्रों और अभिभावकों को मीठे के सेवन के बारे में सोच-समझकर निर्णय लेने के लिए प्रेरित किया जाएगा।

PM Narendra  Modi Appeal : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हमेशा सेहत और फिटनेस के प्रति सजग रहते हैं और लोगों को स्वस्थ रहने का संदेश देते रहते हैं। हाल ही में एक कार्यक्रम में उन्होंने देश में बढ़ती मोटापे की समस्या पर चिंता जताई और इसे छोटे-छोटे प्रयासों से नियंत्रित करने की सलाह दी। उनकी इस अपील पर भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने त्वरित कार्रवाई शुरू की है।

FSSAI ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को मोटापे पर रोकथाम और तेल-चीनी की खपत कम करने के लिए ठोस कदम उठाने के निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही, केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने भी स्कूलों में ‘शुगर बोर्ड’ लगाने की पहल शुरू की है, ताकि बच्चों और अभिभावकों में मीठे के सेवन के प्रति जागरूकता बढ़े।

FSSAI के तहत मोटापे पर लगाम के लिए निर्देश

FSSAI, जो देश में खाद्य सुरक्षा और मानकों को सुनिश्चित करता है, ने पीएम मोदी की अपील के बाद राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से मोटापे से निपटने के लिए प्रभावी उपाय करने को कहा है। प्राधिकरण ने खाद्य पदार्थों में तेल की मात्रा को 10% तक कम करने और संतुलित आहार को बढ़ावा देने पर जोर दिया है।

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FSSAI ने अपनी 47वीं केंद्रीय सलाहकार समिति (CAC) की बैठक में इस मुद्दे को गंभीरता से उठाया। बैठक में 60 से अधिक प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया और मोटापे से जुड़ी स्वास्थ्य समस्याओं के समाधान के लिए सामूहिक प्रयासों पर सहमति जताई। FSSAI ने इस दिशा में तकनीकी सहायता, प्रशिक्षण और आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराने का वादा किया है। साथ ही, ‘ईट राइट इंडिया’ अभियान को राज्यों में और मजबूती से लागू करने की अपील की गई है, ताकि लोग स्वस्थ खानपान की आदतें अपनाएं।

CBSE की पहल पर स्कूलों में लगे ‘शुगर बोर्ड’

CBSE ने मोटापे और मीठे के अत्यधिक सेवन से होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं, जैसे बचपन में मोटापा, टाइप-2 मधुमेह और चयापचय संबंधी विकारों, को कम करने के लिए स्कूलों में ‘शुगर बोर्ड’ स्थापित करने का निर्देश दिया है। इस पहल का उद्देश्य छात्रों और उनके अभिभावकों को मीठे के सेवन के प्रति सचेत करना है, ताकि वे अपने आहार में ‘छिपी हुई’ चीनी की मात्रा को पहचान सकें और इसे नियंत्रित करने के लिए प्रेरित हों। ये बोर्ड स्कूल परिसर में प्रमुखता से प्रदर्शित किए जाएंगे, जिससे छात्रों और अभिभावकों को चीनी के दुष्प्रभावों के बारे में जानकारी मिले और वे अपने दैनिक आहार में सावधानी बरतें।

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