Taj mahal: हाल ही में आगरा के ताजमहल में दो पर्यटकों द्वारा पेशाब करने की घटना ने जनाक्रोश को जन्म दिया और सोशल मीडिया पर तेज़ी से वायरल हो गई। इस घटना के बाद हिंदूवादी संगठनों ने इसे सनातन संस्कृति पर हमला करार देते हुए ताजमहल को शुद्ध करने की मांग की। ताजमहल, जो विश्व धरोहर और भारतीय संस्कृति का प्रतीक है, कई बार धार्मिक और सांस्कृतिक विवादों का केंद्र रहा है। इस रिपोर्ट में हम इस घटना, ताजमहल को लेकर हिंदूवादी संगठनों की प्रतिक्रियाओं, और इससे जुड़े विवादों पर प्रकाश डालेंगे।
Taj mahal में पेशाब, शुद्धिकरण की मांग
आगरा के Taj mahal में हाल ही में दो पर्यटकों द्वारा पेशाब करने का वीडियो वायरल हुआ, जिससे जनाक्रोश फैला। इस घटना के बाद हिंदूवादी महासभा के प्रदेश संयोजक गोपाल चाहर गाय का गोबर और गंगाजल लेकर ताजमहल को शुद्ध करने पहुंचे, लेकिन पुलिस ने उन्हें पश्चिमी गेट पर ही रोक दिया। हिंदूवादी संगठनों ने सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह स्थल प्राचीन शिव मंदिर है और पर्यटकों की इस हरकत से सनातन संस्कृति का अपमान हुआ है।
शुद्धिकरण पर अड़े हिंदूवादी कार्यकर्ता
हिंदूवादी संगठन के कार्यकर्ताओं ने ताजमहल को शिव मंदिर बताते हुए इसे गंगाजल से पवित्र करने की मांग की। उनका कहना था कि शुद्धिकरण उनका अधिकार है और अगर उन्हें इसकी अनुमति नहीं दी गई, तो वे जेल जाने को तैयार हैं। उनका मानना था कि शुद्धिकरण से कोई अव्यवस्था नहीं होगी, बल्कि यह आवश्यक है ताकि ताजमहल का प्राचीन धार्मिक महत्व बना रहे।
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Taj mahal से जुड़ी विवादित धारणाएं
Taj mahal को लेकर विवादित धारणाएं पहले से ही चर्चा में रही हैं, विशेषकर यह दावा कि यह एक प्राचीन शिव मंदिर है जिसे तेजोमहल कहा जाता था। हालांकि, यह दावा ऐतिहासिक और पुरातात्विक साक्ष्यों के आधार पर खारिज किया गया है, लेकिन हिंदूवादी संगठनों के कुछ वर्ग इसे सनातन संस्कृति का प्रतीक मानते हैं। समय-समय पर ताजमहल को लेकर धार्मिक और सांस्कृतिक विवाद उभरते रहते हैं, जो इसे एक सांस्कृतिक धरोहर से अधिक धार्मिक और राजनीतिक बहस का केंद्र बना देते हैं।