UP Govt ने मृतक आश्रितों की भर्ती नियम में किया बड़ा बदलाव ,जानिए क्या है नया नियम?

उत्तर प्रदेश सरकार ने मृतक सरकारी कर्मचारियों के आश्रितों की भर्ती नियम बदले है अब आश्रितों को केवल उसी समूह में नौकरी मिलेगी जिसमें मृतक कार्यरत था। इससे पहले की तुलना में विकल्प सीमित होंगे और ऊंचे पद पर नियुक्ति की संभावना नहीं रहेगी।

UP govt dependent recruitment rules

UP Govt Changes Rules for Dependent Recruitment: उत्तर प्रदेश सरकार ने सरकारी कर्मचारियों के मृतक आश्रितों की भर्ती नियमावली में बड़ा बदलाव किया है। अब यदि कोई सरकारी कर्मचारी अपनी सेवा के दौरान निधन हो जाता है, तो उसके परिवार के सदस्य को उसी समूह (Group) में नौकरी मिलेगी, जिसमें मृतक कार्यरत था। इसका मतलब यह है कि पहले की तरह योग्यता के आधार पर उच्च पद पर नियुक्ति नहीं होगी।

पहले क्या था नियम?

पहले के नियमों के तहत, यदि मृतक आश्रित की शैक्षिक योग्यता किसी ऊंचे पद के लिए उपयुक्त होती थी, तो उसे उच्च समूह में नौकरी मिल सकती थी। उदाहरण के लिए, यदि कोई कर्मचारी समूह ‘ग’ के पद पर कार्यरत था और उसके आश्रित की योग्यता ज्यादा थी, तो उसे समूह ‘घ’ या उससे भी उच्च पद पर नियुक्त किया जा सकता था। इससे आश्रितों को अधिक विकल्प और लचीलापन मिलता था।

नए नियम के अनुसार

कार्मिक विभाग के प्रमुख सचिव एम. देवराज की ओर से जारी संशोधित नियमावली में स्पष्ट किया गया है कि अब मृतक आश्रितों को केवल उसी समूह में नौकरी मिलेगी, जिसमें मृतक कर्मचारी कार्यरत था। हालांकि, इसमें कुछ अपवाद भी हैं। उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (UPPSC) के दायरे में आने वाले पदों पर मृतक आश्रितों को नियुक्ति नहीं दी जाएगी। इसका मतलब यह है कि केवल समूह ‘ग’ और ‘घ’ के पदों पर ही आश्रितों को नौकरी मिलेगी।

किन पदों पर नियुक्ति नहीं होगी

नए नियमों के तहत, समूह ‘ग’ के उन पदों पर भी मृतक आश्रितों को नौकरी नहीं मिलेगी, जो पहले UPPSC के अंतर्गत थे और अब उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UPSSSC) के दायरे में आते हैं। इसका मतलब यह है कि नौकरी के विकल्प पहले की तुलना में अब काफी सीमित हो गए हैं।

इस बदलाव का असर

इस नियम बदलाव से मृतक आश्रितों के लिए नौकरी पाने की प्रक्रिया पहले जैसी लचीली नहीं रहेगी। पहले जहां योग्यता के आधार पर ऊंचे पदों पर नियुक्ति मिल सकती थी, अब केवल उसी समूह में नौकरी मिलेगी जिसमें उनके परिवार का सदस्य कार्यरत था। सरकार का यह कदम नियमों को और पारदर्शी बनाने की दिशा में बताया जा रहा है, लेकिन कई लोगों का मानना है कि इससे मृतक आश्रितों के अवसर सीमित हो जाएंगे।

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