यूपी में शुरू हुआ SIR अभियान: 22 साल बाद मतदाता सूची का बड़ा पुनरीक्षण, हर वोटर की होगी सटीक जांच

उत्तर प्रदेश में 22 साल बाद शुरू हुआ 'स्पेशल इंटेंसिव रिविजन' (SIR) अभियान। चुनाव आयोग मतदाता सूची को 100% सटीक बनाने के मिशन पर है—डुप्लिकेट नाम हटेंगे, नए वोटर जुड़ेंगे, और हर नागरिक से होगी घर-घर जांच।

UP SIR

UP SIR campaign: उत्तर प्रदेश में लोकतंत्र की मजबूती के लिए एक ऐतिहासिक कवायद शुरू हो चुकी है। राज्य में 22 साल बाद एक बार फिर ‘स्पेशल इंटेंसिव रिविजन’ (SIR) यानी विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान शुरू किया जा रहा है। चुनाव आयोग का यह कदम मतदाता सूची को 100% सटीक, पारदर्शी और त्रुटि-मुक्त बनाने की दिशा में एक बड़ा प्रयास है। इस प्रक्रिया में मृतकों, स्थानांतरित हुए लोगों और डुप्लिकेट नामों को हटाया जाएगा, जबकि 18 वर्ष पूरी कर चुके युवाओं को नई सूची में जोड़ा जाएगा। अक्टूबर 2025 से शुरू होने वाली यह प्रक्रिया पंचायत और विधानसभा चुनावों से पहले पूरी कर ली जाएगी। आयोग ने इसे ‘जन-सहभागिता और पारदर्शिता’ का सबसे बड़ा अभियान बताया है।

उत्तर प्रदेश में अब मतदाता सूची की एक बड़ी सर्जरी शुरू होने जा रही है। चुनाव आयोग ने ‘स्पेशल इंटेंसिव रिविजन’ (UP SIR) योजना को मंजूरी दे दी है, जो राज्य में वर्ष 2003 के बाद पहली बार लागू हो रही है। आयोग का लक्ष्य है कि प्रदेश की 15 करोड़ से अधिक मतदाता सूची को पूरी तरह से सटीक और अपडेट किया जाए, ताकि भविष्य के पंचायत और विधानसभा चुनावों में फर्जी वोटिंग और नामों की गड़बड़ियों पर अंकुश लगाया जा सके।

इस प्रक्रिया के तहत बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) घर-घर जाकर वोटरों से संपर्क करेंगे। जिन मतदाताओं के नाम 2003 की सूची में मौजूद हैं, उन्हें किसी अतिरिक्त दस्तावेज की आवश्यकता नहीं होगी। BLO उनके नाम पहले से भरे हुए फॉर्म में दिखाकर केवल हस्ताक्षर करवाएंगे। वहीं, जिन वोटरों के नाम बाद में जोड़े गए हैं, उन्हें पहचान और पते के दस्तावेज दिखाने होंगे। आयोग के मुताबिक, करीब 70% वोटर ऐसे हैं जिन्हें दस्तावेज नहीं दिखाने होंगे, जबकि शेष 30% को आवश्यक प्रमाण प्रस्तुत करना होगा।

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UP SIR दस्तावेजों में आधार कार्ड, वोटर आईडी, पैन कार्ड, पासपोर्ट, राशन कार्ड, बैंक पासबुक या बिजली बिल जैसे कागजात मान्य होंगे। खासतौर पर 18-19 वर्ष के नए वोटरों को जन्म प्रमाण पत्र या 10वीं की मार्कशीट प्रस्तुत करनी होगी। इसके अलावा, 1 जुलाई 1987 के बाद जन्मे व्यक्तियों को माता-पिता के दस्तावेज भी दिखाने पड़ सकते हैं। आयोग ने स्पष्ट किया है कि बिना सत्यापन किसी का नाम नहीं हटाया जाएगा, और हर नाम हटाने से पहले स्पीकिंग ऑर्डर जारी किया जाएगा।

अगर कोई वोटर BLO से सहयोग नहीं करता या दस्तावेज नहीं देता, तो उसका नाम ‘अक्रिय’ घोषित किया जा सकता है या सूची से हटाया जा सकता है। बिहार में ऐसी ही प्रक्रिया के दौरान लाखों नाम हटे थे, जिससे विवाद हुआ था। इसी अनुभव से सबक लेते हुए यूपी में पारदर्शिता को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जा रही है। आयोग ने सभी राजनीतिक दलों को ड्राफ्ट लिस्ट उपलब्ध कराने और जनता को आपत्तियां दर्ज कराने का अवसर देने का निर्देश दिया है।

UP SIR वोटर अपने नाम की स्थिति voters.eci.gov.in या nvsp.in वेबसाइट पर EPIC नंबर या मोबाइल नंबर से जांच सकते हैं। आयोग की हेल्पलाइन 1800-111-111 पर भी सहायता मिल सकती है।

अंततः, UP SIR केवल एक प्रशासनिक प्रक्रिया नहीं बल्कि लोकतंत्र की जड़ों को और मजबूत करने का प्रयास है। यह सुनिश्चित करेगा कि सही मतदाता सूची में शामिल हों और गलत नाम हटाए जाएं। आयोग का कहना है—“आपका वोट, आपकी पहचान। इसे सुरक्षित रखना आपकी जिम्मेदारी है।”

 

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