US Sanctions on Indian Companies:अमेरिका ने एक बार फिर ईरान के खिलाफ सख्त रुख अपनाया है। उसका आरोप है कि कई देश और कंपनियाँ अभी भी ईरान के तेल, पेट्रोलियम उत्पादों और पेट्रोकेमिकल व्यापार से जुड़ी हुई हैं, जिससे अमेरिका द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों का उल्लंघन हो रहा है। इसी के तहत अमेरिकी विदेश विभाग ने ईरानी तेल व्यापार में शामिल होने के आरोप में करीब 40 व्यक्तियों, संस्थाओं और जहाजों पर प्रतिबंध लगाए हैं। इसके साथ ही, अमेरिकी वित्त विभाग के विदेशी संपत्ति नियंत्रण कार्यालय (OFAC) ने भी ईरान से अन्य देशों तक तेल और तरलीकृत पेट्रोलियम गैस (LPG) की आपूर्ति को बढ़ावा देने में शामिल 60 व्यक्तियों, कंपनियों और जहाजों को प्रतिबंधित किया है। यह कार्रवाई अमेरिका के उस अभियान का हिस्सा है जिसका उद्देश्य ईरान की तेल आय को सीमित करना और उस पर आर्थिक दबाव बढ़ाना है।
अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि ईरान की तेल बिक्री से होने वाली आमदनी का एक बड़ा हिस्सा क्षेत्र में अस्थिरता फैलाने वाले संगठनों और गतिविधियों के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। इसलिए, इस व्यापार में शामिल किसी भी देश, कंपनी या व्यक्ति पर सख्त कदम उठाए जाएंगे।
भारतीय कंपनियाँ भी आईं निशाने पर
इस कार्रवाई में भारत की आठ कंपनियाँ भी शामिल की गई हैं। अमेरिका का दावा है कि ये कंपनियाँ ईरान से प्रतिबंधित पेट्रोकेमिकल उत्पादों का आयात कर रही थीं और उन्हें तीसरे देशों के माध्यम से आगे बेच रही थीं।
इन कंपनियों में मुंबई स्थित सी.जे. शाह एंड कंपनी, केमोविक, मोदी केम, पारीकेम रिसोर्सेज, इंडिसोल मार्केटिंग, हरेश पेट्रोकेम और शिव टेक्सकेम, और दिल्ली की बीके सेल्स कॉर्पोरेशन शामिल हैं। अमेरिकी विदेश विभाग के अनुसार, इन कंपनियों ने पिछले कुछ वर्षों में करोड़ों रुपये मूल्य के ईरानी मूल के पेट्रोकेमिकल उत्पाद खरीदे हैं, जो अमेरिकी कानूनों के तहत प्रतिबंधित हैं।
अमेरिका ने यह भी कहा है कि इन कंपनियों ने व्यापार के लिए फर्जी दस्तावेजों और मध्यस्थ एजेंसियों का इस्तेमाल किया, जिससे ईरान की तेल बिक्री छिपाई जा सके।
भारतीय नागरिक भी शामिल, नामों का खुलासा
इन कंपनियों के साथ-साथ अमेरिकी राज्य विभाग ने पांच भारतीय नागरिकों के नाम भी अपनी प्रतिबंध सूची में जोड़े हैं। इनमें शामिल हैं।
पीयूष मगनलाल जाविया (केमोविक के निदेशक)
नीति उन्मेश भट्ट (इंडिसोल मार्केटिंग निदेशक)
कमला कसाट, कुणाल कसाट, और पूनम कसाट (हरेश पेट्रोकेम के निदेशक)
अमेरिकी रिपोर्ट के मुताबिक, इन लोगों ने मिलकर ईरानी मूल के पेट्रोकेमिकल उत्पादों की खरीद, भुगतान और ट्रांसपोर्टेशन में अहम भूमिका निभाई थी।
ईरानी LPG ट्रांसपोर्ट में भी भारतीयों की भूमिका
अमेरिकी वित्त विभाग (OFAC) ने इसके अलावा तीन भारतीय नागरिकों वरुण पुला, इयप्पन राजा और सोनिया श्रेष्ठ को भी प्रतिबंधित किया है। उन पर आरोप है कि वे ईरानी तरलीकृत पेट्रोलियम गैस (LPG) की शिपमेंट से जुड़े जहाजों के संचालन में शामिल थे।
OFAC ने मुंबई की शिपिंग कंपनी वेगा स्टार शिप मैनेजमेंट को भी अपनी सूची में जोड़ा है। रिपोर्ट के अनुसार, यह कंपनी सोनिया श्रेष्ठ की स्वामित्व वाली है। इस कंपनी का जहाज नेप्टा, जो कोमोरोस देश के झंडे के तहत पंजीकृत है, पाकिस्तान में ईरानी LPG की सप्लाई के लिए इस्तेमाल किया गया था।
चीन और यूएई की कंपनियाँ भी शामिल
इस बार अमेरिका ने सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि चीन और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) की कई कंपनियों को भी निशाने पर लिया है। अमेरिकी विदेश विभाग ने कहा कि इन देशों की कुछ कंपनियाँ ईरान से तेल और पेट्रोकेमिकल उत्पाद खरीदने और उन्हें आगे बेचने में मदद कर रही थीं।
अमेरिका का कहना है कि ये प्रतिबंध न केवल ईरान की आर्थिक गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए हैं, बल्कि अवैध वैश्विक व्यापार नेटवर्क को भी खत्म करने की दिशा में एक बड़ा कदम हैं।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया और असर
इन नए प्रतिबंधों से भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक संबंधों पर असर पड़ सकता है। हालांकि भारत ने अब तक इस मुद्दे पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम भारतीय कंपनियों को अंतरराष्ट्रीय व्यापार में पारदर्शिता बनाए रखने का सख्त संदेश देता है। साथ ही, यह दर्शाता है कि अमेरिका अब किसी भी देश को ईरान के साथ अवैध तेल व्यापार की अनुमति नहीं देना चाहता।