Public Works Department: वित्तीय अधिकार बढ़ाने और पदोन्नति व्यवस्था सुधारने से परियोजनाओं में तेजी, पारदर्शिता और तकनीकी गुणवत्ता सुनिश्चित होगी
उच्च स्तर पर अनुमोदन की आवश्यकता कम होने से निविदा, अनुबंध और कार्यारंभ की प्रक्रिया में तेजी आएगी। यह सुधार वित्तीय अनुशासन बनाए रखते हुए प्रशासनिक दक्षता और पारदर्शिता बढ़ाने में मदद करेगा।
वित्तीय अधिकारों का पुनर्निर्धारण
लोक निर्माण विभाग की शुक्रवार की बैठक में यह जानकारी सामने आई कि विभाग के अधिकारियों के वित्तीय अधिकार वर्ष 1995 में तय किए गए थे। इस दौरान निर्माण कार्यों की लागत में लगभग 5.5 गुना वृद्धि हो चुकी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि वर्तमान परिस्थितियों में वित्तीय अधिकारों का पुनर्निर्धारण जरूरी है, ताकि निर्णय प्रक्रिया तेज़ हो और परियोजनाओं का क्रियान्वयन समय पर हो सके।
अपर मुख्य सचिव ने मुख्यमंत्री को सिविल, विद्युत और यांत्रिक कार्यों के लिए वित्तीय अधिकारों की वर्तमान स्थिति बताई। बैठक में तय हुआ कि सिविल कार्यों के लिए अधिकार सीमा 5 गुना तक बढ़ाई जाएगी और विद्युत एवं यांत्रिक कार्यों के लिए कम से कम 2 गुना तक बढ़ाया जाएगा।
मुख्यमंत्री के निर्णय के अनुसार:
मुख्य अभियंता अब 2 करोड़ से 10 करोड़ रुपए तक के कार्यों की स्वीकृति दे सकेंगे।
अधीक्षण अभियंता के अधिकार 1 करोड़ से 5 करोड़ तक बढ़ेंगे।
अधिशासी अभियंता के वित्तीय अधिकार 40 लाख से 2 करोड़ किए जाएंगे।
सहायक अभियंता को भी छोटे कार्यों और टेंडर स्वीकृति का अधिकार अधिक मिलेगा।
यह पुनर्निर्धारण लगभग तीन दशकों के बाद हो रहा है।
वेतनमान और सेवा संरचना का पुनर्गठन
बैठक में उत्तर प्रदेश अभियंता सेवा (लोक निर्माण विभाग) नियमावली, 1990 में संशोधन पर चर्चा हुई। इसमें विद्युत और यांत्रिक वर्ग की सेवा संरचना, पदोन्नति प्रक्रिया और वेतनमान को वर्तमान आवश्यकताओं के अनुसार अपडेट किया गया है।
संशोधित नियमावली में पहली बार मुख्य अभियंता (स्तर-एक) का पद शामिल किया गया है। इसके साथ ही मुख्य अभियंता (स्तर-दो) और अधीक्षण अभियंता के पदों की संख्या बढ़ाई गई। नए पदों के लिए पदोन्नति का स्रोत, प्रक्रिया और वेतनमान स्पष्ट रूप से तय किया गया है।
पदोन्नति की प्रक्रिया में पारदर्शिता
मुख्य अभियंता (स्तर-एक) के पद पर पदोन्नति अब मुख्य अभियंता (स्तर-दो) की वरिष्ठता के आधार पर होगी। इसी तरह अन्य पदों पर भी पदोन्नति की प्रक्रिया नियमावली में स्पष्ट की गई है। सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुसार अधिशासी अभियंता से लेकर मुख्य अभियंता (स्तर-एक) तक के वेतन और पे-लेवल तय किए गए हैं। चयन समिति की संरचना को अद्यतन किया गया है, ताकि पदोन्नति और नियुक्ति पूरी तरह पारदर्शी और निष्पक्ष हो।
मुख्यमंत्री ने कहा कि लोक निर्माण विभाग राज्य की विकास परियोजनाओं में मुख्य भूमिका निभाता है। इसलिए अभियंताओं की सेवा नियमावली को समयानुकूल, व्यावहारिक और पारदर्शी बनाना बेहद जरूरी है। योग्यता, अनुभव और वरिष्ठता के आधार पर पदोन्नति से विभाग की कार्यकुशलता, तकनीकी गुणवत्ता और सेवा भावना को नई दिशा मिलेगी।



