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आगरा ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र में क्या है लोगों की राय ?

आगरा ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र में क्या है लोगों की राय ? इस सीट पर बीजेपी की साख दांव पर…

आगरा में कुल 9 विधानसभा सीटें है। और सभी सीटे फिलहाल बीजेपी के पाले में है। बीजेपी ने सभी सीटों पर अपने प्रत्याशियों के नामों का ऐलान कर दिया है। जिसमें बीजेपी ने 9 में 5 विधायकों के टिकट काट दिए हैं। उन्हीं में से एक है हेमलता दिवाकर। जो आगरा ग्रामीण से विधायक है। बीजेपी ने हेमलता का टिकट काटकर उत्तराखंड की पूर्व राज्यपाल बेबी रानी मौर्या को चुनावी मैदान में उतारा है। जिसके बाद ये सीट हॉट सीट बन गई है, जिसपर सभी की नजर है। आगरा में 10 फरवरी (पहला चरण) को वोटिंग होगी और 10 मार्च को नतीजे आएंगे।

क्या है वहां के लोगों की राय?

न्यूज1इंडिया की टीम आगरा ग्रामीण के धनोली ग्रामपंचायत पहुंची और वहां के लोगों की राय जानने की कोशिश की। टीम ने जब लोगों से बात की तो लोगों में बीजेपी के विधायक को लेकर खासा नाराजगी देखने को मिली। लोगों का कहना था कि विधायक हेमलता दिवाकर ने आगरा ग्रामीण क्षेत्र में ना तो सफाई पर कभी ध्यान दिया और ना ही कोरोना काल में लोगो का साथ दिया। कुछ लोगों ने कहा कि योगी सरकार तो अच्छे काम कर रही है, योजनाएं अच्छी ला रही है पर धरातल पर उन योजनाओं का कोई असर नजर नहीं आ रहा। वहीं विधायक हेमलता ने कभी लोगों से उनकी समस्या जानने की कोशिश नहीं की। हालांकि कुछ युवा और व्यापारी वर्ग के लोगो का कहना है कि योगी सरकार में गुंडागर्दी कम हुई है, गरीबों की लिए कई योजनाएं लाई गई हैं, महिलाएं भी सुरक्षित हैं। कुल मिलाकर आगरा ग्रामीण के लोग सरकार के कामकाज से तो खुश है पर विधायक से नाराज नजर आए।

बीजेपी ने क्यों काटा विधायक हेमलता दिवाकर का टिकट?

दरअसल बीजेपी टिकट देने से पहले टिकट के दावेदारों का रिपोर्ट कार्ड चेक करती है। जिसमें आगरा ग्रामीण की विधायक हेमलता दिवाकर फेल साबित हुई। जिसको देखते हुए बीजेपी ने सीटिंग विधायक का टिकट काटते हुए पूर्व राज्यपाल बेबी रानी मौर्या पर दांव लगाया है।

विधानसभा सीट का इतिहास

2008 के परिसीमन के बाद ये सीट अस्तिव में आई। ये सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीट है। आगरा ग्रामीण सीट पर पहली बार 2012 में विधानसभा चुनाव हुए। और तब यहां पर बसपा की प्रत्याशी काली चरण सुमन ने जीत दर्ज की। वहीं 2017 में मोदी लहर के चलते ये सीट बीजेपी के खाते में गई और बीजेपी प्रत्याशी हेमलता दिवाकर को यहां की जनता ने विधायक बनाया। आगरा ग्रामीण क्षेत्र में दलित (जाटव) और जाट दोनों समाज के अलग-अलग करीब 70 से 75 हजार वोट हैं। इसके अलावा बरौली अहीर और अजीजपुर आदि में यादव, लोधी, कुशवाह समेत कई पिछड़ी जातियों की आबादी है।

कौन कौन चुनावी मैदान में?

बीजेपी ने इस सीट पर उत्तराखंड की पूर्व राज्यपाल और आगरा की मेयर रह चुकी बेबी रानी मौर्य पर दांव लगाया है। वहीं बसपा ने किरन प्रभा केसरी को चुनावी मैदान में उतारा है। इसके अलावा सपा और आरएलडी गठबंधन ने महेश जाटव पर भरोसा जताया है। तो वहीं कांग्रेस ने प्रदेश उपाध्यक्ष उपेन्द्र सिंह पर दांव लगाया है। देखना होगा कि क्या बीजेपी इस सीट पर दोबारा कमल खिलाने में कामयाब हो पाती है?

सियासी सफर

बेबी रानी मौर्या साल 1995 से 2000 तक आगरा की मेयर रह चुकी हैं। इसके अलावा राज्य बाल आयोग और राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य भी रह चुकी हैं। साल 2007 में उन्होनें एत्मादपुर सीट से भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ा था, पर तब उन्हें हार का सामना करना पड़ा। उत्तराखंड के राज्यपाल के तौर पर बेबी रानी मौर्य बीते 26 अगस्त 2021 को तीन साल का कार्यकाल पूरा किया था। इसके बाद सितंबर 2021 में उन्होंने राज्यपाल पद से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद भाजपा ने उन्हें राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बना दिया। जिसके बाद लगातार कयास लगाए जा रहे थे कि बीजेपी उन्हें विधानसभा चुनाव में उतार सकती है। और हुआ भी कुछ ऐसा ही। हालांकि अब देखना ये होगा कि बेबी रानी मौर्या आगरा ग्रामीण में दोबारा कमल खिलाने में कामयाब होती है या नहीं।  

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