Iqra Hasan Vande Mataram appeasement: संसद में ‘वंदे मातरम’ की 150वीं वर्षगांठ पर चर्चा के दौरान समाजवादी पार्टी की सांसद इकरा हसन ने तीखे तेवर दिखाए और सत्ताधारी पार्टी पर तुष्टिकरण की राजनीति करने का आरोप लगाया। उन्होंने न केवल राष्ट्रीय गीत में आए शब्दों ‘सुजलाम, सुफलाम’ का गहरा अर्थ समझाया, बल्कि 1998 की एक घटना का ज़िक्र करते हुए तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के एक फैसले पर सवाल उठाया। इकरा हसन ने पूछा कि यदि वाजपेयी जी ने उत्तर प्रदेश सरकार के राष्ट्रीय गीत को अनिवार्य करने वाले फैसले को पलट दिया था, तो क्या वह भी तुष्टिकरण कर रहे थे? उन्होंने जोर देकर कहा कि वाजपेयी राजधर्म निभा रहे थे, जो आजादी के समय से चली आ रही स्वैच्छिक भागीदारी की भावना के अनुरूप था।
कैराना सांसद ने भाजपा सरकार पर महानायकों के परामर्श पर प्रश्नचिह्न लगाने और उन्हें देश को बांटने वाला कहने का पाप करने का आरोप लगाया। इस दौरान उन्होंने यमुना नदी में बढ़ते प्रदूषण के चिंताजनक आंकड़ों का हवाला देते हुए सवाल किया कि यदि जल विषैला और किसान बर्बाद हैं, तो देश ‘सुजलाम, सुफलाम’ कैसे हो सकता है?
#WATCH | Delhi | On the debate in Lok Sabha on 150 years of Vande Mataram, Samajwadi Party MP Iqra Hasan says, "We kept our views in the Parliament and we are thrilled that we are celebrating the 150th anniversary of Vande Mataram. The other important issues are being ignored in… pic.twitter.com/kktUaUhFde
— ANI (@ANI) December 8, 2025
लोकसभा में इकरा हसन का तीखा प्रहार: वाजपेयी ने राजधर्म निभाया या तुष्टिकरण किया?
लोकसभा में वंदे मातरम के 150 साल पूरे होने पर हुई चर्चा में उत्तर प्रदेश की कैराना सीट से समाजवादी पार्टी की सांसद Iqra Hasan ने अपनी बात रखी। चर्चा के दौरान, उन्होंने राष्ट्रीय गीत के शब्दों और उसके ऐतिहासिक संदर्भ को लेकर सत्ताधारी भाजपा सरकार पर सीधा हमला बोला।
इकरा हसन ने सवाल किया कि जब सुभाष चंद्र बोस और रविंद्रनाथ टैगोर के परामर्श के बाद ही यह फैसला लिया गया था कि वंदे मातरम के किन छंदों को अपनाया जाए, तो क्या अब हम उन महानायकों की समझ पर प्रश्नचिह्न लगाएंगे? उन्होंने कहा, “उन महान हस्तियों ने वंदे मातरम के उस छंद को अपनाया जिन्होंने देश के हर वर्ग, हर धर्म को एक सूत्र में पिरोने का काम किया।”
1998 की घटना का ज़िक्र कर पूछा सवाल
सांसद ने तुष्टिकरण की परिभाषा और राजधर्म के अंतर को समझाने के लिए 1998 की एक महत्वपूर्ण घटना का ज़िक्र किया।
Iqra Hasan ने बताया कि 1998 में उत्तर प्रदेश सरकार के तत्कालीन मंत्री रविंद्र शुक्ला ने स्कूलों में राष्ट्रीय गीत गाना अनिवार्य कर दिया था। इस फैसले पर उस समय के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने, जो लखनऊ दौरे पर थे, नाराजगी जताई थी। वाजपेयी की आपत्ति के बाद यूपी सरकार को राष्ट्रीय गीत अनिवार्य करने वाले मंत्री को बर्खास्त करना पड़ा था।
इस घटना का हवाला देते हुए इकरा हसन ने तीखा सवाल पूछा, “जो विजन आजादी के समय लोगों के स्वेच्छा पर छोड़ने का था, उसी का पालन अटल बिहारी वाजपेयी ने किया था तो क्या वह भी मुस्लिम तुष्टिकरण कर रहे थे? नहीं, वह राजधर्म निभा रहे थे।”
‘सुजलाम, सुफलाम’ का समझाया गहरा अर्थ
Iqra Hasan ने इस बात पर जोर दिया कि वंदे मातरम के वास्तविक भाव को समझना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि यह गीत तो देश के जल, जंगल, हरियाली और निर्मल हवा को समर्पित है।
उन्होंने ‘सुजलाम, सुफलाम’ का अर्थ समझाते हुए कहा:
सुजलाम का अर्थ है, ऐसा देश जहाँ स्वस्थ और पर्याप्त जल हो, जहाँ नदियाँ ज़िंदा हों।
सुफलाम का अर्थ है, ऐसा देश जहाँ की धरती उपजाऊ हो और किसान खुशहाल हों।
इसके बाद, उन्होंने वर्तमान पर्यावरणीय स्थिति पर सरकार को घेरा। उन्होंने दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति की 2025 की एक रिपोर्ट का हवाला दिया, जिसके अनुसार यमुना नदी के कई हिस्सों में बायोलॉजिकल ऑक्सीजन डिमांड (BOD) स्तर 127 mg/लीटर तक पहुंच गया है। उन्होंने बताया कि किसी भी जीवित नदी के लिए यह स्तर 3 mg/लीटर से कम होना चाहिए।
सांसद ने सवाल उठाया, “जब पानी ज़हर हो जाएगा तो सुजलाम कैसे होगा? जब किसान बर्बाद हो जाएगा तो सुफलाम कैसे होगा?










