फर्रुखाबाद ऑनलाइन डेस्क। भारत में भगवान हनुमान जी के अनोकों प्राचीन और चमत्कारी मंदिर हैं, जहां पर हरदिन भक्तों का जनसैलाब उमड़ता है। एक ऐसा ही चमत्कारी मंदिर उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद जनपद में हैं। यहां हनुमान जी की प्रतिमा गाय के गोबर और मिट्टी से बनी है और जो करीब 500 वर्ष पुरानी है। प्रतिमा जब से मंदिर पर विराजमान हुई, तब से वह जस के तस है। बताया जा रहा है कि हनुमान जी के दरवार पर अंग्रेज भी मत्था टेकते थे।
उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद में भोलपुर में स्थित हनुमान गढ़ी मंदिर 500 वर्ष पुराना है। यहां मिट्टी और गोबर से बनी हनुमान जी की दुर्लभ प्रतिमा है। सुबह 8 बजे मंदिर के कपाट भक्तों के लिए खोल दिए जाते हैं। मंदिर पर सुबह से ही भक्तों की कतारें लग जाती हैं। यहां विशेष मंत्रोच्चारण के साथ रामभक्त हनुमान जी को चोला अर्पित किया जाता है। इसके साथ ही सुंदरकांड, हनुमान चालीसा और भजन संध्या जैसे विभिन्न धार्मिक कार्यक्रम भी आयोजित होते हैं। जिले के अलावा देश के कई राज्यों से भक्त मंगलवार और शनिवार को मंदिर पहुंचते हैं और हनुमान जी के दर पर आकर मन्नत मांगते हैं।
मंदिर के पुजारी बताते हैं कि हनुमान जी के दर पर भक्त मन्नत मांगते हैं। जब उनकी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं, तो वे मंदिर में 11 किलो से लेकर 160 किलो तक के धातु से बने के घंटे अर्पित करते हैं। पुजारी बताते हैं कि हनुमान जी की प्रतिमा 24 फीट ऊंची है और वह गाय के गोबर और मिट्टी से बनाई गई है। यह मूर्ति उत्तर प्रदेश की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत को संजोए हुए है। मुर्ति का निर्माण करीब पांच सौ वर्ष पहले किया गया था। तब से प्रतिमा जस के तस मंदिर में विराजमान है।
मंदिर के महंत मोहनदास जी महाराज ने बताया कि भले ही फर्रुखाबाद में कई हनुमान मंदिर हों, लेकिन भोलेपुर स्थित यह मंदिर इतिहास और आस्था दोनों के लिहाज से सबसे खास है। पुजारी बताते हैं कि एक बार अंग्रेजों का काफिला इस मंदिर के रास्ते से गुजर रहा था। बग्घी पर अंग्रेज कलेक्टर सवार था। अंग्रेज कलेक्टर और उसके सहयोगियों ने मंदिर को महत्वहीन बताया। लेकिन तभी एक घटना घटी और उनकी बग्गी सड़क पर पलट गई। इसके बाद, अंग्रेज कलेक्टी ने इस भव्य मंदिर के लिए मुख्य प्रवेश द्वार बनवाया। तब से यह मंदिर और भी अधिक श्रद्धा का केंद्र बन गया।
मंदिर के पुजारी का कहना है कि इस मंदिर की मान्यता है कि यहां सच्चे दिल से मांगी गई हर मुराद पूरी होती है। पुजारी बताते हैं कि करीब 500 साल पहले गुरु महाराज मुनि ने इस मंदिर की नींव रखी थी। पुजारी बताते हैं कि अंग्रेजों के खिलाफ जंग-ए-आजादी के वक्त क्रांतिकारी हनुमान जी के दर आकर पूजा-अर्चना करते थे। हनुमान जी की कृपा उन पर हर वक्त रहती थी। इतना ही नहीं अंग्रेजों की सेना व पुलिस भी मंदिर में आकर क्रांतिकारियों को पकड़ने से पहले सौ बार सोचने को मजबूर होती थी।