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69000 शिक्षक भर्ती: हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, ‘सद्भावनापूर्ण भूल’ पर बहाल होंगे शिक्षक

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सहायक अध्यापक भर्ती प्रक्रिया में मानवीय भूल और धोखाधड़ी के बीच एक स्पष्ट रेखा खींच दी है। कोर्ट ने उन शिक्षकों को बड़ी राहत दी है जिनकी नियुक्तियां आवेदन फॉर्म में मामूली विसंगतियों के कारण रद्द कर दी गई थीं।

Mayank Yadav by Mayank Yadav
December 17, 2025
in Latest News, उत्तर प्रदेश, प्रयागराज
Allahabad High Court UP
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Allahabad High Court Verdict: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 69000 सहायक अध्यापक भर्ती मामले में मानवीय संवेदना और कानूनी सूझबूझ का परिचय देते हुए एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। न्यायमूर्ति मंजू रानी चौहान की पीठ ने स्पष्ट किया कि यदि किसी अभ्यर्थी से आवेदन के दौरान अनजाने में या ‘सद्भावनापूर्ण’ (Bonafide) त्रुटि हुई है और उससे उसे कोई अनुचित लाभ नहीं मिला, तो उसकी सेवा समाप्त करना न्यायोचित नहीं है।

कोर्ट ने इस आधार पर चार शिक्षकों—प्रीति, मनीष कुमार माहौर, रिंकू सिंह और स्वीटी शौकीन—की सेवा बहाली के आदेश दिए हैं। अदालत ने जोर दिया कि प्रशासन को ऐसी त्रुटियों के प्रति सहानुभूतिपूर्ण दृष्टिकोण अपनाना चाहिए जो धोखाधड़ी की श्रेणी में नहीं आतीं, ताकि योग्य शिक्षकों का भविष्य अनावश्यक तकनीकी कारणों से अंधकारमय न हो।

क्या है कोर्ट का मुख्य तर्क?

अदालत ने सुनवाई के दौरान ‘लाभदायक बनाम नुकसानदायक’ स्थिति के सिद्धांत पर जोर दिया। कोर्ट के फैसले के मुख्य बिंदु निम्नलिखित हैं:

  • सद्भावनापूर्ण त्रुटि (Bonafide Error): यदि अभ्यर्थी ने गलती से गलत अंक भरे हैं, लेकिन उन अंकों से उसकी मेरिट पर कोई ऐसा प्रभाव नहीं पड़ा जिससे उसे अनुचित लाभ मिला हो, तो उसे राहत मिलनी चाहिए।

  • धोखाधड़ी पर जीरो टॉलरेंस: कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यदि किसी अभ्यर्थी ने जानबूझकर अंक बढ़ाकर मेरिट में जगह बनाई है, तो उसे किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा। कोर्ट ने कहा, “धोखाधड़ी किसी भी पवित्र कृत्य को दूषित कर देती है।”

इन चार शिक्षकों की होगी वापसी

Allahabad High Court ने रिकॉर्ड की जांच के बाद पाया कि चार याचियों के मामले में अंकों की विसंगति जानबूझकर नहीं की गई थी।

  1. प्रीति

  2. मनीष कुमार माहौर

  3. रिंकू सिंह

  4. स्वीटी शौकीन

इन मामलों में विसंगति का कारण या तो विश्वविद्यालय द्वारा बाद में जारी की गई संशोधित मार्कशीट थी या फिर ऐसी मानवीय चूक जिससे उनकी योग्यता सूची (Merit List) पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा था।

बाकी याचिकाओं पर सख्त रुख

जहाँ एक ओर चार शिक्षकों को राहत मिली, वहीं Allahabad High Court ने उन अभ्यर्थियों की याचिकाओं को खारिज कर दिया जिन्होंने जानबूझकर अपने वास्तविक अंकों से अधिक अंक दर्शाए थे। न्यायालय ने माना कि गलत जानकारी देकर मेरिट में ऊपर आना एक गंभीर कृत्य है और इसे ‘मानवीय भूल’ मानकर माफ नहीं किया जा सकता।

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Tags: Allahabad High Court Verdict
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