Cough syrup case: कोडीन सिरप मामले में 2006 सोना लूट का आरोपी बर्खास्त सिपाही कहां से दबोचा गया, पुराने कांड फिर चर्चा में

कोडीन सिरप प्रकरण में आरोपी और 2006 सोना लूट कांड से जुड़े बर्खास्त सिपाही आलोक सिंह को लखनऊ में गिरफ्तार किया गया। बहाली के बाद भी वह विवादों में घिरा रहा और कई मामलों में उसका नाम सामने आता रहा।

Alok Singh arrested gold loot case

Prohibited syrup case: प्रतिबंधित सिरप प्रकरण से जुड़े मामले में बर्खास्त सिपाही आलोक सिंह को लखनऊ से गिरफ्तार कर लिया गया है। आलोक सिंह का नाम कोई नया नहीं है। वर्ष 2006 में प्रयागराज के एक व्यवसायी से करीब चार किलो सोना लूटने की बड़ी वारदात में भी वह आरोपी पाया गया था। उस समय एसओजी टीम के सिपाही आलोक सिंह और सुशील पचौरी सहित पाँच पुलिसकर्मियों पर गंभीर आरोप लगे थे। जांच में भूमिका साबित होने पर आलोक सिंह और सुशील पचौरी को तत्काल प्रभाव से पुलिस विभाग से निकाल दिया गया था और दोनों को जेल भी भेजा गया। हालांकि वर्ष 2022 में अदालत के आदेश पर आलोक सिंह को फिर से नौकरी पर बहाल कर दिया गया। बहाली के बाद उसके तेवर और अधिक आक्रामक होते गए और पुलिस अधिकारियों के अनुसार उसका व्यवहार पहले जैसा ही बना रहा।

बाहुबली पूर्व सांसद से बढ़ी नजदीकियां

बहाली के बाद भी आलोक सिंह का कामकाज सुधारने के बजाय और बिगड़ता गया। वह पूर्वांचल के एक बाहुबली पूर्व सांसद के संपर्क में आ गया, जिसके बाद उसका नाम कई संदिग्ध घटनाओं में सामने आने लगा। पहले उसने अपना तबादला यूपी पावर कारपोरेशन में करवा लिया, फिर उसकी तैनाती लखनऊ पुलिस लाइन में कर दी गई। पुलिस लाइन में भी वह आरआई द्वारा दी गई ड्यूटी पर नहीं जाता था। इसके बाद नाका क्षेत्र में हुई एक लूट की घटना में उसका नाम सामने आया, जिसके चलते उसे लाइन हाजिर कर दिया गया।

पुराने मामलों से नाता कभी टूटा नहीं

पुलिस जांच में कई बार यह बात सामने आई कि आलोक सिंह का संपर्क उन बर्खास्त सिपाहियों से भी बना रहा, जिनका नाम 2006 के सोना लूट कांड में सामने आया था। बताया जाता है कि गाड़ियों के स्क्रैप कारोबार में भी एक पूर्व सिपाही की संदिग्ध भूमिका चार वर्ष पहले तत्कालीन आईपीएस अधिकारी प्राची सिंह ने उजागर की थी, लेकिन बाद में वह जांच पूरी नहीं हो सकी।

2006 सोना लूट मामले में ये नाम शामिल थे

वर्ष 2006 में जिस सोना लूट कांड ने पूरे प्रदेश को हिलाकर रख दिया था, उसमें तत्कालीन एसआई संतोष सिंह, बृजनाथ यादव, एसओजी के सिपाही आलोक सिंह, सुशील पचौरी, संतोष तिवारी, नीरज गुप्ता और सुभाष का नाम आया था। इस घटना ने पुलिस विभाग की छवि पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया था।

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