लखनऊ ऑनलाइन डेस्क। सीएम योगी आदित्यनाथ सोमवार को दिल्ली के दौरे पर थे। सीएम योगी ने गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की। यह मुलाकात करीब 35 मिनट तक चली। आधिकारिक तौर पर इस मुलाकात का मकसद 15 जून को लखनऊ में 60 हजार पुलिस भर्ती नियुक्ति पत्र का निमंत्रण देना था। लेकिन सियासी रूप से इस मुलाकात के मायने अलग निकाले जा रहे हैं। सूत्र बताते हैं कि दोनों नेताओं के बीच यूपी के अगले प्रदेश अध्यक्ष, मंत्रिमंडल विस्तार के साथ ही पंचायत चुनाव को लेकर मंथन हुआ है। सूत्र बताते हैं कि 15 जून को अमित शाह लखनऊ आएंगे और संगठन और सरकार के साथ मंथन करेंगे। इसी के बाद सूबे की बीजेपी को नया चीफ मिलेगा।
सीएम योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मिलने के लिए उनके आवास पर गए। दोनों नेताओं के बीच 35 मिनट तक कई मुद्दों पर चर्चा हुई। सबसे महत्वपूर्ण विषय था, यूपी बीजेपी के अध्यक्ष का चुनाव। पार्टी चाहती है कि 2027 के विधानसभा चुनाव से पहले संगठन को मजबूत किया जाए। पार्टी 2027 के विधानसभा चुनाव और 2026 के पंचायत चुनावों को ध्यान में रखते हुए जल्द ही नए प्रदेश अध्यक्ष का ऐलान करेगी। बीजेपी मिशन-27 से पहले बूथ स्तर तक अपनी पकड़ मजबूत करना चाहती है। इसलिए प्रदेश अध्यक्ष का चयन बहुत सोच-समझकर किया जा रहा है। यूपी बीजेपी अध्यक्ष के लिए कई नाम सामने आ रहे हैं, लेकिन अभी तक किसी एक नाम पर मुहर नहीं लगी है।
माना जा रहा है कि बीजेपी यूपी में ओबीसी या दलित नेता को अध्यक्ष बना सकती है। इसकी वजह सपा प्रमुख अखिलेश यादव का पीडीए फॉर्मूला भी माना जा रहा है। यूपी बीजेपी अध्यक्ष पद के लिए कई नेताओं के नाम चर्चा में हैं। ओबीसी वर्ग से पशुधन मंत्री धर्मपाल सिंह और केंद्रीय मंत्री बीएल वर्मा के नाम पर विचार किया जा रहा है। दलित वर्ग से विद्यासागर सोनकर और विनोद सोनकर का नाम भी आगे चल रहा है। इनके अलावा पूर्व प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह का नाम भी रेस में बताया जा रहा है। सूत्र बताते हैं कि बीजेपी का अगला अध्यक्ष कुर्मी समाज से हो सकता है। 2024 के लोकसभा चुनाव में कर्मी समाज का वोटर्स बड़े पैमाने पर इंडिया गठबंधन के साथ चला गया था। यही वजह रही कि बीजेपी कुर्मी बाहूल्य सीटें नहीं जीत पाई।
पार्टी सूत्रों के अनुसार, साल 2024 के लोकसभा में चुनाव के रिजल्ट और आने वाले 2027 के विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए बीजेपी यूपी में अध्यक्ष के नाम का ऐलान करेगी। इसका मतलब है कि बीजेपी हर पहलू पर विचार कर रही है। सूत्र बताते हैं कि प्रदेश अध्यक्ष के चयन से पहले योगी मंत्रिमंडल का विस्तार हो सकता है। सूत्र बताते हैं कि योगी सरकार के कुछ मंत्रियों की छुट्टी हो सकती है। उन्हें संगठन का काम सौंपा जा सकता है। नए मंत्रियों में दलित चेहरे ज्यादा हो सकते हैं। सूत्र बताते हैं कि मिल्कीपुर सीट से उपचुनाव में विधायक चुने गए चंद्रभानु पासवान को मंत्रिमंडल में जगह मिल सकती है। चंद्रभानु पासी समाज से आते हैं। यूपी में करीब दर्जनभर सीटों पर पासी समाज जीत-हार में अहम रोल निभाते हैं।
राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि आगामी विधानसभा सत्र और 2027 के विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए बीजेपी मंत्रिमंडल में क्षेत्रीय और सामाजिक संतुलन साधने की रणनीति पर काम कर रही है। इसका उद्देश्य सरकार की नीतियों को धरातल पर तेज़ी से लागू करना और संगठनात्मक मजबूती को बढ़ाना है। हालांकि, इस संभावित विस्तार को लेकर अभी तक कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है। लेकिन संकेत स्पष्ट हैं कि योगी सरकार जल्द ही नए चेहरों के साथ मंत्रिमंडल को फिर से सजाने की तैयारी में है। इससे पहले भी योगी सरकार ने बुनियादी ढांचे, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में कई अहम फैसले लिए हैं। माना जा रहा है कि नई ऊर्जा और उत्साह के साथ इन योजनाओं को और गति देने के लिए मंत्रिमंडल विस्तार जरूरी हो गया है।