अमरोहा: सोशल मीडिया पर एक बड़ा मामला सामने आया है जिसने धर्म को लेकर एक नई बहस को जन्म दे दिया है नक्शा पास करने के लिए अमरोहा में एक कारोबारी ने पहले रिश्वत में डेढ़ लाख रुपए दिए और जब उसका काम नहीं हुआ तो अधिकारियों पर दबाव बनाने के लिए मुस्लिम टोपी लगाकर अपना फोटो सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया कारोबारी ने कहा कि उसका काम नहीं हुआ है वह मानसिक रूप से परेशान है इसलिए अब वह हिंदू धर्म में नहीं रहना चाहता।
नक्शा पास कराने के लिए धर्म का दबाव
अमरोहा की नगर पंचायत सैद नंगली में निवासी अशोक पैसल ने अपने भवन का नक्शा पास करने के लिए अनापत्ति पत्र मांगा था, आरोप है कि नक्शा पास करने के लिए संबंधित नगर पालिका के अधिशासी अभियंता को डेढ़ लाख रुपए की रिश्वत की पेशकश उसने दी अधिकारी के एक चेहते ठेकेदार सत्यम के पास पैसे रखवा दिए , यह जानते हुए भी की रिश्वत देना या इसकी पेशकश करना भी एक अपराध है यह अभी तय नहीं हुआ है कि अधिशासी अधिकारी ने उनसे रिश्वत मांगी थी या नहीं, लेकिन यह तय है की नक्शा पास नहीं हुआ , यहां यह बात बताने जरूरी है कि अगर अधिकारी ने रिश्वत मांगी होती और उसने अपने चाहते ठेकेदार के पास पैसे रखवा दिए होते तो काम न होने का मतलब ही नहीं उठता।
जब काम रिश्वत की पेशकश से नहीं हुआ तो उसके बाद धर्म का इस्तेमाल होगा और वह भी धंधे के लिए चंद दिनों के बाद अशोक फैसल के सोशल मीडिया पर फोटो वायरल हुए, जिसमें उन्होंने मुस्लिम टोपी लगाकर धर्म परिवर्तन की चेतावनी दी। पीड़ित अशोक फैसल ने दो टूक कहा कि वह हिन्दु धर्म को छोड़कर मुस्लिम धर्म को अपना लेगा। नगर पंचायत अध्यक्ष ने डीएम को जाँच के लिए पत्र लिखा जिसके बाद डीएम ने जांच के आदेश दिए।
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सोशल मीडिया पर वायरल फोटो का मामला जिलाधिकारी तक पहुंचा तो उन्होंने संबंधित अधिकारियों को तलब कर लिया और उनकी क्लास लगाई और वहीं पूरे प्रकरण की जांच के आदेश भी दिए। इस पूरे मामले में डीएम का कहना है कि इसमें किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा।
रिश्वत देना और लेना दोनों ही है कानूनी जुर्म
इस मामले में सबसे बड़ा सवाल यही है कि लोहा कारोबारी अशोक फैसल ने ईओ सलिल भारद्वाज की अनैतिक मांग के आगे सरेंडर क्यों किया, क्या आज के वक्त में सबकुछ पैसा ही है यानि धर्म से बड़ा धंधा हो गया। चलिए सोशल मीडिया पर मुस्लिम टोपी लगाकर वायरल फोटो के एक ओर पहलू को देखते है अगर अशोक पैसल अपने आप में सही थे और भवन के लिए नक्शा पास कराने के मानक पूरे थे तो फिर उन्होंने रिश्वत क्यों दी, अशोक पैसल ने धंधे के लिए धर्म को निशाने पर ले लिया और धर्म के साफ्ट टारगेट को लेकर अलग ही माहौल बना दिया। अब सवाल ये उठता है कि अशोक पैसल के इस पब्लिसिटी स्टंट से शांति व्यवस्था भंग होने की स्थिति पैदा होती है तो फिर उसका जिम्मेदार कौन होगा।
सूत्रों के मुताबिक आरोप लगाने वाले व्यापारी खुद RSS से ताल्लुक रखते हैं। अगर कोई अधिकारी उनसे पैसे मांग रहा था तो उन्होंने इसकी शिकायत RSS से क्यों नहीं की, जिलाधिकारी से शिकायत क्यों नहीं की नगर पालिका अध्यक्ष के पास वह क्यों नहीं गए। ऐसे बहुत सारे सवाल हैं जो कहीं ना कहीं इशारा करते हैं कि यह एक साजिश है।