मोकामा की जीत का खुला रहा, बृजभूषण शरण सिंह ने कुछ ऐसे अनंत सिंह को जितवाया विधायकी का चुनाव

बृजभूषण शरण सिंह के चलते मोकामा सीट से विधायक चुने गए अनंत सिंह, बाहुबली नेता के जेल जाने के बाद गोंडा के पूर्व सांसद ने संभाली थी चुनाव की कमान।

लखनऊ ऑनलाइन डेस्क। कोई उनके दबदबे का कायल है तो कोई उनके दबदबे से बेइंतहा मोहब्बत करता है। यही वजह है कि जब वह लोगों को संबोधित करते हैं तो ऑन-बान और शान के साथ अक्सर यही कहते हैं दबदबा था, दबदबा है और आगे भी दबदबा रहेगा। यही दबदबे वाली छवि उन्हें अन्य नेताओं से अलग बनाती है। यही वजह है जब वह साल 1996 में जेल जाते हैं। जब बैरक के अंदर होते हैं, तब उनके पास तत्कालीन प्रधानमंत्री की एक चिट्ठी पहुंचती है। उसमें लिखा था, प्रिय बृजभूषण जी, सप्रेम नमस्कार। आपका समाचार मिला, नए सिरे से ज़मानत का प्रयास करना होगा, आप हिम्मत रखें, अच्छे दिन नहीं रहे, तो बुरे दिन तो निश्चित ही नहीं रहेंगे। आजन्म कैद की सज़ा काटने वाले सावरकर जी का स्मरण करें, पढ़ें, संगीत सुनें, खुश रहें, मैं शीघ्र आऊंगा। हारिये ना हिम्मत, बिसारिये ना हरि को नाम, जाहि विधी राखे राम, ताहि विधि रहिए। चिट्ठी लिखने वाले तत्कालीन प्रधानमंत्री का नाम है अटल बिहारी वाजपेयी था। केंद्र में 13 दिनों की सरकार चलाने वाले अटल पहली बार प्रधानमंत्री बने थे, जिस सांसद को उन्होंने ये बेहद भावुक और निजी तौर पर चिट्ठी लिखी थी, उनका नाम है बृजभूषण शरण सिंह था।

तो समझिए जिस नेता को खुद भारत रत्न अटल जी पत्र लिख सकते हैं, उसकी जमीन पर कैसी पकड़ होगी। यही वजह रही कि वह पीएम नरेंद्र मोदी के सबसे करीबियों में गिने जाते हैं। यही वजह है कि पूर्व सांसद बृजभूषण शरण सिंह का डंका दंगल के साथ-साथ सियासत में बजता है। देश में कहीं भी चुनाव होते हैं, वहां नेता जी अपने प्राईवेट हेलीकॉप्टर पर सवार होकर पहुंच जाते हैं। पार्टी और उम्मीदवार से इसके बदले कुछ नहीं लेते। इतना ही नहीं उम्मीदवारों को जिताने के लिए खुद की फौज को खुद के पैसे से उम्मीदवार की जीत पक्की करने के लिए मैदान पर उतारते हैं। ऐसा ही कुछ बिहार चुनाव में भी देखने को मिला। बृजभूषण शरण सिंह ने बिहार में कई रैलियां की। 50 से अधिक एनडीए उम्मीदवारों के पक्ष में जनसभाएं की। चुनाव के बीच मोकामा से जेडीयू उम्मीदवार अनंत सिंह मुश्किलों में फंस जाते हैं। उन्हें जेल जाना पड़ता है। अनंत सिंह जेल में होते हैं। ऐसे में वह जेल जाने से पहले अपने परममित्र को फोन लगाते हैं। मोकामा की कमान बृजभूषण शरण सिंह को सौंपते हैं। बृजभूषण शरण सिंह छोटे सरकार को विधायक बनाने के लिए पूरी रणनीति बनाते हैं।

मतदान होता है। मतगणना होती है। नतीजा आता है और अनंत सिंह विधायक का चुनाव जीत जाते हैं। ऐसे में हम आपको अनंत सिंह और बृजभूषण शरण के रिश्ते के बारे में बताते हैं। छोटे सरकार यानि अनंत सिंह की नजदीकियां बृजभूषण शरण सिंह और जौनपुर के पूर्वांचली बाहुबली धनंजय सिंह से कई बरसों से हैं बृजभूषण शरण सिंह और धनंजय सिंह की जोड़ी बिहार चुनाव में दिखी। बृजभूषण शरण सिंह ने मोकामा में जीतोड़ मेहनत की। धनंजय सिंह ने भी अनंत सिंह के पक्ष में बैटिंग की, यही वजह रही कि छोटे सरकार विधायक चुन लिए गए। इय चुनावी जीत के बाद बृजभूषण शरण सिंह ने अनंत सिंह को बधाई दी है। इस जीत पर खुशी जाहिर की है। इनसब के बीच बृजभूषण शरण सिंह और अनंत सिंह का इंटरनेट पर वायरल हो रहा एक 5 मिनट का व्हाट्सऐप वीडियो कॉल दोनों नेताओं की नजदीकी की गवाही देता है। वीडियो में बीजेपी नेता बृजभूषण शरण सिंह जिम में वर्कआउट करते दिखे और अनंत सिंह से चुनाव से लेकर राहुल गांधी की वोटर अधिकार यात्रा और पीएम नरेंद्र मोदी की मां पर आई टिप्पणी तक कई मुद्दों पर चर्चा की। अनंत सिंह ने कॉल के दौरान बृजभूषण शरण को मोकामा आने का आमंत्रण दिया। चुनाव प्रचार के लिए कहा। जिसे बृजभूषण शरण सिंह ने स्वीकार कर लिया।

फिर क्या था जदयू उम्मीदवार अनंत सिंह की गिरफ्तारी के बाद बृजभूषण सिंह खुद मोकामा पहुंचे। उन्होंने मंच से कहा कि आज हमारा बड़ा भाई जेल में है। अगर वो बाहर होते तो शायद हम न आते। उन्होंने अनंत को जिताने की अपील करते हुए कहा कि तट पर बैठकर लहरें गिनने से नौका पार नहीं होती। अब हम आपको अनंत सिंह के बारे में बताते हैं। 1967 में बिहार के बाढ़ क्षेत्र में जन्मे अनंत सिंह के परिवार का यूपी से आपराधिक और राजनीतिक नेटवर्क काफी पुराना है। उनसे ज्यादा प्रभावशाली थे उनके बड़े भाई दिलीप सिंह, जिन्हें ‘बड़े सरकार’ कहा जाता था। दरअसल, दिलीप सिंह 1985, 1990 और 1995 में मोकामा से विधायक चुने गए। रेलवे के ठेकों में उनका नेटवर्क गोरखपुर तक मजबूत था। उनके सबसे बड़े दुश्मन थे राजन तिवारी, जो यूपी के कुख्यात डॉन श्रीप्रकाश शुक्ल का करीबी था। 2006 में दिलीप सिंह की मौत के बाद अनंत सिंह ने कमान संभाली और तब से सूरजभान सिंह से उनकी कड़ी राजनीतिक रंजिश कायम हो गई। अनंत सिंह पर चुनाव के वक्त हत्या का आरोप लगा। पुलिस ने उन्हें जेल भेजा। तब बृजभूषण शरण सिंह ने अनंत सिंह को निर्दोष बताते हुए उनके लिए जमीन पर उतरकर बैटिंग की।

 

Exit mobile version