कानपुर। भारतीय जनता पार्टी ने करीब दो महिने की कड़ी मशक्कत के बाद रविवार को 68 जिलाध्यक्षों की सूची जारी कर दी। पार्टी हाईकमान ने अखिलेश यादव के पीडीए फार्मूले को मात देने के लिए जमीन से जुड़े नेताओं को जिले की कमान सौंपी हैं। इसी कड़ी में बीजेपी को कानपुर-बुंदेलखंड के 17 जिलों में से 12 के कप्तान मिल गए हैं। जबकि अभी भी 5 नामों को लेकर पार्टी के अंदर मंथन जारी है। 14 नए जिलाध्यक्षों के सामने सबसे बड़ी परीक्षा 2027 में होगी। इस परिक्षेत्र में 52 सीटें आती हैं। वर्तमान में 41 सीटों पर बीजेपी के विधायक हैं। जबकि 2017 में विधायकों की संख्या 47 थी।
12 जिलाध्यक्षों के नामों का ऐलान
लोकसभा चुनाव 2024 के बाद अब बीजेपी की नजर उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2027 पर है। पार्टी पूरी ताकत के साथ सूबे में तीसरी बार सरकार बनाने को लेकर जुट गई है। इसी कड़ी में भारतीय जनता पार्टी ने 98 संगठनात्मक जिलों में से 68 जिलों में जिलाअध्यक्षों का घोषणा की है। इन्हीं में से कानपुर-बुंदेलखंड परिक्षेत्र है। यहां बीजेपी का 2014 के बाद लगातार दबदबा बरकरार है। कानपुर-बुंदेलखंड परिक्षेत्र में 17 जिले आते हैं और 52 विधानसभा सीट। बीजेपी ने 17 जिलों में से 12 पर जिलाध्यक्षों की नियुक्ति कर दी है। जबकि चार जिलों पर अभी भी संस्पेंस बरकरार है।
कानपुर नगर, ग्रामीण-देहात को मिले जिलाध्यक्ष
कानपुर-बुंदेलखंड के जिलाध्यक्षों की घोषणा रविवार को केशव नगर स्थित बीजेपी के क्षेत्रीय मुख्यालय में चुनाव पर्यवेक्षक पूर्व विधान परिषद सदस्य जयप्रकाश चतुर्वेदी, उत्तर, दक्षिण एवं ग्रामीण जिले के चुनाव अधिकारी पूर्व सांसद संगम लाल गुप्ता, पूर्व सांसद कांता कर्दम, जय प्रकाश निषाद व क्षेत्रीय अध्यक्ष प्रकाश पाल ने पदाधिकारियों की मौजूदगी में की गई। कानपुर दक्षिण से जिलाध्यक्ष के रूप में 53 वर्ष के शिवराम सिंह के नाम की घोषणा की गई। उत्तर के जिलाध्यक्ष की कमान अनिल दीक्षित को सौंपी गई। वहीं कानपुर देहात में रेणुका सचान को जिलाध्यक्ष बना गया है।
इन्हें भी बनाया गया जिलाध्यक्ष
बीजेपी ने कानपुर-बुंदेलखंड के चित्रकुट की कमान महेंद्र कोटार्य को दी है। जबकि इटावा के जिलाध्यक्ष अरुण कुमार उर्फ अन्नू गुप्ता बनाए गए हैं। बांदा जिले की कुर्सी कल्लू राजपूत को दोबारा सौंपी गई है। हरदोई में अजीत सिंह बब्बन दोबारा जिलाध्यक्ष बने हैं। कन्नौज में वीर सिंह भदौरिया को जिलाध्यक्ष बनाया गया है। फर्रूखाबाद में फतेहचंद्र वर्मा को जिलाध्यक्ष की कुर्सी मिली है। औरैया में सर्वेश कठेरिया को जिलाध्यक्ष नियुक्त किया गया है। झांसी की कमान प्रदीप पटेल के हाथों में सौंपी गई है। महोबा जिले की कमान मोहनलाल कुशवाहा को दी गई है।
बीजेपी का गढ़ रहा है कानपुर-बुंदेलखंड
कानपुर-बुंदेलखंड बीजेपी का सबसे मजबूत गढ़ है। लोकसभा चुनाव 2019 में बीजेपी ने कानपुर-बुंदेलखंड की 10 लोकसभा सीटों में से 10 सीटों पर कमल खिलाया था। समाजवादियों का गढ़ कहे जाने वाले कन्नौज और इटावा में भगवा लहरा दिया था। हालांकि 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को इस क्षेत्र में हार उठानी पड़ी। बीजेपी सिर्फ पांच सीट ही जीत सकी। इसके साथ ही विधानसभा चुनाव 2022 में भी कानपुर-बुंदेलखंड की 52 विधानसभा सीटों में से बीजेपी 41 सीटों पर ही जीत दर्ज कर पाई थी। ऐसे में अब बीजेपी की नजर 2027 के विधानसभा चुनाव पर है। पार्टी ने जमीन के अंदर काम कर रहे विस्तारकों से इनपुट मिलने के बाद जिलाध्यक्षों के नामों का ऐलान किया।
बीजेपी नियुक्त करती है विस्तारक
बीजेपी ने कानपुर-बुंदेलखंड की सभी 52 विधानसभा सीटों पर लोकसभा चुनाव से पहले विस्तारकों को उतारा था। इसमें कानपुर लोकसभा सीट पर पीलीभीत के सुमित जायसवाल को विस्तारक बनाकर भेजा गया था। कानपुर देहात की अकबरपुर लोकसभा सीट पर गोंडा के हिमांशू सिंह विस्तारक बनाए गए थे। दरअसल, विस्तारकों को प्रतिदिन किसी मंडल या शक्ति केंद्र में प्रवास करना होता है। बूथ प्रबंधन और उनकी ग्रेडिंग करने, बूथ कार्यकारिणी को एक्टिव करने, बूथ स्तर पर लाभार्थी प्रमुख, मन की बात प्रमुख, कार्यक्रम प्रमुख, स्मार्ट फोन चलाने वाले युवाओं को सोशल मीडिया से जोड़ने और बाइक सवार युवाओं को सक्रिय कर बूथ टोली बनाने की जिम्मेदारी सौंपी जाती है।
रीढ़ की हड्डी होते हैं विस्तारक
विस्तारकों को संगठन की रीढ़ की हड्डी कहा जाता है। विस्तारक होने के लिए कुछ नियम और शर्तें भी हैं। संगठन जिन्हें विस्तारक बनाता है, उन्हें ट्रेनिंग दी जाती है। इसके साथ ही विस्तारक कम उम्र के लोगों को बनाया जाता है, शर्त है कि अविवाहित होने चाहिए। विस्तारक कुछ जोड़ी कपड़े लेकर घर से निकलते हैं। इसके बाद कई-कई महीनों तक घर नहीं जाते हैं। कई विस्तारक तो एक साल तक घर नहीं जाते हैं। उन्हें जिस क्षेत्र में तैनात किया जाता है, वहां संगठन की तरफ से विस्तारक का एक अभिभावक भी बनाया जाता है। अभिभावक विस्ताकर के खाने, रहने और जरूरत की चीजों को मुहैया कराता है।
कुछ इस तरह से काम करते हैं विस्तारक
विस्तारक क्षेत्र में प्रवास के दौरान प्रतिदिन सैकड़ों लोगों से बात करते हैं। वे पार्टी के कामकाज, स्थानीय जनप्रतिनिधी, सरकार की योजनाओं को लेकर फीडबैक लेते हैं। स्थानीय विधायक, सांसद, पार्टी के जिम्मेदार पदाधिकारी, बूथ कमेटी, पन्ना प्रमुख का कामकाज कैसा है, विस्तारक फीडबैक लेकर इसकी रिपोर्ट बनाकर संगठन को भेजते हैं। इसके साथ ही क्षेत्र में जहां पर जो कमियां होती हैं, उन्हें भी दुरुस्त करते हैं। वर्तमान सांसद, विधायक और संगठन में काम रहे नेताओं की क्षेत्र में कैसी छवि है। सभी के कामकाज के आधार पर रिपोर्ट तैयार करते हैं। विस्तारकों की रिपोर्ट के आधार पर ही सिटिंग विधायक या सांसद की टिकट काटी जाती है।