Another Constable Suicide in UP: उत्तर प्रदेश में पुलिस विभाग से जुड़ी एक और दर्दनाक खबर सामने आई है। अलीगढ़ में महिला सिपाही की आत्महत्या के बाद अब लखनऊ में तैनात एक युवक सिपाही ने खुदकुशी कर ली। यह घटना लखनऊ के आलमबाग थाना क्षेत्र के भीमनगर छोटा बरहा इलाके की है, जहां 27 वर्षीय सिपाही बालकृष्ण ने अपने किराए के कमरे में फांसी लगाकर जान दे दी।
बालकृष्ण पिछले दो साल से आलमबाग थाने में तैनात थे। वह मूल रूप से अलीगढ़ जिले के पिसावा क्षेत्र के रहने वाले थे। लखनऊ में वह अपने साथी सिपाही विनोद कुमार के साथ राकेश सिंह के मकान में किराए पर रह रहे थे। परिवार के अनुसार, फरवरी में उनकी शादी तय थी और घर में इसकी तैयारियां भी शुरू हो चुकी थीं।
फोन न उठने पर हुआ शक
शुक्रवार शाम बालकृष्ण का फोन लगातार बंद मिलने पर उनके भाई को चिंता हुई। उन्होंने बालकृष्ण के साथ रहने वाले सिपाही विनोद कुमार को फोन कर कमरे में जाकर देखने को कहा। उस वक्त विनोद ड्यूटी पर थे। रात करीब नौ बजे जब वह कमरे में पहुंचे, तो अंदर का नजारा देखकर उनके होश उड़ गए। बालकृष्ण फंदे से लटके हुए थे।
घटना की सूचना तुरंत आलमबाग थाने को दी गई। आनन-फानन में बालकृष्ण को फंदे से उतारकर अस्पताल ले जाया गया, लेकिन डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। इसके बाद परिवार को सूचना दी गई।
पुलिस और फोरेंसिक टीम की जांच
सूचना मिलते ही एसीपी कैंट अभय प्रताप मल्ल समेत पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी मौके पर पहुंचे। फोरेंसिक टीम ने कमरे की बारीकी से जांच की और साक्ष्य जुटाए। कमरे से कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है। पुलिस बालकृष्ण के मोबाइल फोन की कॉल डिटेल्स और अन्य पहलुओं की जांच कर रही है, ताकि आत्महत्या के कारणों का पता चल सके।
शाम को बाहर टहलते दिखे थे बालकृष्ण
साथी सिपाही विनोद कुमार ने बताया कि मोहल्ले के लोगों के अनुसार, घटना से कुछ देर पहले बालकृष्ण घर के बाहर टहल रहे थे। इसके बाद वह कमरे में चले गए। किसी को अंदाजा नहीं था कि कुछ ही समय में वह इतना बड़ा कदम उठा लेंगे।
दो हफ्ते पहले अलीगढ़ में भी हुई थी ऐसी ही घटना
गौरतलब है कि दो सप्ताह पहले अलीगढ़ में भी एक महिला सिपाही ने आत्महत्या कर ली थी। 28 वर्षीय हेमलता चाहर रोरावर थाने में तैनात थीं। आत्महत्या से पहले उन्होंने व्हाट्सएप स्टेटस डालकर अपने इरादे जाहिर किए थे। पुलिस के पहुंचने पर वह कमरे में फंदे से लटकी मिली थीं।
लगातार सामने आ रही इन घटनाओं ने पुलिस विभाग में मानसिक तनाव और कार्य दबाव जैसे मुद्दों पर एक बार फिर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।



