Apna Dal (S) Dalit card: उत्तर प्रदेश की राजनीति में Apna Dal (S) ने बड़ा राजनीतिक दांव खेला है। दलित समुदाय के प्रभावशाली नेता आरपी गौतम को प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त कर अनुप्रिया पटेल ने एक बार फिर अपना ‘दलित कार्ड’ चला है। खासकर जाटव समुदाय को साधने की यह कोशिश, आगामी चुनावी रणनीति का हिस्सा मानी जा रही है। राजकुमार पाल के इस्तीफे के बाद संगठन को नई दिशा देने की जिम्मेदारी अब आरपी गौतम के कंधों पर है। सामाजिक न्याय और समावेशी राजनीति की बात करने वाली पार्टी ने यह संदेश देने की कोशिश की है कि वह दलित हितों को लेकर गंभीर है। इस कदम को भाजपा से रिश्तों के साथ दलित समीकरणों को फिर से मजबूत करने की रणनीति माना जा रहा है।
जाटव समुदाय को साधने की रणनीति
Apna Dal (S) ने यूपी की जातीय राजनीति में बड़ा संदेश देने के उद्देश्य से जाटव समाज से आने वाले आरपी गौतम को प्रदेश अध्यक्ष बनाया है। यह सिर्फ संगठनात्मक बदलाव नहीं बल्कि सामाजिक समीकरण साधने की कोशिश भी है। अनुप्रिया पटेल की पार्टी ओबीसी के साथ-साथ अब दलित समुदाय, खासकर जाटवों में अपनी पकड़ मजबूत करना चाहती है। यह फैसला बताता है कि पार्टी 2027 विधानसभा चुनाव और 2029 लोकसभा की तैयारी अभी से कर रही है।
आरपी गौतम का समाजसेवा और संगठन में लंबा अनुभव इस निर्णय को और प्रभावशाली बनाता है। सहकारिता मंच के प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए उन्होंने किसानों, ग्रामीणों और दलित वर्ग के हित में कई काम किए हैं। इसी आधार पर उन्हें संगठन की मुख्य जिम्मेदारी सौंपी गई है।
राजकुमार पाल का इस्तीफा और पार्टी की दिशा
पूर्व Apna Dal (S) प्रदेश अध्यक्ष राजकुमार पाल के इस्तीफे ने पार्टी में हलचल मचा दी थी। उन्होंने पार्टी पर डॉ. आंबेडकर और डॉ. सोनेलाल पटेल की विचारधारा से भटकने का आरोप लगाया था। कार्यकर्ताओं की उपेक्षा और संगठन में पारदर्शिता की कमी की बात कहते हुए उन्होंने पद छोड़ा। ऐसे में पार्टी को यह समझ आ गया कि अगर दलित समाज में पैठ बनाए रखनी है तो मजबूत चेहरा सामने लाना होगा।
आरपी गौतम की नियुक्ति से पार्टी न सिर्फ राजकुमार पाल के इस्तीफे से बने राजनीतिक नुकसान की भरपाई करना चाहती है, बल्कि यह संदेश भी देना चाहती है कि पार्टी सामाजिक न्याय के मूल विचारों से प्रतिबद्ध है।
यूपी की राजनीति में मास्टर स्ट्रोक
सीतापुर निवासी आरपी गौतम, जमीनी स्तर पर दलितों के बीच सक्रिय रहे हैं। ऐसे में उनकी नियुक्ति से पार्टी को ग्रामीण और दलित वोटबैंक को साधने में मदद मिल सकती है। अनुप्रिया पटेल का यह दांव आगामी चुनावी रणनीति में अहम भूमिका निभा सकता है।