Arif Anwar Hashmi: आरिफ अनवर हाशमी के खिलाफ की गई कार्रवाई उत्तर प्रदेश में भ्रष्टाचार और अवैध भूमि अधिग्रहण के खिलाफ एक महत्वपूर्ण कदम है। यह मामला राजनीतिक प्रभाव और कानून प्रवर्तन की मिलीभगत के जटिल संबंधों को उजागर करता है, क्योंकि अधिकारी हाशमी की कथित आपराधिक गतिविधियों की सीमा को उजागर करने के लिए काम कर रहे हैं। ED की चल रही जांच के साथ, हाशमी के मामलों के बारे में और जानकारी सामने आ सकती है, जिससे क्षेत्र में जवाबदेही और न्याय का मार्ग प्रशस्त हो सकेगा।
आपराधिक इतिहास
Arif Anwar Hashmi का एक लंबा आपराधिक इतिहास रहा है। खासकर, उन्होंने बलरामपुर जिले में एक पुलिस थाने की जमीन पर अवैध कब्जा किया। 2013 में, उन्होंने दस्तावेजों में धोखाधड़ी करके 18 डेसिमल (लगभग 7344 वर्ग फुट) जमीन का गलत दावा किया। हाशमी ने इस भूमि पर एक मजार का निर्माण किया और कथित तौर पर अपने भाई मारूफ अनवर हाशमी को इसका मुतवल्ली बना दिया, जिससे उनका अवैध कब्जा और मजबूत हो गया।
पुलिस की मिलीभगत और प्रशासन
पुलिस थाने की भूमि पर अवैध कब्जे के बावजूद, स्थानीय कानून प्रवर्तन ने हाशमी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की, जिससे उनके और पुलिस अधिकारियों के बीच सांठगांठ का संदेह बढ़ गया। इस निष्क्रियता के कारण तत्कालीन जिलाधिकारी (DM) अरविंद सिंह ने हस्तक्षेप किया। एक जांच के बाद, यह पुष्टि हुई कि Arif Anwar Hashmi ने वास्तव में अपने अवैध कब्जे को स्थापित करने के लिए धोखाधड़ी की थी।
इसके परिणामस्वरूप, उप जिला मजिस्ट्रेट (SDM) ने 1 अप्रैल 2024 को एक शिकायत दर्ज कराई, जिसके बाद हाशमी और उसके भाई के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया। पुलिस को आरोपियों को तुरंत पकड़ने के लिए निर्देशित किया गया।
कानून प्रवर्तन से भागना
अगले दिन, सदुल्ला पुलिस थाने के अधिकारियों ने संदिग्धों को गिरफ्तार करने का प्रयास किया। जबकि उन्होंने मारूफ को पकड़ लिया, आरिफ अनवर हाशमी पकड़ने से बच गए। इसके बाद, डीएम के पास शिकायत आई कि थाना अध्यक्ष ने हाशमी को भागने दिया। इस पर जिलाधिकारी ने थाना अध्यक्ष के खिलाफ मजिस्ट्रियल जांच का आदेश दिया, जिसमें उसे दोषी पाया गया।
पुलिस अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई
जांच के बाद, जिलाधिकारी ने आरोपित निरीक्षक के खिलाफ राज्य सरकार को बर्खास्तगी की सिफारिश की। हालांकि, गोंडा के पुलिस अधीक्षक द्वारा 28 फरवरी को उसके खिलाफ धोखाधड़ी के मामले में एक अलग केस दर्ज होने के बावजूद, उसे बर्खास्त नहीं किया गया, जिससे यह संकेत मिलता है कि वह उच्च अधिकारियों की ओर से संरक्षण में हो सकते हैं।
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भूमि की वसूली और ED की जांच
अंततः, जिलाधिकारी की निर्णायक कार्रवाई के कारण अवैध कब्जे की गई भूमि को प्रशासन को वापस लौटा दिया गया। इस विकास के बाद, ED को हाशमी की गतिविधियों के वित्तीय पहलुओं की जांच के लिए सूचित किया गया। ED ने बाद में PMLA के तहत एक मामला दर्ज किया और 24 सितंबर को लखनऊ, गोंडा और बलरामपुर में हाशमी की संपत्तियों को कुर्क कर लिया।