लखनऊ ऑनलाइन डेस्क। उत्तर प्रदेश के संभल की शाही जामा मस्जिद के सर्वे को लेकर घमासान छिड़ा हुआ है। रविवार को सर्वे करने गई टीम को लोगों ने रोका। तभी भीड़ उग्र हो गई और पुलिस पर पथराव कर दिया। वाहनों पर आग लगा दी। पुलिस ने उपद्रवियों को रोकने के लिए लाठीचार्ज के साथ आंसू गैस के गोले छोड़े। मौके पर डीएम, एसपी सहित 5 थाने की पुलिस के साथ पहुंचे। पूरे इलाको को छावनी में तब्दील कर दिया गया है। कई उपद्रवियों को पुलिस ने हिरासत में लिया है। ऐसे में हम आपको शाही जामा मस्जिद की कहानी से रूबरू कराने जा रहे हैं। अंग्रेजों के जमाने में एसएआई ने सर्वे किया था। रिपोर्ट भी बनाई, जिसमें मस्जिद को मंदिर बताया गया था।
पहले जानें क्या है पूरा मामला
उत्तर प्रदेश के संभल में शाही जामा मस्जिद है, जिसे हिन्दू पक्ष हरिहर मंदिर बता रहा है। पूरे मामले को हिन्दू पक्ष कोर्ट में लेकर गया। स्थानीय अदालत ने मस्जिद के सर्वे का आदेश दिया। सर्वे टीम शुक्रवार के बाद दुसरी बार रविवार को मस्जिद पर पहुंची। जानकारी मिलने पर सैकड़ों की संख्या में भीड़ जमा हो गई। सर्वे की मस्जिद के अंदर चली गई, तभी भीड़ उग्र हो गई। नारेबाजी के साथ पथराव शुरू कर दिया। पुलिस ने भी एक्शन लेते हुए लाठीचार्ज किया और आंसू गैस के गोले दागे। भीड़ को किसी तरह से खदेड़ा। मौके पर जिले के डीएम, एसपी भारी फोर्स के साथ पहुंचे। उन्होंने किसी तरह से लोगों को शांत करवाया। सर्वे टीम अपना काम कर वापस चली गई। इस दौरान उपद्रवियों ने आगजनी की। पुलिस ने कईयों को हिरासत में लिया हैं। फिलहाल हालात तनावपूर्ण बने हुए हैं।
1889 में एएसआई ने तैयार की थी रिपोर्ट
भारतीय पुरातत्व विभाग में एक सर्वे रिपोर्ट की कॉपी आज भी रखी हुई है। ये रिपोर्ट 1989 में तैयार की गई थी। रिपोर्ट में संभल की जामा मस्जिद का पूरा सर्वेक्षण है। ये रिपोर्ट एएसआई के तत्कालीन अधिकारी एसीएल कारले ने 1875 में शाही जामा मस्जिद का सर्वेक्षण करके तैयार की थी। इस रिपोर्ट का टाइटल है ‘मध्य दोआब और गोरखपुर में भ्रमण 1874-1875 और 1875-1876’। तब एएसआई ने अपने सर्वेक्षण में पाया था कि मस्जिद के अंदर और बाहर के खंभे पुराने हिंदू मंदिर के हैं, जिसे प्लास्टर लगा कर छुपा दिया गया है।
एएसआई ने पाये थे मंदिर के निशान
एएसआई ने अपने इस दावे के पीछे तर्क दिया था कि सर्वेक्षण के दौरान एएसआई के अधिकारी ने पाया था कि मस्जिद में एक लाल रंग का खंभा है, जो ना सिर्फ मस्जिद के कालखंड के प्राचीन है बल्कि ऐसे खंभे हिंदू मंदिरों के होते हैं। एएसआई ने सर्वेक्षण रिपोर्ट में बताया था कि मस्जिद के गुंबद का जीर्णोद्धार हिंदू सम्राट पृथ्वीराज चौहान ने करवाया था। साथ ही मस्जिद के हिन्दू खंभे, मुस्लिम खंभों से बिल्कुल अलग हैं। एएसआई की रिपोर्ट में दावा किया गया था कि, मस्जिद में मौजूद शिलालेख जिस पर दर्ज है कि इसका निर्माण 933 हिजरी साल में पूरा हुआ था।
बाबरनामा का जिक्र करते हुए दाखिल की याचिका
हिंदू पक्ष के याचिकर्ता हरिशंकर जैन ने अपनी याचिका में बाबरनामा का जिक्र करते हुए याचिका में दावा किया है कि बाबरनामा के अंग्रेजी अनुवाद में दर्ज है कि भगवान विष्णु के हिन्दू मन्दिर का मस्जिद में परिवर्तन मीर हिंदू बेग नाम के बाबर के दरबारी ने किया था। जैसा कि उल्लेख शिलालेख में भी मिलता है। हिंदू पक्ष के याचिकर्ता हरिशंकर जैन ने मीडिया से बातचीत के दौरान बताया, अयोध्या, काशी, मथुरा, भोजशाला, कुतुब मीनार और अब संभल की मस्जिद के बाद अभी और भी ऐसी मस्जिदें हैं जो हिंदू मंदिर तोड़ कर बने हैं और आने वाले दिनों में वो कोर्ट में उसके लिए भी लड़ेंगे।
मुस्लिम पक्ष का तर्क
संभल जामा मस्जिद के एडवोकेट जफर अली के मुताबिक 1529 में मुगल शासक बाबर के आदेश पर मीर बेग ने इस मस्जिद का निर्माण कराया था। जामा मस्जिद समतल भूमि पर बनाई गई है, जिसके प्रमाण उनके पास हैं। उन्होंने हिंदू पक्ष के दावों को बेबुनियाद करार देते हुए दावा किया कि जामा मस्जिद किसी मंदिर को खंडित करके नहीं बनाई गई। एडवोकेट जफर अली ने कहा कि यह बात सही है कि मुगल काल में मस्जिद का निर्माण किया गया। वह पूरी तरह से संतुष्ट हैं, वह अपना पक्ष मजबूती के साथ रखेंगे।उनका दावा है कि जामा मस्जिद थी, जामा मस्जिद है और जामा मस्जिद ही रहेगी।
1524 में बाबर ने करवाया था मस्जिद का निर्माण
जामा मस्जिद के हरिहर मंदिर होने का दावा करने वाले हिंदू पक्ष का दावा है कि जामा मस्जिद पहले श्री हरिहर मंदिर थी। 1529 में बाबर ने मस्जिद का निर्माण करवाया। बाबर ने ही मंदिर तोड़कर मस्जिद बनवाई थी। हरिहर मंदिर होने का दावा करने वाले वादी एवं केला देवी मंदिर के महंत ऋषि राज गिरी कहना है कि उनके पास संभल का शक संवत 987 का हजारों वर्ष पुराना नक्शा मौजूद है। नक्शे में शाही जामा मस्जिद हरिहर मंदिर के तौर पर मौजूद है। यही नहीं, हजारों साल प्राचीन नक्शे में संभल, तीर्थराज संभल के नाम से अंकित है। वहीं नक्शे में संभल के 68 तीर्थ और 19 कूप भी दर्शाए गए हैं।
अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन लड़ रहे केस
सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने कई याचिकाकर्ताओं (जिसमें कैला देवी मंदिर के महंत ऋषि राज गिरी भी शामिल हैं) की ओर से संभल की चंदौसी स्थित सिविल जज सीनियर डिवीज़न आदित्य सिंह की अदालत में बीते 19 नवंबर को वाद दायर किया था। इस वाद में हिंदू पक्ष की तरफ से भारत सरकार के गृह मंत्रालय, सांस्कृतिक मंत्रालय, भारत के पुरातत्व सर्वे, पुरातत्व सर्वे के मेरठ जोन के अधीक्षक, संभल के डीएम और मस्जिद की प्रबंधन समिति को वादी बनाया गया है। इस याचिका में दावा किया गया है कि जो इमारत जामा मस्जिद है, वही सदियों पुराना हरिहर मंदिर है।
करीब 5 बीघे में बनी हैं मंदिर
जामा मस्जिद लगभग पांच बीघे में बनी है। जुमे की नमाज के दौरान यहां करीब एक हजार लोग आते हैं। संभल सदर की कुल जनसंख्या करीब 6 लाख है, जिसमें 85 फीसदी आबादी मुस्लिम है। जबकि जिले की कुल आबादी करीब 25 लाख है, जिसमें 60 फीसदी आबादी हिंदू है। संभल में जामा मस्जिद को लेकर पहले भी कई बार तनाव हुआ है। साल 1976 में जामा मस्जिद के इमाम की हत्या कर दी गई थी, जिसके बाद सांप्रदायिक तनाव फैल गया था। करीब 1 महीने से ज्यादा समय तक यहां कर्फ्यू लगा था।
उपद्रवियों पर एनएसए के तहत होगी कार्रवाई
वहीं रविवार को हुए बवाल के बाद एसपी कृष्ण कुमार विश्नोई ने बड़ा बयान दिया है। एसपी ने कहा कि पुलिस को टारगेट बनाकर पथराव किया गया। कई पुलिसकर्मी घायल हुए हैं। मेरे भी पैर में चोट लगी है। इसके साथ ही पुलिसकर्मियों की गाड़ियों को निशाना बनाया गया है। पास ही दूसरी बाइक और अन्य गाड़ियां खड़ी थीं लेकिन उपद्रवियों ने उनको नुकसान नहीं पहुंचाया। कहा कि माहौल खराब करने वाले बख्शे नहीं जाएंगे। इन सभी की शिनाख्त कर एनएसए के तहत कार्रवाई की जाएगी। इस घटना को संज्ञान में लेते हुए उत्तर प्रदेश पुलिस के मुखिया डीजीपी प्रशांत कुमार ने कहा कि कोर्ट के निर्देशों के तहत संभल में सर्वे कराया जा रहा था। इस दौरान अराजक तत्वों की ओर से पत्थर फेंके गए. मौके पर पुलिस व विभाग के आलाधिकारी मौजूद हैं। स्थिति को कंट्रोल में ले लिया गया है। पत्थरबाजों के खिलाफ प्रभावी कार्यवाही की जाएगी।