Atiq Ahmed Case : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने माफिया अतीक अहमद के भाई अशरफ के साले अब्दुल समद उर्फ सद्दाम की जमानत मंजूर कर ली है। सद्दाम पर आरोप था कि वह बरेली जेल में बंद अशरफ को गैरकानूनी तरीके से मदद पहुंचाता था। सद्दाम ने इस मामले में जमानत के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, जिस पर सुनवाई के बाद न्यायमूर्ति राजवीर सिंह ने उसकी जमानत स्वीकृत कर दी।
सद्दाम पर आरोप था कि वह जेल में बंद अशरफ को अवैध रूप से लोगों से मिलवाता था, और एक ही पहचान पत्र पर कई व्यक्तियों को जेल में दाखिल कर देता था। उस समय अशरफ के खिलाफ विभिन्न अदालतों में कई गंभीर मामले चल रहे थे। 7 मार्च 2023 को बरेली के बीतारी चैनपुर थाने में अशरफ, सद्दाम, लाल गद्दी और दयाराम के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी। इसमें जेलकर्मी और कांस्टेबल भी आरोपी थे।
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सद्दाम के वकील ने कोर्ट में तर्क दिया कि उसे इस मामले में झूठा फंसाया गया है। उनके मुताबिक, इस मामले में सिर्फ एक टेलीफोन वार्ता का प्रमाण है और उस समय सद्दाम अपनी मां के इलाज के लिए इलाहाबाद और लखनऊ में था, इसके अलावा वह दिल्ली में अपने भाई से मिलने भी गया था। उन्होंने यह भी कहा कि चूंकि सद्दाम अशरफ का रिश्तेदार था, इसलिए उसे झूठा फंसाया गया है। इसके अलावा, इस मामले में अन्य आरोपियों को पहले ही जमानत मिल चुकी है।
खंगाली गई मोबाइल कॉल डिटेल
याची 28 अगस्त 2023 से जेल में बंद था। जमानत याचिका का विरोध करते हुए अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल ने कहा कि याची पर गंभीर आरोप हैं और इसकी जांच के लिए एसआईटी गठित की गई थी। उन्होंने दावा किया कि याची इस मामले में सक्रिय रूप से शामिल था और वह अशरफ का करीबी रिश्तेदार भी है। इसके अलावा, बरेली में जिस मकान में सद्दाम रहता था, उसका किराया नहीं दिया गया था और मोबाइल कॉल डिटेल से यह पता चला कि सह अभियुक्तों से उसकी सैकड़ों बार बात हुई थी। इसके साथ ही, जेल में अवैध तरीके से सुविधाएं पहुंचाने के लिए रुपयों के लेनदेन के साक्ष्य भी मिले थे।
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कोर्ट ने सभी पहलुओं पर विचार करते हुए कहा कि याची के खिलाफ केवल टेलीफोन पर बात करने का साक्ष्य उपलब्ध है। मामले की जांच पूरी हो चुकी है और चार्जशीट भी कोर्ट में दाखिल की जा चुकी है। सभी परिस्थितियों और साक्ष्यों का विश्लेषण करने के बाद, कोर्ट ने सद्दाम की जमानत मंजूर कर दी।