Ateeq Ahmed Case : 15 अप्रैल 2025 को अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की मौत को पूरे दो साल हो चुके हैं। 15 अप्रैल 2023 को प्रयागराज में पुलिस कस्टडी के दौरान दोनों की सरेआम गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। ये घटना न केवल उत्तर प्रदेश बल्कि पूरे देश के लिए चौंकाने वाली थी। उस माफिया का ऐसा अंत होगा, इसकी कल्पना शायद खुद अतीक ने भी नहीं की थी।
काले साम्राज्य का खात्मा
अतीक अहमद का काला साम्राज्य अब पूरी तरह जमींदोज हो चुका है। कभी जिस आलीशान घर में राज होता था, वहां अब वीरानी पसरी है। उसके अवैध निर्माण को योगी सरकार के बुलडोजर ने रौंद दिया। लेकिन सबसे बड़ा सवाल ये है कि उसका परिवार कहां है?शाइस्ता परवीन (पत्नी), जैनब (अशरफ की पत्नी) और नूरी (बहन) – तीनों 27 फरवरी 2023 को फरार हो गईं थीं। दो साल से इनकी तलाश जारी है, लेकिन कोई सुराग नहीं मिला।
यूपी पुलिस अब तक खाली हाथ
दिल्ली, मध्य प्रदेश, गुजरात, मुंबई, उड़ीसा, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना – इन छह राज्यों में छानबीन हो चुकी है। शुरुआती लोकेशन दिल्ली और उड़ीसा में मिली, लेकिन जब यूपी पुलिस वहां पहुंची, तो वो वहां से पहले ही निकल चुकी थीं। यूपी पुलिस ने देशभर के एयरपोर्ट पर लुक आउट नोटिस भी जारी कर रखा है और संबंधित राज्य पुलिस से भी लगातार संपर्क साधा है।
बावजूद इसके अब तक कोई गिरफ्तारी नहीं हो सकी है। शाइस्ता पर उमेश पाल हत्याकांड में साजिश रचने का आरोप है। इसके अलावा 200 करोड़ की बेनामी संपत्ति, ठगी और धोखाधड़ी के कुल 7 मुकदमे दर्ज हैं। उस पर 50,000 रुपये का इनाम भी घोषित किया गया है।
कहां हैं अतीक के बेटे ?
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असद: एनकाउंटर में मारा गया
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उमर और अली: जेल में बंद
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अहजान और अबान: पहले बाल सुधार गृह में रहे, अब मौसी परवीन की कस्टडी में हैं।
अहजान हाईस्कूल, अबान इंटर कर चुका है। लेकिन आगे की पढ़ाई के लिए पुलिस की अनुमति जरूरी है, जो फिलहाल नहीं मिल पा रही है।
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सूत्रों की मानें तो इस परिवार का अब दोबारा एकजुट होना बेहद मुश्किल है। एक तरफ पुलिस का शिकंजा है, दूसरी तरफ कानूनी उलझनें। चर्चाएं हैं कि यदि शाइस्ता या बाकी को गिरफ्तार भी कर लिया गया, तो जमानत मिल सकती है – और फिर इसी आधार पर अन्य गुर्गे भी कोर्ट में ज़मानत की जद्दोजहद शुरू कर सकते हैं।
अतीक की कहानी बनी मिसाल
योगी सरकार के कार्यकाल में अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की गई। अतीक अहमद का गिरोह लगभग खत्म हो चुका है। न माफिया बचा, न उसका नेटवर्क। अब वही माफिया, जो कभी पूर्वांचल में आतंक का पर्याय था, उसका नाम मिट्टी में मिल चुका है और उसका परिवार बिखराव की कगार पर है।