Azam Khan Acuited: रामपुर की एमपी-एमएलए विशेष अदालत ने समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान को सेना पर टिप्पणी वाले आठ साल पुराने मामले में बरी कर दिया है। सेना के जवानों पर कथित आपत्तिजनक बयान को लेकर दर्ज इस मुकदमे में कोर्ट ने कहा कि प्रस्तुत साक्ष्यों के आधार पर आरोप साबित नहीं हो पाए, इसलिए आजम खान को दोषमुक्त किया जाता है।
मामला क्या था और कब दर्ज हुआ?
यह केस 2017 के विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान दिए गए एक भाषण से जुड़ा है, जिसमें आरोप था कि आजम खान ने सेना के जवानों के बारे में आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। इस बयान के खिलाफ बीजेपी नेता आकाश सक्सेना ने रामपुर के सिविल लाइंस थाने में FIR दर्ज कराई थी, जिसमें आईपीसी की धाराएँ 153A, 153B, 295A, 500, 506 जैसी गंभीर धाराएँ लगाई गई थीं।
लंबी सुनवाई के बाद एमपी–एमएलए स्पेशल कोर्ट के जज शोभित बंसल ने फैसला सुनाते हुए कहा कि अभियोजन पक्ष बयान का संदर्भ और उससे नफरत या वैमनस्य फैलने का ठोस सबूत पेश नहीं कर सका, इसलिए आजम खान के खिलाफ आरोप संदेह से परे साबित नहीं होते।
अभी जेल में क्यों हैं आजम खान?
सेना पर टिप्पणी वाले इस केस में बरी होने के बावजूद आजम खान जेल में रहेंगे, क्योंकि हाल ही में डुअल पैन कार्ड/फर्जी दस्तावेज मामले में रामपुर की ही एमपी–एमएलए कोर्ट उन्हें और उनके बेटे अब्दुल्ला आजम खान को सात–सात साल की सजा सुना चुकी है।
पैन कार्ड/पासपोर्ट से जुड़े इस फर्जीवाड़ा केस में अदालत ने धोखाधड़ी, जालसाजी और आपराधिक साजिश की धाराओं में दोनों को दोषी ठहराकर जेल भेजा है; सेना टिप्पणी केस में बरी होना इसलिए “कानूनी राहत” तो है, लेकिन फिलहाल उनकी रिहाई का रास्ता नहीं खोलता।
आजम खान पर चल रहे केसों की बड़ी तस्वीर
यूपी में सत्ता बदलने के बाद आजम खान के खिलाफ जमीन कब्जे, नफ़रती भाषण, फर्जी कागजात, सरकारी संपत्ति हानि समेत 70 से ज्यादा केस दर्ज हुए थे, जिनमें से कई में वे बरी हो चुके हैं, जबकि कुछ में सजा और कई में ट्रायल जारी है।
कानूनी विशेषज्ञ मानते हैं कि सेना टिप्पणी केस में बरी होना आजम खान के लिए बड़ी इमेज–राहत है, क्योंकि यह सीधे सेना से जुड़ा मामला था, लेकिन डुअल पैन व अन्य मामलों में सजा बरकरार रहने तक उनकी राजनीतिक वापसी और चुनावी भूमिका सीमित ही रहेगी।



