Bamhaur village tension: उत्तर प्रदेश के आज़मगढ़ जिले के मुबारकपुर क्षेत्र के बम्हौर गांव के छोटा पुरा मोहल्ले में तनावपूर्ण हालात बने हुए हैं। गांव के 40 हिंदू परिवारों ने खुद को असुरक्षित बताते हुए पलायन की चेतावनी दी है। उन्होंने अपने घरों पर ‘मकान बिकाऊ है’ के पोस्टर चिपकाकर प्रशासन और समाज को संदेश दिया है कि यदि सुरक्षा नहीं मिली, तो वे गांव छोड़ देंगे। मामला 3 जून की एक शादी के दौरान महिलाओं के साथ हुई छेड़खानी और फिर हुई हिंसा से जुड़ा है। पुलिस ने अब तक छह आरोपियों को गिरफ्तार किया है, लेकिन गांव में डर और तनाव बना हुआ है। वहीं, एसएसपी ने इसे चुनावी साजिश बताया है।
शादी समारोह में छेड़खानी और बवाल
Bamhaur गांव के राकेश कन्नौजिया की 3 जून को शादी थी। इसी दौरान गांव की महिलाएं लावा परछन के लिए पोखरे पर गई थीं, तभी वर्ग विशेष के युवकों ने महिलाओं पर फब्तियां कसी और वीडियो बनाना शुरू कर दिया। विरोध करने पर हमले की नौबत आ गई, जिसमें करीब 20 लोग घायल हो गए। घटना के बाद गांव में भय और तनाव का माहौल बन गया।
‘हम असुरक्षित हैं, पलायन करेंगे’
घटना के बाद राकेश, बहादुर कन्नौजिया, बृजेश गोंड और रामअवध जैसे कई परिवारों ने आरोप लगाया कि वर्ग विशेष के लोग लगातार धमकियां दे रहे हैं। इसी डर के चलते 40 परिवारों ने ‘हिंदू परिवार, हमारा मकान बिकाऊ है’ के पोस्टर अपने घरों पर चिपकाए हैं। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि सुरक्षा नहीं मिली, तो वे सामूहिक रूप से पलायन कर जाएंगे।
पुलिस की कार्रवाई और प्रशासन की टिप्पणी
पुलिस ने इस मामले में अब तक अरमान, वसीम, मोअज्जम, रहमान समेत छह लोगों को गिरफ्तार किया है। मुबारकपुर थाना प्रभारी निहार नंदन के अनुसार, दोनों पक्षों पर मुकदमा दर्ज हुआ है। वहीं, एसएसपी हेमराज मीना ने इसे पंचायत चुनाव से जोड़ते हुए कहा कि यह सब एक युवक द्वारा राजनीतिक साजिश के तहत किया जा रहा है, जो पहले भी जिला पंचायत का चुनाव लड़ चुका है।
बम्हौर की विवादित छवि फिर चर्चा में
बम्हौर गांव पहले भी देसी तमंचा निर्माण के लिए कुख्यात रहा है। मुंबई पुलिस तक को इस गांव के बनाए हथियारों ने चौंका दिया था, और यही तमंचे गुलशन कुमार की हत्या में प्रयुक्त हुए थे। अब एक बार फिर यह गांव राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में है—इस बार सांप्रदायिक तनाव और पलायन की चेतावनी को लेकर।
हालात गंभीर हैं, लेकिन प्रशासन और स्थानीय नेताओं की जिम्मेदारी है कि वे समय रहते समाधान निकालें, ताकि भय और अविश्वास की जड़ें और न फैलें। गांवों में विश्वास और भाईचारा ही लोकतंत्र की असली नींव हैं।
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