Land of 17 Rivers in Azamgarh : उत्तर प्रदेश में कई ज़िले अपने इतिहास और संस्कृति के लिए मशहूर हैं। कुछ जगहें ऐसी हैं जहां एक भी नदी नहीं बहती, तो कुछ जिलों में नदियों की भरमार है। आजमगढ़ एक ऐसा ही ज़िला है, जहां 17 नदियों का संगम होता है। इस ज़िले की नदियाँ ना केवल इसकी सुंदरता बढ़ाती हैं, बल्कि इसका धार्मिक और पौराणिक महत्व भी बढ़ाती हैं।
कितनी और कौन-कौन सी नदियां बहती हैं आजमगढ़ में?
आजमगढ़ जिले में कुल 17 नदियां बहती हैं, जिनमें कुछ प्रमुख हैं।
घाघरा नदी : यह ज़िले की उत्तरी सीमा से पश्चिम से पूरब की ओर लगभग 45 किलोमीटर तक बहती है।
तमसा नदी : यह जिले के बीच से होकर गुजरती है और बाराबंकी, अम्बेडकर नगर होते हुए आती है।
छोटी सरयू नदी : यह महाराजगंज होते हुए ज़िले में आती है।
इसके अलावा अन्य नदियां हैं: बेसो, गांगी, मंजूषा (मंझुई), उदंती, कुंवर, सीलनी, मंगई, भैंसही, ओरा, बगाड़ी, सुकसुई, लोनी, दोना, कयाड़ आदि।
कहां से आती हैं ये नदियां और कहां मिलती हैं?
मंजूषा नदी सुल्तानपुर से निकलकर दुर्वासा आश्रम के पास तमसा में मिलती है।
गांगी नदी ठेकमा के पास जिले में प्रवेश करती है और गाजीपुर की तरफ बढ़ती है।
बेसो नदी मार्टिनगंज के ताल से निकलती है और गाजीपुर की ओर बहती है।
उदंती नदी लालगंज के तालाब से निकलती है।
बगाड़ी नदी निजामाबाद से निकलकर कुंवर नदी में मिलती है।
मंगई नदी जौनपुर से आजमगढ़ में प्रवेश करती है।
पौराणिक स्थान और धार्मिक महत्व
दुर्वासा ऋषि आश्रम : फूलपुर तहसील से 6 किमी उत्तर में स्थित यह आश्रम तमसा और मंजूषा के संगम पर है। यहां कार्तिक पूर्णिमा पर तीन दिन का मेला लगता है, जिसमें हजारों श्रद्धालु आते हैं।
दत्तात्रेय आश्रम : यह निजामाबाद तहसील में तमसा और कुंवर नदी के संगम पर स्थित है। यहां शिवरात्रि पर बड़ा मेला लगता है। मान्यता है कि दत्तात्रेय, दुर्वासा और चंद्रमा ऋषि माता अनुसूया के पुत्र थे।
चंद्रमा ऋषि आश्रम : यह मुजफ्फरपुर के पास, तमसा और सिलनी नदी के संगम पर स्थित है। यह भी एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थान है। माना जाता है कि माता सती ने यहीं आत्मदाह किया था।
को
आजमगढ़ नदियों की धरती है जहां 17 नदियों का मिलन होता है। यह ज़िला न सिर्फ प्राकृतिक सुंदरता बल्कि धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व के लिए भी प्रसिद्ध है।