Azamgarh Police custody death: उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले में पुलिस हिरासत में एक युवक की संदिग्ध मौत के बाद जबरदस्त बवाल हो गया। घटना 31 मार्च 2025 को सामने आई, जब 28 वर्षीय रिंकू की लाश पुलिस स्टेशन के बाथरूम में फांसी पर लटकी मिली। बताया जा रहा है कि उसे एक लड़की पर अभद्र टिप्पणी करने के आरोप में हिरासत में लिया गया था। पुलिस ने दावा किया कि उसने आत्महत्या कर ली, लेकिन परिजनों ने इसे हिरासत में हत्या करार दिया। घटना के बाद गुस्साए लोगों ने पुलिस स्टेशन पर हमला कर दिया, वाहनों में तोड़फोड़ की और पुलिस पर पथराव किया। हालात काबू में करने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा। इस मामले में थाना प्रभारी समेत तीन पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया है, लेकिन लोगों का गुस्सा थमने का नाम नहीं ले रहा।
यूपी : आजमगढ़ के पुलिस स्टेशन में रिंकू की मौत पर बवाल। लोगों ने पुलिस जीप सहित कई गाड़ियां तोड़ी। पुलिस पर पथराव किया। पुलिस ने लाठीचार्ज करके भीड़ खदेड़ी। थाना प्रभारी कमलेश पटेल सहित दरोगा, एक सिपाही सस्पेंड। पुलिस पर हत्या करने का आरोप है। रिंकू की लाश फांसी पर टंगी मिली है। https://t.co/VC6raZ3DU4 pic.twitter.com/5kDlsgqnMb
— Sachin Gupta (@SachinGuptaUP) March 31, 2025
हिरासत में मौत से भड़की हिंसा
Azamgarh पुलिस ने 28 वर्षीय रिंकू को एक लड़की से बदसलूकी के आरोप में हिरासत में लिया था। कुछ ही घंटों बाद उसकी लाश पुलिस स्टेशन के बाथरूम में 6 फीट ऊंची खिड़की से पायजामे के नाड़े के सहारे लटकी मिली। पुलिस ने इसे आत्महत्या बताया, लेकिन परिजनों ने गंभीर सवाल उठाए। उनका कहना है कि पुलिस थाने में कोई व्यक्ति खुद को फांसी कैसे लगा सकता है, जबकि वहां हर समय पुलिस की मौजूदगी रहती है।
जब यह खबर फैली तो इलाके में गुस्सा भड़क उठा। देखते ही देखते भारी भीड़ पुलिस स्टेशन के बाहर जमा हो गई और पुलिस प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी। जल्द ही प्रदर्शन उग्र हो गया, भीड़ ने पुलिस की गाड़ियों में तोड़फोड़ कर दी और पथराव शुरू कर दिया। हालात बिगड़ते देख पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा, तब जाकर भीड़ तितर-बितर हुई।
पुलिस की सफाई और कार्रवाई
इस मामले को लेकर Azamgarh पुलिस महकमे में भी हड़कंप मच गया। आरोपों के मद्देनजर पुलिस प्रशासन ने तुरंत कार्रवाई करते हुए थाना प्रभारी कमलेश पटेल, एक दरोगा और एक सिपाही को निलंबित कर दिया। अधिकारियों ने बताया कि मामले की निष्पक्ष जांच की जा रही है और किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा।
हालांकि, इस कार्रवाई से भी स्थानीय लोगों का गुस्सा शांत नहीं हुआ। लोग इसे पुलिस की बड़ी लापरवाही मान रहे हैं और निष्पक्ष जांच की मांग कर रहे हैं। लोगों का कहना है कि पुलिस हिरासत में होने वाली मौतें बढ़ रही हैं, जिससे आम जनता में सुरक्षा को लेकर डर पैदा हो रहा है।
Azamgarh पुलिस हिरासत में मौतों पर सवाल
यह घटना सिर्फ आजमगढ़ तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरे प्रदेश में पुलिस हिरासत में हो रही मौतों पर सवाल खड़े हो रहे हैं। पहले भी ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जिनमें Azamgarh पुलिस पर गंभीर आरोप लगे हैं। 2022 में आजमगढ़ में ही नकली शराब कांड में एक विधायक की हिरासत के दौरान संदिग्ध मौत हुई थी, जिसे लेकर काफी विवाद हुआ था।
रिंकू की मौत ने एक बार फिर पुलिस की कार्यप्रणाली और जवाबदेही पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। लोग मांग कर रहे हैं कि इस मामले की उच्चस्तरीय जांच हो और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाए, ताकि भविष्य में ऐसे मामलों को रोका जा सके।