Bareilly Bulldozer: उत्तर प्रदेश के बरेली में मंगलवार का दिन पुराने शहर के सूफी टोला के निवासियों के लिए एक दर्दनाक स्मृति छोड़ गया। सुबह 10 बजे से ही उस जगह पर खौफ का माहौल था, जिसे दोपहर होते-होते भारी पुलिस बल, पीएसी, और बीडीए (बरेली विकास प्राधिकरण) की टीम ने घेर लिया। दिन के उजाले में, लोगों की चीख-पुकार और महिलाओं द्वारा बच्चों को गोद में लेकर बुलडोजर के सामने खड़े होकर विरोध करने के बावजूद, अवैध रूप से निर्मित करोड़ों रुपये के दो बारात घरों—एवान-ए-फरहत और गुड मैरिज होम—पर बुलडोजर गरजता रहा। यह ध्वस्तीकरण की कार्रवाई लगभग पाँच घंटे तक चली और इन बारात घरों के ऊपर बने आवासों में रहने वाले परिवारों को बेघर कर दिया।
बेबसी का मंजर: विरोध के बीच नहीं रुकी कार्रवाई
सूफी टोला में एवान-ए-फरहत और गुड मैरिज होम के ध्वस्तीकरण का आदेश रविवार को जारी होने के बाद से ही इलाके में तनाव था। मंगलवार को जैसे ही Bareilly बीडीए की टीम भारी फोर्स के साथ मौके पर पहुंची, निवासियों के होश उड़ गए। टीम ने परिसर में रहने वाले परिवारों को तुरंत मकान खाली करने का निर्देश दिया। इस अचानक हुई कार्रवाई से कई लोगों की आंखें भर आईं और वे सिसकते हुए अपना सामान बाहर निकालते रहे।
दोपहर करीब 2 बजे, जब बीडीए की प्रवर्तन टीम ने ध्वस्तीकरण शुरू किया, तो हंगामा शुरू हो गया। परिवार के सदस्य बुलडोजर के सामने खड़े हो गए और महिलाओं ने अपने बच्चों को गोद में लेकर कार्रवाई का विरोध किया। इस दौरान धक्कामुक्की भी हुई, लेकिन प्रशासन ने विरोध को दरकिनार करते हुए कार्रवाई जारी रखी।
पाँच घंटे तक चला ध्वस्तीकरण
दोपहर 2:15 बजे शुरू हुई यह कार्रवाई लगातार पाँच घंटे तक चली। दो जेसीबी (JCB) और एक पोकलैन (Poclain) मशीन ने इन 1992 में निर्मित बारात घरों और इनके ऊपर बने घरों को मलबे में तब्दील कर दिया। स्थानीय लोगों की उम्मीदें, जो किसी चमत्कार की आस लगाए बैठे थे, मशीन के दीवारों पर चलने के साथ ही टूटने लगीं। कई परिवारों की आँखों में आंसू छलक रहे थे, और कुछ घरों में तो उस दिन चूल्हा तक नहीं जला था।
राजनीतिक कनेक्शन और स्थानीय इतिहास
स्थानीय Bareilly निवासियों के अनुसार, इन बारात घरों का निर्माण 1992 में हुआ था। उस समय इनकी बुकिंग दो से तीन हजार रुपये में होती थी।
इस Bareilly परिसर से जुड़े लोगों में सरफराज का नाम भी सामने आया है, जो पूर्व में आजम खां के नगर विकास मंत्री रहने के दौरान अल्पसंख्यक कल्याण बोर्ड के सदस्य रह चुके हैं। शहर में आजम खां का स्वागत अक्सर सरफराज के घर पर होता रहा है। अब सरफराज अपने बेटे सैफ वली खान को समाजवादी पार्टी (सपा) की राजनीति में स्थापित करने की कोशिश कर रहे हैं।
इस पूरी कार्रवाई को देखने के लिए आसपास के घरों की छतों से लेकर दरवाजों तक पर भीड़ लगी रही। निवासी खामोशी के साथ प्रशासन की इस बड़ी कार्रवाई को देखते रहे।
