Bihar elections: बिहार विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) की शानदार जीत और महागठबंधन की निराशाजनक हार के बाद, आल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने एक चौंकाने वाला विश्लेषण प्रस्तुत किया है। मौलाना शहाबुद्दीन ने दावा किया है कि इस अप्रत्याशित परिणाम के पीछे की असल वजह मुस्लिम समुदाय के वोटों का धार्मिक आधार पर विभाजन है। उनके अनुसार, वक्फ संशोधन बिल को लेकर पटना में हुए विरोध प्रदर्शनों के दौरान ही मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (MPLB) से जुड़े देवबंदी और सुन्नी सूफी (बरेलवी) उलमा के बीच दरार पड़ गई थी।
उन्होंने स्पष्ट किया कि देवबंदी मुसलमानों ने कांग्रेस के नेतृत्व वाले महागठबंधन को वोट दिया, जबकि बरेलवी मुसलमानों ने एकजुट होकर एनडीए का समर्थन किया, जिसके चलते महागठबंधन को अपेक्षित मुस्लिम वोट बैंक का लाभ नहीं मिल सका और उसे हार का सामना करना पड़ा।
वोटों के ध्रुवीकरण की कहानी: वक्फ संशोधन बिल से शुरू हुई फूट
आल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने बिहार चुनाव परिणाम पर बयान देते हुए कहा कि एनडीए की भारी बहुमत से जीत और महागठबंधन की हार के पीछे एक ही वजह है, जिसे सियासी लोग अभी तक समझ नहीं पाए हैं। मौलाना ने विस्तार से बताया कि यह विभाजन वक्फ संशोधन बिल को लेकर मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के विरोध के दौरान शुरू हुआ।
विरोध का केंद्र बिंदु पटना बना रहा, और इसी दौरान रमजान का पवित्र महीना शुरू हो गया। MPLB ने एक कार्यक्रम का आयोजन किया जिसमें देवबंदी उलमा और सुन्नी सूफी (बरेलवी) उलमा को आमंत्रित किया गया था। देवबंदी उलमा ने इस दावत में शामिल होने से इनकार कर दिया और रोजा इफ्तार पार्टी का बहिष्कार किया। वहीं, बरेलवी उलमा ने दावत स्वीकार करके इफ्तार पार्टी में हिस्सा लिया।
मौलाना के अनुसार, तभी से Bihar के मुसलमान दो गुटों—बरेलवी और देवबंदी—में स्पष्ट रूप से बंट गए थे। उन्होंने कहा कि देवबंदी मुसलमानों ने कांग्रेस गठबंधन को अपना वोट दिया, जबकि बरेलवी मुसलमानों ने एनडीए का साथ दिया। इस धार्मिक ध्रुवीकरण के कारण महागठबंधन का पारंपरिक मुस्लिम वोट बैंक छिटक गया, जो उनकी हार का निर्णायक कारण बना।
सपा मुखिया अखिलेश यादव पर भी साधा निशाना
Bihar चुनाव परिणाम का जिक्र करते हुए मौलाना शहाबुद्दीन ने समाजवादी पार्टी (सपा) मुखिया अखिलेश यादव पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि कुछ दिन पहले अखिलेश यादव बरेली आए थे और गली-गली घूम रहे थे, मगर वह दरगाह आला हजरत हाजरी देने के लिए नहीं आए।
मौलाना ने कहा कि अखिलेश यादव के इस कृत्य से बरेलवी मुसलमानों को बहुत ठेस पहुंची है। उन्होंने सपा मुखिया को आगाह किया कि उत्तर प्रदेश में लगभग 60 फीसदी सुन्नी बरेलवी मुसलमान हैं और इतनी बड़ी आबादी को नजरअंदाज करना किसी भी राजनीतिक दल के लिए ठीक नहीं है। उन्होंने तुलना करते हुए कहा कि मौलाना जब सहारनपुर जाते हैं तो दारूलउलूम देवबंद जरूर जाते हैं, और हर साल लखनऊ के नदवा भी जाते हैं, लेकिन अखिलेश बरेली में होते हुए भी दरगाह आला हजरत नहीं पहुँचे।








