Pankaj Chaudhary BJP Uttar Pradesh President: सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी ने एक बार फिर अपने फैसले से राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। लंबे समय से चल रहे प्रदेश अध्यक्ष की दौड़ के नामों को दरकिनार करते हुए, बीजेपी ने ‘चौधरी दांव’ चलते हुए केंद्रीय मंत्री और महराजगंज से सात बार के सांसद पंकज चौधरी को उत्तर प्रदेश की कमान सौंपने का मन बना लिया है। रविवार दोपहर 1 बजे उनके नाम की आधिकारिक घोषणा होने की उम्मीद है।
पार्टी आलाकमान की यह पसंद सपा मुखिया अखिलेश यादव के लिए बड़ी टेंशन बन सकती है, क्योंकि बीजेपी इस फैसले से खिसके हुए कुर्मी वोट बैंक को दोबारा अपने पाले में लाने की कोशिश करेगी, जिसका सीधा नुकसान समाजवादी पार्टी को होगा। पंकज चौधरी को जमीनी, अनुभवी चेहरा और पीएम मोदी का करीबी माना जाता है। (120 शब्द)
सपा के पीडीए की काट और ओबीसी वोट साधने की रणनीति
Pankaj Chaudhary को प्रदेश अध्यक्ष बनाने के पीछे की मुख्य वजह समाजवादी पार्टी के सफल पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) फार्मूले की काट और महत्वपूर्ण ओबीसी वोट बैंक को फिर से मजबूत करना है। उत्तर प्रदेश की राजनीति में कुर्मी समाज की हिस्सेदारी करीब 7-8 फीसदी है और यादवों के बाद यह दूसरा सबसे प्रभावशाली ओबीसी वर्ग माना जाता है।
सपा के जातीय समीकरण में कुर्मी समाज की अहम भूमिका रही है, जिसके चलते सपा के 5 से 7 सांसद भी कुर्मी हैं और इस समाज का एक बड़ा वोट बैंक अखिलेश यादव के साथ गया है। बीजेपी ने इसी समीकरण को तोड़ने और कुर्मी वोट को अपने पाले में वापस लाने के लिए पंकज चौधरी को अध्यक्ष बनाकर एक बड़ा राजनीतिक संदेश दिया है।
वरिष्ठ पत्रकार रतिभान त्रिपाठी के अनुसार, बीजेपी ने यह कदम अखिलेश यादव के उस दावे पर एक दांव के रूप में चला है, जिसमें अखिलेश लगातार कह रहे थे कि पिछड़ों का बड़ा (कुर्मी) समाज अब बीजेपी के साथ नहीं है।
2022 और 2024 में बीजेपी को कुर्मी वोटों में कमी का डर
पत्रकारों के अनुसार, 2022 विधानसभा चुनाव और 2024 लोकसभा चुनाव में भी कुर्मी समाज का अपेक्षित वोट बीजेपी को नहीं मिला था। पार्टी को आशंका थी कि कहीं कुर्मी समाज इस बार भी उनसे दूर न हो जाए। इसी डर और अखिलेश यादव के लगातार बयानों का जवाब देने के लिए कुर्मी समाज से आने वाले Pankaj Chaudhary को संगठन की कमान सौंपी जा रही है।
कुर्मी समाज का प्रभाव उत्तर प्रदेश के 25 जिलों में है, जहां यह समाज 45 से 50 विधानसभा सीट और 9 से 10 लोकसभा सीटों पर निर्णायक भूमिका निभाता है। बीजेपी को उम्मीद है कि पंकज चौधरी के नेतृत्व में यह वोट बैंक, अपना दल (एस) और अन्य सहयोगी दलों से जुड़े कुर्मी वोटों को फिर से बीजेपी के पक्ष में मजबूत करेगा।
योगी और संगठन में संतुलन की कवायद
बीजेपी सूत्रों के मुताबिक, प्रदेश अध्यक्ष पद की दौड़ में कुर्मी समाज से स्वतंत्र देव सिंह का नाम सबसे आगे चल रहा था, लेकिन वह सीएम योगी आदित्यनाथ के करीबी माने जाते हैं। पार्टी आलाकमान संगठन और सरकार की बागडोर एक ही गुट के पास नहीं रखना चाहता था। इसी संतुलन को साधने के लिए पीएम मोदी के करीबी माने जाने वाले Pankaj Chaudhary के नाम पर मुहर लगी।
वरिष्ठ पत्रकार बताते हैं कि Pankaj Chaudhary को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के क्षेत्रीय विरोधी भी कहा जाता है। इस नियुक्ति को संगठन में शक्ति संतुलन बनाए रखने और यह संदेश देने के तौर पर भी देखा जा रहा है कि ‘संगठन सरकार से बड़ा होता है’, जिसकी झलक केशव प्रसाद मौर्य के एक पुराने बयान में भी दिखी थी।
