उत्तर प्रदेश के नगर निकाय चुनाव के नतीजे सामने आने के बाद एक बात तो सामने आ गई है और वो ये कि मुसलमानों ने परंपरागत रुप से समाजवादी पार्टी को एकतरफा वोट नहीं दिया। अलग-अलग पार्टियों के साथ मुसलमानों का मत जाता हुआ दिखा। जैसे बीजेपी ने मुस्लिम उम्मीदवारों को मैदान में उतारा था और जीत भी हासिल की। मुस्लिम बहुल्य सीट पर कहीं कांग्रेस से हाथ पकड़ा तो कहीं पतंग उड़ाई।
वैसे इस बार के नतीजों ने अखिलेश यादव और मायावती को चौंका दिया है। मुस्लिमों के बदलते रुझान ने सोचने को मजबूर कर दिया है कि लोकसभा चुनाव में मुसलमानों का रुख क्या रहेगा। बीजेपी नेता डॉक्टर लक्ष्मीकांत के बयान ने मायावती और अखिलेश यादव की टेंशन बढ़ा दी है। उनका कहना है कि अब कांग्रेस ही मुस्लिमों के लिए विकल्प है।
मुसलमान सपा के साथ मजबूती से नहीं खड़े
वहीं अगर बात करें उत्तर प्रदेश के नतीजों पर तो इस बार विधानसभा चुनाव की तुलना में मुसलमान सपा के साथ मजबूती से नहीं खड़े नजर आए। मेरठ में तो एआईएमआई का सिक्का चला, सहारनपुर में साइकिल की जगह मुस्लिमों ने हाथी की चाल पर भरोसा कर लिया, बागपत, शामली, मुजफ्फरनगर, मेरठ, बिजनौर और बुलंदशहर में भी सपा कुछ खास नहीं कर पाई और बसपा को भी बहुत ज्यादा नुकसान हुआ। मुस्लिमों की सपा और बसपा से बढ़ती दूरी ने सियासी दलों में हलचल पैदा कर दी।
मुसलमानों का रुझान कांग्रेस की तरफ से जयंत चौधरी को भी फायदा
बीजेपी के राज्यसभा सांसद डॉक्टर लक्ष्मीकांत वाजपेयी अब सीधे तौर पर कहने लगे हैं कि सपा बसपा से मुस्लिमों का मोह भंग हो गया और लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ जाएंगे। आरएलडी मुखिया जयंत चौधरी और कांग्रेस नेता राहुल गांधी के साथ आने की बातें भी सियासी गलियारों में गर्दिश कर रही हैं। कर्नाटक नतीजों के बाद बात और जोर पकड़ रही है कि मुसलमानों का रुझान कांग्रेस की तरफ होने से जयंत चौधरी को भी बड़ा फायदा होगा और बीजेपी के लिए मुश्किल खड़ी हो सकती है।
मुस्लिमों के बदले रुख ने सबसे ज्यादा सपा और बसपा को मुश्किल में डाल दिया
इस बार चुनाव में हर पार्टियों का सिर्फ एक ही टारगेट हैं और वो है मुस्लिम प्ले कार्ड। जिसके पिछे हाथी, साईकिल, कमल सब मुस्लिम वोटरों के पिछे भाग रहे हैं। क्या 2024 भी सिर्फ इस ही साख पर लड़ा जाएगा। इस बार किसकी होजी जीत, किसका दांव बैठेगा स्टीक देखने वाली बात होगी। निकाय चुनाव के बाद बदली पश्चिमी यूपी की सियासी हवा बहुत कुछ कह रही है. मुस्लिमों के बदले रुख ने सबसे ज्यादा सपा और बसपा को मुश्किल में डाल दिया है. वहीं, एआईएमआईएम और कांग्रेस के लिए अच्छे संकेत दिए हैं. अब ऐसे में कर्नाटक से चली कांग्रेस की हवा यूपी होते हुए 2024 में दिल्ली कितनी पर सबकी नजरें टिकी हैं. लोकसभा चुनाव के नतीजे तस्वीर साफ कर जाएंगे कि मुसलमानों ने राहुल गांधी का हाथ कितनी मजबूती से पकड़ा.