लखनऊ ऑनलाइन डेस्क। विधानसभा और पंचायत चुनाव से ठीक पहले उत्तर प्रदेश की सियासत से एक बड़ी खबर सामने आई है। बीजेपी के पूर्व सांसद बृजभूषण शरण सिंह सोमवार को लखनऊ पहुंचे और सीधे सीएम अवास जाकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की। बताया जा रहा है कि दोनों नेताओं के बीच करीब आधे घंटे तक बातचीत हुई। सूत्र बताते हैं कि सीएम योगी ने बृजभूषण शरण सिंह से पंचायत और विधानसभा चुनाव को लेकर चर्चा की। सूत्र बताते हैं कि आने वाले दिनों में पूर्व सांसद को संगठन में बड़ी पद मिल सकता है।
बृजभूषण शरण सिंह अक्सर अपने बयानों के जरिए योगी सरकार को घेरते रहते हैं। सोशल मीडिया पर ऐसी चर्चा थी कि पूर्व सांसद और सीएम योगी आदित्यनाथ के बीच मनमुटाव चल रहा है। लेकिन इस चर्चाओं के बीच बड़ी खबर सामने आई। बृजभूषण शरण सिंह सीएम योगी आदित्यनाथ के सरकारी निवास पर पहली बार पहुंचे। दोनों नेताओं के बीच चर्चा हुई। जानकार बताते हैं कि सीएम योगी और बृजभूषण शरण के बीच पूर्वांचल को लेकर मंथन हुआ। सीएम योगी से इस मुलाकात को यूं तो शिष्टाचार कहा जा रहा है, लेकिन इस मुलाकात के सियासी मायने बहुत हैं।
माना जा रहा है कि इस मुलाकात के बाद बृजभूषण और सीएम योगी की सियासी दूरी खत्म हो सकती है। जानकार बताते हैं कि सीएम योगी बृजभूषण शरण सिंह को संगठन में बड़े पद बैठा सकते हैं। पूर्व सांसद बृजभूषण शरण सिंह की पूर्वांचल में अच्छी पकड़ बताई जाती है। उन्हें पूर्वांचल की राजनीति का किंगमेकर भी कहा जाता है। अखिलेश यादव की नजर भी पूर्वांचल पर है। उन्होंने आजमगढ़ में पीडीए भवन का निर्माण भी करवाया है। ऐसे में सीएम योगी अब बृजभूषण शरण के साथ मिलकर बड़ा उलटफेर करने सकते हैं।
दरअसल, बृजभूषण शरण पूर्वांचल में योगी के ’विरोधी’ के तौर पर जाने जाते रहे हैं और इस बात को बृजभूषण ने कभी छुपाया भी नहीं। हाल में एक न्यूज चैनल के साथ बातचीत के दौरान भी उन्होंने कहा था कि ’मैं नहीं जाता उनके यहां, मेरे परिवार के लोग योगी से मिलते रहते हैं, हालांकि आज वह खुद सीएम से मिलने पहुंच गए। इसके पहले भी बृजभूषण शरण सिंह अक्सर योगी सरकार को घेरते रहे। अखिलेश यादव के पक्ष में कसीदे पढ़ते। लेकिन अब योगी से मुलाकात के बाद दोनों के बीच पड़ी दरार खत्म होगी। पूर्वांचल में अखिलेश के पीडीए भवन को अब सीएम योगी अपने शरण अस्त्र से ध्वस्त करेंगे।
मालूम हो कि बृजभूषण शरण सिंह कैसरगंज से बीजेपी के सांसद रहे हैं। साथ ही डब्ल्यूएफआई के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। राम मंदिर आंदोलन के दौरान भी उन्होंने सक्रिय भूमिका निभाई थी। लेकिन महिला पहलवानों के आरोपों के बाद बीते लोकसभा चुनाव में उनका टिकट कट गया था। हालांकि, उनके बेटे करण भूषण को टिकट मिल गया था। करण चुनाव जीत भी गए। कहा जाता है कि यूपी के एक बीजेपी के गुट ने बृजभूषण शरण सिंह के टिकट कटवाने में अहम रोल निभाया था। इसी के चलते पूर्वांचल का कारसेवक योगी से नाराज चल रहा था।