Brij Bhushan Sharan Singh: पूर्व सांसद और भारतीय कुश्ती महासंघ के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह पॉक्सो केस में अदालत से क्लीन चिट मिलने के बाद एक बार फिर से सुर्खियों में हैं। केस बंद होते ही उन्होंने न सिर्फ अदालत का आभार जताया बल्कि कानूनों के दुरुपयोग पर कड़ा रुख भी अपनाया। अयोध्या पहुंचने पर उनका भव्य स्वागत हुआ—100 से ज्यादा एसयूवी और 10 हजार से अधिक समर्थकों ने उनका ज़ोरदार अभिनंदन किया। इस मौके पर बृजभूषण ने खुलकर कहा कि महिलाओं की सुरक्षा के नाम पर बने कानूनों का राजनीतिक हथियार की तरह इस्तेमाल हो रहा है और सरकार को इसमें हस्तक्षेप करना चाहिए।
कानूनों के दुरुपयोग पर गरजे बृजभूषण
दिल्ली की अदालत द्वारा पॉक्सो एक्ट केस की क्लोजर रिपोर्ट स्वीकार करने के बाद Brij Bhushan Sharan Singh ने अयोध्या में समर्थकों के बीच जमकर अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि विरोधियों ने एक सुनियोजित षड्यंत्र के तहत उन्हें फंसाने की कोशिश की, लेकिन सत्य की जीत हुई। उन्होंने आरोप लगाया कि महिलाओं की सुरक्षा के नाम पर बनाए गए कानूनों का इस्तेमाल अब विरोधियों को फंसाने के लिए किया जा रहा है।
उन्होंने केंद्र सरकार से मांग की कि यौन उत्पीड़न, दहेज उत्पीड़न और दलित अत्याचार से जुड़े कानूनों की समीक्षा की जाए और यह सुनिश्चित किया जाए कि इनका दुरुपयोग न हो।
अयोध्या में हुआ राजसी स्वागत, संतों का मिला आशीर्वाद
पॉक्सो केस से बरी होने के बाद Brij Bhushan Sharan Singh का जबरदस्त स्वागत हुआ। अयोध्या एयरपोर्ट पर समर्थकों की भीड़ उमड़ पड़ी। 100 से अधिक एसयूवी और 10 हजार से ज्यादा समर्थकों के साथ वे हनुमानगढ़ी पहुंचे, जहां उन्होंने दर्शन-पूजन किया और संतों-महंतों का आशीर्वाद लिया। संतों ने वैदिक मंत्रों के साथ पुष्पवर्षा कर उनका स्वागत किया।
बाद में वे नंदिनी कॉलेज पहुंचे, जहां उन्होंने समर्थकों को संबोधित किया और कहा—“जो मुझे सताते रहे, अब वो खुद सताए जाएंगे।”
शायराना अंदाज़ और तेवर भरे बयान
Brij Bhushan Sharan Singh ने बीते दो सालों की घटनाओं को याद करते हुए कहा—“जो खोया उसका ग़म नहीं, जो मिला वो किसी से कम नहीं।” उन्होंने कहा कि कुश्ती संघ के अध्यक्ष पद पर वे नियमों के तहत चुनाव नहीं लड़ सकते थे, लेकिन नए अध्यक्ष संजय सिंह बबलू से उनके चार दशक पुराने संबंध हैं।
उन्होंने खिलाड़ियों पर तंज कसते हुए कहा कि जो महिलाएं उत्पीड़न का आरोप लगा रही थीं, वे आज अंतरराष्ट्रीय मंचों पर खेल रही हैं। क्या कोई सच में उत्पीड़ित महिला ऐसा कर सकती है?
दबदबे की वापसी या राजनीतिक संकेत?
भव्य स्वागत, तेज़ तेवर और कानूनों पर टिप्पणी—बृजभूषण के इस अंदाज़ को राजनीतिक वापसी का संकेत माना जा रहा है। भले ही वह सांसद न बन सके हों, लेकिन उन्होंने साफ कर दिया है—“दबदबा था, दबदबा रहेगा।”