मायावती और असदुद्दीन ओवैसी ने कर दिया बड़ा ‘खेला’, अब हाथी पर सवार होकर यूपी में पतंग उड़ाएंगे ‘भाईजान’

Mayawati and Asaduddin Owaisi up news : यूपी विधासनभा चुनाव 2027 के पहले प्रदेश में एक नया गठबंधन देखने को मिल सकता है। बिहार चुनाव रिजल्ट के बाद बसपा और AIMIM में साथ आने की चर्चा बढ़ गई है।

लखनऊ ऑनलाइन डेस्क। बिहार विधानसभा चुनाव में पीएम नरेंद्र मोदी ने गमझा हिलाकर बड़ा खेला कर दिया। पीएम के गमछे ने महागठबंधन के नेताओं के पैरों के तले से जमीन खिसका दी। बिहारियों ने सुशासन बाबू के नाम पर मुहर लगा दी। पीएम मोदी और नीतीश की जोड़ी पर बिहार की जनता फिदा हो गई। दोनों नेताओं का ऐसा जादू चला कि सुशासन बाबू एकबार फिर पटना के सरकार बनने जा रहे हैं। वहीं आरजेडी-कांग्रेस के नेता-कार्यकर्ता हार को पचा नहीं पाए। वह खुलकर कभी लालू परिवार के अहम सदस्य संजय को कोस रहे तो कभी ओवैसी पर हार का टीकरा फोड़ रहे। पर हैदराबाद भाईजान मग्न हैं। वह महागठबंधन की हार पर चुटकी ले रहे हैं। वह लालू के लाल तेजस्वी पर तंज कस रहे हैं। ओवैसी डंके की चोट पर बोल रहें। औवैसी ने एलान कर दिया है कि बिहार के बाद यूपी में अब्दुल अब बैंडबाजा-बराती नहीं बनेगा। अब यूपी में अब्दुल खुद विधायक और सरकार में मंत्री बनेगा। औवैसी की इस दहाड़ से यूपी की सियासी पर्रा चढ चुका है। अटकलों का बाजार गर्म है। ऐसी चर्चा कि 2027 के चुनाव में बीएसपी-एआईएमआईएम गठबंधन कर सकते हैं।

बिहार में एनडीए की जीत के बाद जल्द ही नई सरकार शपथ लेने वाली है। नीतीश सरकार के मंत्रियों के नामों को लेकर मंथन जारी है। शपथ की तैयारियां भी जोरों पर है। नीतीश कुमार दसवीं पर सीएम पद की शपथ लेने वाले हैं। ऐसे में पीएम नरेंद्र मोदी, अमित शाह के अलावा बीजेपी के दिग्गज नेता शपथ समारोह में शामिल होंगे। पटना में शपथ को लेकर बैठकें जारी है तो यूपी की राजधानी लखनऊ में ठंड के बीच सियासी पारा अपने पूरे सवाब पर है। सोशल मीडिया से लेकर गली-मोहल्लों में बीएसपी चीफ और ओवैसी को लेकर बड़ी चर्चा है। औवैसी की पार्टी ने बिहार में पांच सीटों पर जीत दर्ज की तो बीएसपी के खाते में एक सीट आई। सबसे ज्यादा शोर बीएसपी को लेकर है। बीएसपी ने बिहार में एक सीट पर जीत दर्ज की है। वो भी तब जब बसपा दूर-दूर तक फाइट में नहीं थी। इतना ही नहीं, बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने भी सिर्फ एक-दो रैली ही की थी। ऐसे में बीएसपी में परफॉर्मेंस ने सभी को ना केवल चौंका दिया है, बल्कि यूपी चुनाव में बीजेपी और सपा के लिए मायावती सबसे बड़ा खतरा बन गई है।

उधर असदुद्दीन ओवैसी के साथ अंदर खाने बसपा की बढ़ती नजदीकियां नई इबारत को लिखने की सुगबुगाहट को हवा दे रही है। दरअसल भले ही बहुजन समाज पार्टी ने बिहार में अकेले दम पर चुनाव लड़ा है, लेकिन एआईएमआईएम नेताओं का बीएसपी के पक्ष में वोट करने के लिए कहना एक बड़ा संदेश दे रहा है। जानकारों की माने तो बसपा नेता अनिल पटेल और जीते कैंडिडेट पिंटू यादव की प्रेस कॉन्फ्रेंस में ओवैसी की पार्टी का झंडा लगा था। इतना ही नहीं, पिंटू यादव की जीत के जुलूस में भी औवैसी की पार्टी का झंडा दिख रहा था। इसके अलावा कई सीट पर औवैसी की पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष ने यहां तक कह दिया था कि जहां हमारा उम्मीदवार नहीं है, वहां बीएसपी कैंडिडेट को वोट दीजिए। जबकि बिहार में औवैसी का चंद्रशेखर आजाद और स्वामी प्रसाद मौर्य की पार्टी से गठबंधन था। इतना ही नहीं, गठबंधन होने के बावजूद असदुद्दीन ओवैसी ने चंद्रशेखर आजाद के साथ पूरे चुनाव में कही भी मंच नहीं साझा किया। ऐसा माना जा रहा है कि कहीं ना कहीं असदुद्दीन ओवैसी और मायावती के बीच बातचीत जरूर हुई है। उसके बाद ही यह सब देखने को मिल रहा है।

नई संभावनों को लेकर जानकारों का कहना है कि मायावती बहुत साफ बोलती है। उन्हें समर्थन नहीं चाहिए होता तो वो साफ मना कर देती। मायावती अक्सर मंच से ही बिना नाम लिए सब कुछ कह देती है, लेकिन ऐसा कुछ नहीं देखने को मिला। जानकार बताते हैं ओवैसी की पार्टी के प्रवक्ता असीम वकार ने अपने एक बयान में बसपा सुप्रीमो मायावती को प्रधानमंत्री बनाने की बात कही है। ऐसे में इस तरह के बयान और तमाम तरह की एक्टिविटी को देखे तो कही न कहीं मायावती और ओवैसी के एक साथ आने की सुगबुगाहट की ओर इशारा कर रहा है। उन्होंने बताया कि 9 अक्टूबर की रैली और मुसलमानों के साथ बैठक के बाद अब ओवैसी से बढ़ती नजदीकियां, यह सब इशारा कर रहा है कि पर्दे के पीछे कुछ न कुछ चल रहा है। जानकार बताते हैं कि बसपा सुप्रीमो मायावती मुस्लिम वोट के लिए असदुद्दीन ओवैसी के साथ जा सकती है। उधर, ओवैसी भी अपने ऊपर लगे धर्म विशेष के ठप्पे से निजात पाने के लिए मायावती के साथ जा सकते हैं।

मायावती और ओवैसी 2020 बिहार चुनाव में पहले भी एक साथ गठबंधन में थे। बसपा एकलौती राष्ट्रीय पार्टी है, जिसने ओवैसी की पार्टी से गठबंधन किया है। जानकार बताते हैं मायावती और ओवैसी के बीच कुछ तो जरूर चल रहा है, जो मार्च-अप्रैल तक बड़े घटनाक्रम के तौर देखने को मिल सकता है। उस बड़े घटनाक्रम में ओवैसी का मायावती के साथ जाना भी हो सकता है। जानकारों की माने तो पश्चिमी यूपी में शाहजहांपुर से सहारनपुर तक की लगभग 100 विधानसभा सीट पर यादव वोट नहीं है। जाटव और मुसलमान मिलकर 55 से 60 फीसदी वोट प्रतिशत बन जाता है। बसपा ने 1989 में वेस्ट यूपी से तीन मुसलमान कैंडिडेट जिता लिए थे। वेस्ट यूपी वैसे भी अखिलेश यादव और मुलायम सिंह यादव के साथ नहीं रहा है। पश्चिमी यूपी का मुसलमान जाट के साथ था। पश्चिमी यूपी में ओवैसी अपने पैर जमा चुके हैं। बिहार चुनाव रिजल्ट के बाद ज्यादा ताकतवर बनकर उभरे हैं। ऐसे में पश्चिमी यूपी का नतीजा चौका सकता है।

 

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