हिंसा के 6 साल बाद इंसाफ: बुलंदशहर स्याना कांड में 38 दोषियों को आज मिलेगी सजा

2018 में बुलंदशहर के स्याना में गोहत्या की अफवाह पर भड़की हिंसा में इंस्पेक्टर सुबोध सिंह और युवक सुमित की मौत हो गई थी। आज कोर्ट 38 दोषियों को सजा सुनाएगी, जिनमें एक बीजेपी नेता भी शामिल है।

Bulandshahr

Bulandshahr violence: उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले में 2018 में हुए स्याना हिंसा कांड में आज न्याय की अंतिम घड़ी आ गई है। कोर्ट ने पहले ही 38 आरोपियों को दोषी करार दे दिया था और अब 1 अगस्त को इन्हें सजा सुनाई जाएगी। यह मामला उस समय देशभर में चर्चा में आ गया था, जब गोहत्या की अफवाहों के बीच भड़की हिंसा में एसएचओ सुबोध कुमार सिंह और एक युवक सुमित की मौत हो गई थी। आज एडीजे-12 गोपालजी की अदालत में दोषियों की सजा पर बहस होगी और दोपहर बाद फैसला सुनाया जा सकता है। इसमें एक बीजेपी नेता समेत कई चर्चित चेहरे आरोपी हैं। आइए जानते हैं पूरे घटनाक्रम की अब तक की कहानी—

छह साल बाद इंसाफ के दरवाजे पर

3 दिसंबर 2018 को Bulandshahr के स्याना थाना क्षेत्र के चिंगरावठी गांव में कथित गोहत्या को लेकर हिंसा भड़क गई थी। उपद्रवियों ने वाहनों को आग लगा दी, पुलिस टीम पर पथराव किया और हालात बेकाबू हो गए। इस दौरान स्याना के तत्कालीन थाना प्रभारी एसएचओ सुबोध कुमार सिंह को गोली मार दी गई, जिससे उनकी मौत हो गई। घटनास्थल पर मौजूद 20 वर्षीय सुमित भी हिंसा की चपेट में आ गया और गोली लगने से उसकी भी जान चली गई।

चार्जशीट से लेकर कोर्ट के फैसले तक

इस मामले में Bulandshahr पुलिस ने कुल 44 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी। मुकदमे के दौरान 5 आरोपियों की मौत हो गई, जबकि एक आरोपी नाबालिग निकला, जिसके केस की सुनवाई बाल न्यायालय में चल रही है। बाकी 38 आरोपियों को 30 जुलाई को कोर्ट ने दोषी ठहराया। इनमें 5 को हत्या की धारा 302 के तहत दोषी पाया गया, जबकि अन्य 33 को बलवा, हत्या का प्रयास, सरकारी संपत्ति को नुकसान और आगजनी जैसी गंभीर धाराओं में सजा होनी तय हुई।

कौन-कौन हैं दोषी?

Bulandshahr हत्याकांड में दोषी ठहराए गए पांच आरोपी हैं—प्रशांत नट, डेविड, जॉनी, राहुल और लोकेंद्र मामा। इन पर इंस्पेक्टर सुबोध कुमार की हत्या में संलिप्तता सिद्ध हुई है। शेष 33 आरोपियों में से कुछ पर निषाद पार्टी और बीजेपी से जुड़ाव रहा है। इनमें योगेश राज जो पहले बजरंग दल के जिला संयोजक थे और शिखर अग्रवाल, जो निषाद पार्टी के प्रदेश महासचिव रह चुके हैं, भी शामिल हैं। विशेष लोक अभियोजक यशपाल सिंह राघव ने बताया कि सभी आरोपियों की भूमिका वीडियो फुटेज, कॉल रिकॉर्ड और चश्मदीद गवाहों के आधार पर साबित की गई।

कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला आज

एडीजे-12 गोपालजी की अदालत में आज सुबह 11 बजे से सजा पर बहस शुरू होगी। इसके बाद दोपहर में कोर्ट सजा का ऐलान कर सकती है। इस फैसले को पूरे प्रदेश में एक नजीर के रूप में देखा जा रहा है, क्योंकि यह भीड़ द्वारा कानून हाथ में लेने और अफवाहों के आधार पर हिंसा फैलाने के खिलाफ बड़ा संदेश है। कोर्ट परिसर में सुरक्षा के सख्त इंतजाम किए गए हैं।

स्याना हिंसा कांड में इंसाफ की यह घड़ी सिर्फ पीड़ितों के लिए नहीं, बल्कि कानून-व्यवस्था की मजबूती के लिए भी अहम है। वर्षों बाद आए इस फैसले से उम्मीद की जा रही है कि भीड़तंत्र के खिलाफ एक सख्त संदेश जाएगा और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने में मदद मिलेगी।

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