कथावाचक अनिरुद्धाचार्य लड़कियों पर आपत्तिजनक टिप्पणी के मामले में अब कानूनी मुश्किलों में घिर गए हैं और आगरा की एक अदालत ने उनके खिलाफ आपराधिक शिकायत (परिवाद) दर्ज करते हुए केस आगे बढ़ाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। यह मामला उनके उस विवादित बयान से जुड़ा है, जिसमें उन्होंने 25 साल की अविवाहित लड़कियों के चरित्र को लेकर अपमानजनक टिप्पणी की थी।
क्या है मामला और किसने की शिकायत?
अखिल भारत हिंदू महासभा की आगरा जिलाध्यक्ष मीरा राठौर ने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (CJM) आगरा की अदालत में याचिका दाखिल कर कथावाचक अनिरुद्धाचार्य के खिलाफ मुकदमा चलाने की मांग की थी। शिकायत में आरोप है कि अनिरुद्धाचार्य ने एक धार्मिक कार्यक्रम के दौरान बेटियों/अविवाहित लड़कियों की शादी की उम्र को लेकर इस तरह टिप्पणी की कि “आजकल 25 साल की लड़की तक आते-आते कई जगह ‘मुंह मार’ चुकी होती है”, जिसे याचिकाकर्ता ने लड़कियों की इज्जत और समाज में उनकी छवि को ठेस पहुंचाने वाला, अश्लील और स्त्री–सम्मान के खिलाफ बताया।
अदालत ने 9 दिसंबर को इस याचिका पर संज्ञान लेते हुए परिवाद दर्ज कर लिया है और अब एक जनवरी की तारीख याचिकाकर्ता के बयान दर्ज करने के लिए तय की है। इससे पहले मथुरा और आगरा में महिला वकीलों और सामाजिक संगठनों ने बार एसोसिएशन के बैनर तले प्रदर्शन करते हुए पुलिस और प्रशासन से भी उनके खिलाफ FIR दर्ज करने की मांग की थी।
आरोप किस तरह के और आगे की प्रक्रिया क्या?
याचिका में अनिरुद्धाचार्य पर महिलाओं की गरिमा को ठेस पहुंचाने, अश्लील/अभद्र टिप्पणी, और समाज में महिलाओं के प्रति नफरत या भेदभाव पैदा करने जैसे प्रावधानों (IPC की संबंधित धाराओं) के तहत कार्रवाई की मांग की गई है। अदालत द्वारा परिवाद दर्ज किए जाने का मतलब है कि अब मजिस्ट्रेट पहले शिकायतकर्ता और गवाहों के बयान दर्ज करेगा, इसके बाद यह तय होगा कि अनिरुद्धाचार्य के खिलाफ समन जारी कर मुकदमा औपचारिक रूप से चलाया जाए या नहीं।
विवाद बढ़ने के बाद अनिरुद्धाचार्य ने एक स्पष्टीकरण वीडियो जारी कर कहा था कि उनकी बात “कुछ लड़कियों” के संदर्भ में थी, सभी पर नहीं, और उनके बयान को एडिट कर गलत अर्थ निकाला गया। उन्होंने यह भी दावा किया कि वे महिलाओं की इज्जत करते हैं और अगर किसी बहन–बेटी की भावनाएं आहत हुई हैं तो वे क्षमा चाहते हैं। हालांकि महिला संगठनों और बार एसोसिएशन का रुख यह है कि ऐसे बयान सार्वजनिक मंच से देकर बाद में माफी मांग लेना पर्याप्त नहीं, और कानून के तहत जवाबदेही तय होनी चाहिए।
