CEC Gyanesh Kumar: भारत को 19 फरवरी, 2025 को नया मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) मिला, जब ज्ञानेश कुमार ने राजीव कुमार की सेवानिवृत्ति के बाद पदभार संभाला। केरल कैडर के 1988 बैच के IAS अधिकारी ज्ञानेश कुमार के पास तीन दशकों से अधिक का प्रशासनिक अनुभव है। उन्होंने गृह मंत्रालय, संसदीय कार्य मंत्रालय और सहकारिता मंत्रालय में कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया। विशेष रूप से, उन्होंने राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के गठन और अनुच्छेद 370 निरस्त होने के बाद जम्मू-कश्मीर के प्रशासन में अहम भूमिका निभाई। उनकी नियुक्ति विपक्ष के निशाने पर है, जो चुनाव आयोग की स्वतंत्रता और नियुक्ति प्रक्रिया पर सवाल उठा रहा है। अब उनकी अगुवाई में भारत के अगले बड़े चुनाव होंगे।
ज्ञानेश कुमार- एक अनुभवी प्रशासक
CEC Gyanesh Kumar केरल कैडर के 1988 बैच के आईएएस अधिकारी हैं और उनका प्रशासनिक करियर तीन दशकों से अधिक का है। वे आईआईटी कानपुर से सिविल इंजीनियरिंग में स्नातक हैं और आईसीएफएआई से बिजनेस फाइनेंस की पढ़ाई करने के बाद हार्वर्ड विश्वविद्यालय में पर्यावरण अर्थशास्त्र का अध्ययन कर चुके हैं। उनकी यह विविध शैक्षणिक पृष्ठभूमि प्रशासन, अर्थशास्त्र और नीति निर्माण के प्रति उनकी समझ को मजबूत बनाती है।
उन्होंने अपने करियर में कई महत्वपूर्ण भूमिकाएँ निभाई हैं। संसदीय कार्य मंत्रालय और सहकारिता मंत्रालय में सचिव के रूप में उन्होंने विधायी समन्वय और सहकारी क्षेत्र में सुधारों को गति दी। गृह मंत्रालय में भी उनकी भूमिका महत्वपूर्ण रही, विशेष रूप से श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के गठन में उनकी सक्रिय भागीदारी रही, जो भारत के सांस्कृतिक और धार्मिक विकास से जुड़ी एक ऐतिहासिक पहल थी।
जम्मू-कश्मीर में बड़ी जिम्मेदारी
2019 में अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद जम्मू-कश्मीर में उनका कार्यकाल काफी अहम रहा। उन्होंने गृह मंत्रालय में संयुक्त सचिव (कश्मीर डिवीजन) और बाद में अतिरिक्त सचिव के रूप में कार्य किया। इस दौरान CEC Gyanesh Kumar ने राजनीतिक रूप से संवेदनशील इस क्षेत्र में प्रशासनिक स्थिरता बनाए रखने और संक्रमण को सुचारू रूप से प्रबंधित करने में प्रमुख भूमिका निभाई। उनके इस कार्यकाल ने उन्हें एक कुशल और निर्णायक प्रशासक के रूप में स्थापित किया।
1950 से 2025 तक भारत के मुख्य चुनाव आयुक्तों की सूची
- सुकुमार सेन (1950-1958)
- केवीके सुंदरम (1958-1967)
- एसपी सेन-वर्मा (1967-1972)
- डॉ. नागेंद्र सिंह (1972-1973)
- टी स्वामीनाथन (1973-1977)
- एसएल शकधर (1977-1982)
- आरके त्रिवेदी (1982-1985)
- आरवीएस पेरी शास्त्री (1986-1990)
- एस एस धनोआ (1990)
- टी एन शेषन (1990-1996)
- एमएस गिल (1996-2001)
- जेएम लिंगदोह (2001-2004)
- टी एस कृष्णमूर्ति (2004-2005)
- बी बी टंडन (2005-2006)
- एन गोपालस्वामी (2006-2009)
- नवीन चावला (2009-2010)
- एस वाई क़ुरैशी (2010-2012)
- वी एस संपत (2012-2015)
- एच एस ब्रह्मा (2015)
- नसीम जैदी (2015-2017)
- अचल कुमार ज्योति (2017-2018)
- ओम प्रकाश रावत (2018-2019)
- सुनील अरोड़ा (2019-2021)
- सुशील चंद्रा (2021-2022)
- राजीव कुमार (2022-2025)
- ज्ञानेश कुमार (2025-वर्तमान)
यह सूची 1950 में भारतीय चुनाव आयोग की स्थापना से लेकर 19 फरवरी, 2025 तक के सभी मुख्य चुनाव आयुक्तों को दर्शाती है।
केरल में नेतृत्व और प्रशासनिक अनुभव
केरल में भी CEC Gyanesh Kumar का प्रशासनिक अनुभव उल्लेखनीय रहा है। उन्होंने एर्नाकुलम के जिला कलेक्टर और केरल राज्य सहकारी बैंक के प्रबंध निदेशक के रूप में कार्य किया। इन भूमिकाओं में उन्होंने जमीनी स्तर पर प्रशासनिक दक्षता का प्रदर्शन किया और बड़े संस्थानों के संचालन में अपनी कुशलता साबित की।
सीईसी के रूप में चयन और विपक्ष की आपत्ति
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली चयन समिति ने CEC Gyanesh Kumar को नया मुख्य चुनाव आयुक्त नियुक्त किया। वे राजीव कुमार की जगह लेंगे, जिन्होंने 2024 के लोकसभा चुनावों सहित कई महत्वपूर्ण चुनावों की देखरेख की थी और 17 फरवरी, 2025 को सेवानिवृत्त हुए।
हालांकि, विपक्षी दल, विशेष रूप से कांग्रेस, इस नियुक्ति को लेकर असंतोष व्यक्त कर रहे हैं। कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट में लंबित उस याचिका की सुनवाई तक सीईसी की नियुक्ति को स्थगित करने की मांग की है, जिसमें चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति प्रक्रिया को चुनौती दी गई है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने कहा, “जब सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति प्रक्रिया को लेकर सुनवाई लंबित है, तब इस तरह की नियुक्ति लोकतांत्रिक प्रक्रिया के साथ अन्याय है। सरकार को इस पर विचार करना चाहिए था।”
विपक्ष का आरोप है कि सरकार ने चुनाव आयोग को अपने नियंत्रण में रखने के लिए नई नियुक्ति प्रक्रिया लागू की है, जिससे उसकी निष्पक्षता प्रभावित हो सकती है। इससे पहले, चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा प्रधानमंत्री, विपक्ष के नेता और सीजेआई की समिति की सिफारिश पर की जाती थी, लेकिन अब सीजेआई को हटाकर इस प्रक्रिया को बदला गया है।
भारत के चुनावों पर प्रभाव
भारत जैसे विशाल लोकतंत्र में चुनाव आयोग की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण होती है। यह सुनिश्चित करना चुनाव आयोग की जिम्मेदारी होती है कि चुनाव निष्पक्ष, पारदर्शी और स्वतंत्र तरीके से संपन्न हों।
CEC Gyanesh Kumar ऐसे समय में इस पद को संभाल रहे हैं जब देश में आगामी विधानसभा चुनावों और 2029 के लोकसभा चुनावों की तैयारियाँ शुरू हो रही हैं। ऐसे में उनके नेतृत्व में चुनाव आयोग की निष्पक्षता और स्वायत्तता को लेकर लगातार निगरानी बनी रहेगी।
क्या होंगे ज्ञानेश कुमार के सामने प्रमुख चैलेंज?
- चुनाव आयोग की स्वतंत्रता बनाए रखना: विपक्ष के आरोपों के बीच उन्हें यह साबित करना होगा कि चुनाव आयोग सरकार से स्वतंत्र होकर कार्य कर सकता है।
- चुनावी सुधार: इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) और मतदाता सूची की पारदर्शिता को लेकर संदेह दूर करना उनके लिए बड़ी चुनौती होगी।
- कानूनी चुनौतियाँ: विपक्ष पहले ही उनकी नियुक्ति को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की बात कर चुका है, जिससे उनके कार्यकाल की शुरुआत विवादों से घिरी हो सकती है।
- 2029 लोकसभा चुनाव की तैयारी: अगले आम चुनाव के दौरान निष्पक्ष और व्यवस्थित प्रक्रिया सुनिश्चित करना उनकी सबसे बड़ी परीक्षा होगी।
क्या कहता है संविधान?
भारतीय संविधान के अनुसार, चुनाव आयोग स्वतंत्र संवैधानिक निकाय है, जिसे निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने का अधिकार प्राप्त है। अनुच्छेद 324 के तहत, मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। हालाँकि, सरकार द्वारा इस प्रक्रिया में बदलाव कर विपक्ष के नेता की भूमिका को सीमित कर दिया गया है, जिससे राजनीतिक बहस छिड़ गई है।
भविष्य की राह
CEC Gyanesh Kumar एक अनुभवी प्रशासक हैं और उन्होंने विभिन्न मंत्रालयों में काम करके अपनी क्षमता साबित की है। लेकिन उनके नेतृत्व में चुनाव आयोग की निष्पक्षता और पारदर्शिता सुनिश्चित करना एक बड़ी चुनौती होगी। उनके फैसले और प्रशासनिक दृष्टिकोण पर न केवल राजनीतिक दल, बल्कि देश की जनता भी नजर रखेगी।
उनके कार्यकाल का सबसे महत्वपूर्ण दौर तब आएगा जब वे 2029 के लोकसभा चुनावों की जिम्मेदारी संभालेंगे। क्या वे चुनाव आयोग की स्वतंत्रता बनाए रख पाएंगे या विपक्ष के आरोपों में कुछ सच्चाई नजर आएगी, यह देखने वाली बात होगी।