प्रयागराज ऑनलाइन डेस्क। उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में 13 जनवरी 2025 से महाकुंभ का आगाज होने जा रहा है। 45 दिनों तक चलने वाले इस महापर्व को लेकर तैयारियों जोरों पर चल रही हैं। अखाड़ों की आगवनी संगमनगरी कर रही है। संत-सन्यासी टेंटसिटी में अपने हठयोग से सबको मंत्रमुग्ध कर रहे हैं। ऐसे ही एक संत प्रतापगढ़ से महाकुंभ में पहुंचे हैं। जिन्हें ‘चाय वाले बाबा’ के नाम से पुकारा जाता है। बाबा के बारे में बताया जाता है कि वह सिविल सेवा के अलावा टीचर्स और डॉक्टर्स बनने की चाहत रखने वाले अभ्यर्थियों का मागदर्शन करते हैं।
40 साल से अभ्यर्थियों का करते आ रहे मार्गदर्शन
महाकुंभ में प्रतापगढ़ से दिनेश स्वरूप ब्रह्मचारी भी पहुंच चुके हैं। उन्होंने भी अपनी कुटिया सजा ली है और महादेव की तपस्या में लीन हैं। बताया जाता है कि दिनेश स्वरूप ब्रह्मचारी पहले चाय बेचने का काम किया करते थे। बाबा पढ़े लिखे थे। समय निकाल कर वह बच्चों को पढ़ाया करते थे। करीब 40 वर्ष पहले वह संत बन गए और अपने आश्रृम में ही सिविल सेवा के अलावा दूसरी सर्विज की तैयारी करने वाले युवकों को मार्गदर्शन करने लगे। दिनेश स्वरूप ब्रह्मचारी पिछले 40 सालों से सिविल सेवा के अभ्यर्थियों को मार्गदर्शन दे रहे हैं।
इशारों से और व्हाट्सएप के जरिए मार्गदर्शन
दिनेश स्वरूप ब्रह्मचारी अन्न ग्रहण नहीं करते। वह बोलते भी नहीं। वह रोज़ाना दस कप चाय पीते हैं और मौन व्रत रखे हुए हैं। अभ्यर्थियों को इशारों से और व्हाट्सएप के जरिए मार्गदर्शन देते हैं। समर्पित छात्र राजेश सिंह ने बताया कि महाराज जी हमें सालों से मार्गदर्शन दे रहे हैं। उनके मौन के बावजूद हम उन्हें लिखित नोट्स और इशारों के जरिए समझते हैं। अभ्यर्थी राजेश ने बताया कि चाय वाले बाबा का ज्ञान उनके शब्दों से परे है। बाबा के बारे में सुनकर न सिर्फ भारतीय लोग बल्कि विदेशी भी चौंक रहे हैं और उनके इस भाव को नमन कर रहे हैं।
व्हाट्सएप पर छात्रों के सवालों का जवाब
बाबा छात्रों को मुफ्त कोचिंग और अध्ययन सामग्री प्रदान करते हैं। व्हाट्सएप पर छात्रों के सवालों का जवाब देते हैं। लोग बताते हैं कि चाय वाले बाबा का मौन व्रत उनकी एनर्जी को बचाने के लिए रखा हुआ है। जिस एनर्जी को वह बाकी ज्ञान अर्जन करने और लोगों तक बांटने के काम में लगाते हैं। उनका उद्देश्य है कि वह ज्यादा से ज्यादा लोगों की भलाई कर सकें। उनके साथ महाकुंभ आए छात्रों ने बताया कि महाराज जी ने अपना पूरा जीवन शिक्षा और सनातन के नाम पर समर्पित कर दिया है। शिक्षा का ज्ञान के साथ महाराज जी धर्म का प्रचार-प्रसार भी कर रहे हैं।
बाबा के मुरीद हुए लोग
प्रयागराज के मेले में आए चाय वाले बाबा के बारे में जिसे भी पता चल रहा है वह उनका मुरीद हो जा रहा है। बाबा ने मौन रहने और भोजन नहीं करने का व्रत लिया है। जिसकी वजह से 40 सालों से उन्होंने न तो एक अन्न का दाना खाया है और न ही एक शब्द अपने मुंह से कहा हैण्। जीवन यापन के लिए बाबा बस रोजाना 10 कप चाय पीते हैं। इसके अलावा अभ्यर्थियों के प्रति उनका लगाव देखते ही बनता हैण्। वह यूपीएससी एसपिरेंट्स को गाइड करते हैं।