Kusuma Nain Death: चंबल के बीहड़ों में कभी आतंक का पर्याय रही कुख्यात ‘दस्यु सुंदरी’ कुसुमा नाइन का रविवार को निधन हो गया। वह पिछले दो महीने से टीबी रोग से पीड़ित थी और इटावा जिला जेल में सजा काट रही थी। हालत बिगड़ने पर उसे पहले इटावा मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया, फिर सैफई मेडिकल यूनिवर्सिटी रेफर कर दिया गया था। वहां भी सुधार न होने पर उसे लखनऊ स्थित एसजीपीआई भेजा गया, जहां शनिवार दोपहर बाद उसने दम तोड़ दिया।
इटावा जेल अधीक्षक कुलदीप सिंह के अनुसार, 20 साल से उम्रकैद की सजा काट रही कुसुमा को जब अस्पताल ले जाया गया था, तब उसकी हालत बेहद नाजुक थी। इलाज के बावजूद उसकी जान नहीं बच सकी।
चंबल की खूंखार दस्यु सुंदरी, जिसने दहशत का राज किया
Kusum Nain का नाम चंबल के उन कुख्यात डकैतों में गिना जाता है, जिनके नाम से बीहड़ कांपते थे। वह डकैत रामआसरे उर्फ फक्कड़ बाबा की करीबी थी और उसके गिरोह का अहम हिस्सा थी। दोनों ने मिलकर यूपी और एमपी में 200 से ज्यादा अपराध किए थे, जिनमें हत्या, लूट, फिरौती और अपहरण शामिल थे।
2004 में कुसुमा और फक्कड़ बाबा गिरोह ने मध्य प्रदेश के भिंड जिले के दमोह थाना स्थित रावतपुरा चौकी पर बिना किसी मध्यस्थ के समर्पण कर दिया था। उस समय फक्कड़ बाबा पर यूपी पुलिस ने 1 लाख और एमपी पुलिस ने 15 हजार रुपये का इनाम घोषित किया था। वहीं, कुसुमा नाइन पर उत्तर प्रदेश सरकार ने 20 हजार और मध्य प्रदेश सरकार ने 15 हजार रुपये का इनाम रखा था।
गिरोह के समर्पण के दौरान उन्होंने कई विदेशी हथियार भी पुलिस को सौंपे थे, जिनमें अमेरिका निर्मित 306 बोर की तीन सेमी-ऑटोमैटिक स्प्रिंगफील्ड राइफलें, एक ऑटोमैटिक कारबाइन और 12 बोर की एक डबल बैरल राइफल शामिल थी।
उपनिदेशक गृह की हत्या में मिली थी उम्रकैद
Kusuma Nain को 2017 में एक फास्ट ट्रैक कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई थी। यह सजा उपनिदेशक गृह हरदेव आदर्श शर्मा की हत्या के मामले में सुनाई गई थी।
इस हत्याकांड में फक्कड़ और कुसुमा नाइन ने 1995 में अफसर के बेटे पवन कुमार शर्मा से 50 लाख की फिरौती मांगी थी। फिरौती नहीं मिलने पर अफसर की हत्या कर दी गई थी और उसका शव इटावा के सहसो थाना क्षेत्र में मिला था। इस मामले में बेटे पवन कुमार शर्मा सहित कुल नौ लोगों ने गवाही दी थी, जिसके आधार पर कोर्ट ने कुसुमा और फक्कड़ बाबा को उम्रकैद की सजा और 35 हजार रुपये का जुर्माना सुनाया था।
आतंक से सलाखों तक: कुसुमा की काली कहानी
चंबल की बीहड़ों में जन्मी Kusum Nain का नाम पहली बार पुलिस रिकॉर्ड में तब आया जब उसने 1980 के दशक में डकैतों के संपर्क में आकर अपराध की दुनिया में कदम रखा। फक्कड़ बाबा के गिरोह में शामिल होकर उसने कई बड़ी वारदातों को अंजाम दिया।
उस दौर में चंबल के बीहड़ों में कई महिला डकैत थीं, जिनमें फूलन देवी, सीमा परिहार और रज्जो गूजर जैसे नाम शामिल थे। कुसुमा भी उन्हीं में से एक थी, जो खूबसूरती के साथ-साथ अपनी क्रूरता के लिए कुख्यात थी।
समर्पण के बाद कुसुमा नाइन पर कोर्ट में कई मुकदमे चले, जिनमें हत्या, अपहरण और लूट जैसे गंभीर अपराध शामिल थे। 2017 में जब उसे उम्रकैद की सजा हुई, तब उसने जेल में खुद को साध्वी की तरह प्रस्तुत करना शुरू कर दिया था। लेकिन उसकी दस्यु सुंदरी वाली पहचान कभी धुंधली नहीं हुई।
Kusuma Nain की मौत से खत्म हुआ चंबल खौफ
सैफई मेडिकल यूनिवर्सिटी में दम तोड़ने के बाद Kusuma Nain के शव को उसके पैतृक गांव टिकरी (सिरसा कालर, जालौन) ले जाया गया, जहां उसका अंतिम संस्कार कर दिया गया।
कभी चंबल के बीहड़ों में खौफ पैदा करने वाली यह दस्यु सुंदरी अब दुनिया से विदा हो चुकी है, लेकिन उसकी कहानी चंबल के काले इतिहास का एक अहम हिस्सा बनी रहेगी।