लखनऊ ऑनलाइन डेस्क। एक वक्त था, जब पूर्वांचल की गली-मोहल्लों में सिर्फ मुख्तार अंसारी एंड फैमिली की ही मुनादी हुआ करती थी। बड़े फाटक से मुख्तार फरमान जारी करता और उसे आजमन से लेकर खासजन तक को मानना पड़ता था। बाहुबल इतना कि माफिया जेल से बैठकर अपने इलाके की सरकार चलाता। परिवार के सियासत पर ब्रेक लगाने वालों का अपने शूटर्स के जरिए द एंड करवा देता। हनक के चलते मुख्तार की गाजीपुर से लेकर मऊ में बकैती चलती रही। प्रदेश में निजाम बदला तो मुख्तार के बुरे दिन शुरू हो गए। बेटा-बहू सलाखों के पीछे भेजे गए। पत्नी इनामिया अपराधी घोषित हुई तो अंत में मुख्तार का भी जेल से जनाजा निकला। इतना सब होने के बाद भी पूर्वांचल के इस खलीफा के खिलाफ सरकार का ऑपरेशन जारी रहा। बीजेपी के नेता अंदरखाने मुख्तार की सियासी फसल को बर्बाद करने में जुटे रहे। यही वजह रही कि पहले अब्बास की विधायकी गई और अब छोटे मिया यानि उमर अंसारी की पहली गिरफ्तारी हुई।
मुख्तार और उसके परिवार ने कभी नहीं सोचा होगा कि एक दिन ऐसा भी आएगा, जब वह पूर्वांचल में दगे कारतूस साबित होगे। मुख्तार ने सपने में भी नहीं सोचा होगा कि उसके दोनों बेटों के हाथों पर हथकड़ी पड़ेगी। पत्नी इनामिया अपराधी घोषित होगी। बड़े भाई अफजाल को जेल जाना पड़ेगा। लेकिन ये सबकुछ हुआ। कहते हैं कि जैसे करनी वैसी भरनी। यानि जो किया है, उसका हिसाब-किताब यहीं पर होगा। और मुख्तार के गुनाहों की सजा उसे इसी धरती पर मिली। सरकार और प्रशासन ने मुख्तार के जरायम का द एंड कर दिया। अब बची थी उसकी तैयार की हुई सियासी फसल। जिस पर एक-एक कर उसे बीजेपी के नेता बुल्डोज कर रहे हैं। बीजेपी पूरी ताकत के साथ मऊ में जुटी है। मुख्तार के बेटे उमर अंसारी भी पिता की विरासत को संभालने के लिए उछल-कूद कर रहे थे। एक मामले में उमर को पुलिस ने अरेस्ट कर जेल भेज दिया। जानकार बताते हैं कि बीजेपी नेता मनोज राय पूरी ताकत के साथ मऊ में जुटे थे। उन्हें बीजेपी की तरफ से मऊ की कमान सौंपी गई थी।
दरअसल, उमर की गिरफ्तारी की बड़ी वजह बनी मऊ सीट। अब्बास की विधायकी जानें के बाद मऊ में उपचुनाव होने हैं। ऐसे में अंसारी परिवार की तरफ से उमर अंसारी का नाम लगभग-लगभग फाइनल हो गया है। अखिलेश यादव ने भी उमर के नाम पर मुहर लगा दी थी। उमर मऊ की गली-मोहल्लों में उछल कूद कर रहे थे। रात को चौपाल सजाते। अपने पिता की तरह मूंछ पर ताव फेरते और खुद को मऊ का दूसरा मुख्तार बताते। लेकिन उमर की यही गलती उन पर भारी पड़ गई। एक मामले में पुलिस ने उन्हें अरेस्ट कर जेल भेज दिया। इनसब के बीच मऊ पर कब्जे को लेकर सीएम योगी ने भी खास प्लान बनाया है। सीएम योगी हरहाल में मऊ में कमल का फूल खिलाना चाहते हैं। ऐसे में उन्होंने मऊ के जिला पंचायत अध्यक्ष मनोज राय को यहां की कमान सौंपी। मनोज राय जमीन पर उतरकर बीजेपी की सियासी फसल को तैयार कर रहे हैं। इसी के चलते वह बीतेदिनों सीएम योगी से मिले और जमीनी एनपुट से उन्हें अवगत कराया।
उमर की गिरफ्तारी के बाद मऊ के जिला पंचायत अध्यक्ष मनोज राय सीधे लखनऊ पहुंचे। सीएम योगी से उन्होंने मुलाकात की। इसकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं। सूत्र बताते हैं कि सीएम योगी मऊ से मनोज राय को टिकट देकर चुनाव के मैदान में उतार सकते हैं। सूत्र बताते हैं कि राय 2017 से ही मऊ में सक्रिय रहे हैं। 2022 के वह मऊ से चुनाव लड़ना चाह रहे थे पर उन्हें टिकट नहीं मिला। मनोज राय बसपा छोड़कर भाजपा में आए थे। इसके पहले कोपागंज से ब्लॉक प्रमुख पद पर निर्वाचित हुए थे, बाद में इनके भाई सर्वेश राय भी इस इस पद पर चुने गए थे। मनोज राय इसके पूर्व घोसी विधानसभा का चुनाव भी लड़ चुके हैं लेकिन वह चुनाव हार गए थे। मनोज राय छात्र राजनीति में भी सक्रिय रहे। इसके पूर्व दो बार जिला पंचायत सदस्य निर्वाचित हो चुके हैं। उनकी राजनीतिक सक्रियता को देखते हुए बीजेपी ने उन्हें मऊ से प्रत्याशी बना सकती है।
जानकार बताते हैं कि मनोज राय का मुख्तार अंसारी से 36 का आंकड़ा रहा है। मनोज राय खुलकर मुख्तार के खिलाफ आवाज बुलंद करते रहे हैं। वहीं यूपी के मंत्री ओमप्रकाश राजभर भी राय-सीएम की मुलाकात के बाद एक्शन में आ गए हैं और दिल्ली दरवार जानें की योजना बना रहे हैं। दरअसल, ओमप्रकाश राजभर ने ऐलान किया है कि मऊ सीट से उनकी पार्टी ही चुनाव लड़ेगी। ऐसी चर्चा है कि ओमप्रकाश राजभर यहां से माफिया बृजेश सिंह को टिकट देने पर मुहर लगा चुके हैं। बृजेश सिंह भी चुनावी मौसम में घर से निकलकर बयानबाजी कर रहे हैं। लेकिन सीएम योगी के दांव से बृजेश सिंह की ख्वाहिश अधूरी रह सकती है। जानकार बताते हैं कि मऊ अंसारी परिवार का अभेद गढ़ रहा है। बीते साढ़े तीन दशक से यहां मुख्तार की तूती बोलती आ रही है। दलित, मुस्लिम बाहूल्य इस सीट पर मुख्तार विधायक चुना गया। अब्बास भी 2022 में विधायक चुने गए। ऐसे में बीजेपी उपचुनाव में मुख्तार के गढ़ को ढहाने के मिशन पर जुटी है।