बहराइच। उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ बृहस्पतिवार को बहराइच पहुंचे। इस मौके पर उन्होंने एक बड़ा बयान दिया। सीएम योगी ने कहा कि महराज सुहेलदेव के पराक्रम और शौर्य की परिणति थी कि 150 वर्ष तक कोई विदेशी आक्रांता भारत पर हमला करने का दुस्साहस नही कर पाया। उन्होंने आगे कहा ‘भारत की सनातन संस्कृति का गुणगान दुनिया कर रही है। हर नागरिक का दायित्व है कि वो भी ऐसा करे। किसी आक्रांता का महिमामंडन नहीं करना चाहिए। नया भारत आक्रांताओं को स्वीकार नहीं करेगा। आक्रांता के महिमामंडन का मतलब देशद्रोह है।
किसी देशद्रोही को स्वीकार नही कर सकता
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बहराइच की तहसील मिहींपुरवा (मोतीपुर) के मुख्य भवन के उद्घाटन कार्यक्रम शिरकत की। इस दौरान उन्होंने अपने संबोधन की शुरुआत में बहराइच की पहचान को महाराजा सुहेलदेव के शौर्य के साथ जोड़ा। सीएम योगी आदित्यनाथ ने सैयद सालार मसूद गाजी का बिना नाम लिए कहा कि विदेशी आक्रांता को महाराजा सुहेलदेव ने इस बहराइच में धूल धूसरित करने का काम किया था। बहराइच ऋषि बालार्क के नाम पर था। उन्होंने कहा कि किसी भी आक्रांता का महिमामंडन करने का मतलब देशद्रोह की नींव को पुख्ता करना है। स्वतंत्र भारत किसी देशद्रोही को स्वीकार नही कर सकता, जो भारत के महापुरुषों को अपमानित करता हो।
सिर्फ घोषणा की, किया कुछ नहीं
सीएम योगी ने कहा कि बालार्क ऋषि के नाम से बहराइच की पहचान है बहराइच ऐतिहासिक भूमि है। जहां विदेशी आक्रांताओं को सबक सिखाया था। महाराजा सुहेलदेव ने बहराइच को विजय भूमि के रूप में बदल दिया था। बहराइच साधना की पवित्र धरती है लेकिन पिछली सरकार ने सिर्फ घोषणा की, किया कुछ नहीं। पिछली सरकारों ने इन धरोहरों को नहीं संवारा। वोटबैंक के चलते धरोहरों से किनारा किया।
एंटी भूमाफिया टास्क फोर्स का गठन
सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि 2017 से पहले गरीब की आवाज दबाई जाती थी। हमने अफसरों की जवाबदेही तय की, हमने राजस्व संहिता तैयार की एंटी भूमाफिया टास्क फोर्स का गठन किया। पहले भू माफिया बहराइच में हावी रहते थे। भू माफिया के खिलाफ करवाई की। सीएम ने कहा कि हम लोगों ने 33 लाख मामलों का निस्तारण करके गरीब को न्याय दिलाने का काम किया है। सरकार की कार्यवाही का परिणाम है कि ’एंटी भूमाफिया टास्क फोर्स’ के माध्यम से 64 हजार एकड़ भूमि को अवैध कब्जे से मुक्त कराने का काम भी किया गया।
बहराइच में भी हलचल बढ़ गई
बता दे, संभल के बाद सैयद सालार मसूद गाजी को लेकर बहराइच में भी हलचल बढ़ गई है। दरअसल, 1034 ईस्वी में बहराइच जिला मुख्यालय के समीप बहने वाली चित्तौरा झील के किनारे महराजा सुहेलदेव ने अपने 21 अन्य छोटे-छोटे राजाओं के साथ मिलकर सालार मसूद गाजी से युद्ध किया था और उसे युद्ध में पराजित कर मार डाला था। उसके शव को बहराइच में ही दफना दिया गया था, जहां सालाना जलसा होता है।
गाजी का जन्म 1014 ईस्वी में अजमेर में हुआ
जानकारों के मुताबिक, सैयद सालार मसूद गाजी का जन्म 1014 ईस्वी में अजमेर में हुआ था। वह विदेशी आक्रांता महमूद गजनवी का भांजा होने के साथ उसका सेनापति भी था। तलवार की धार पर अपनी विस्तारवादी सोच के साथ सालार मसूद गाजी 1030-31 के करीब अवध के इलाकों में सतरिख (बाराबंकी ) होते हुए बहराइच, श्रावस्ती पहुंचा था।