लखनऊ ऑनलाइन डेस्क। सीएम योगी आदित्यनाथ अपने मंत्रियों और विधायकों के साथ ही सूबे के आलाधिकारियों को अक्सर बेवजह बयानबाजी नहीं करने के दिशानिर्देश देते रहते हैं। लेकिन अब भी चंद ऐसे नेता और अफसरान हैं, जो अपने बयानों से सरकार और पार्टी की किरकिरी कराते रहते हैं। इन्हीं नेताओं में से एक नाम विधायक सुरेश्वर सिंह हैं, जिन्होंने बहराइच में 500 किलो विस्फोटक पदार्थ मिलने को लेकर पुलिस-प्रशासन से भिड़ गए। इतना ही नहीं सीएम योगी के दौरे को रद्द किए जानें की मांग भी कर डाली। विधायक के अलावा गोंडा से बीजेपी अध्यक्ष भी युवती के आरोप में सीएम योगी के निशाने पर आ गए और उन पर गाज गिरा दी गई।
दरअसल, सीएम योगी आदित्यनाथ बहराइच दौरे पर थे। उनके दौरे से ठीक पहले एक गांव में 500 किलो विस्फोटक पदार्थ मिला। जानकारी होने पर विधायक सुरेश्वर सिंह लाव-लश्कर के साथ मौके पर पहुंच गए और हल्लाबोल दिया। विधायक का आरोप था कि ये बारूद बांग्लादेशी लेकर आए हैं। वह सीएम योगी की सभा में विस्फोट करना चाहते हैं। विधायक ने सीएम योगी के दौरे को रद्द किए जानें की मांग भी कर डाली। जिला प्रशासन ने विधायक को बारूद के बारे में सही जानकारी दी। पर विधायक नहीं मानें तो जमकर बवाल काटा। पुलिस को सख्ती दिखानी पड़ी और विधायक के 30 से अधिक समर्थकों को हिरासत में लेना पड़ा।
जब मामले की जानकारी सीएम योगी आदित्यनाथ को हुई तो उन्होंने सार्वजनिक मंच से विधायक को कम बोलने की हिदायत दी है.। सीएम योगी ने कहा कि विधायक जी हवा-हवाई बातें न किया करें। अफवाह फैलाने से पहले उसकी सच्चाई जान लिया करें। सीएम योगी की फटकार के बाद विधायक जी की सिट्टी-बिट्टी गुम हो गई। अब सोशल मीडिया पर लोग बीजेपी विधायक के बारे में लिखकर तंज कस रहे हैं। एक यूजर्स ने लिखा कि महाराज जी की जय हो। जिस तरह से उन्होंने विधायक जी को ठोका, इसके बाद अब दूसरे नेता जी कम बोलेंगे। अफवाह नहीं फैलाएंगे और बयानबाज बनने से कतराएंगे।
सीएम योगी की फटकार के बाद लोग सोशल मीडिया पर बीजेपी विधायक सुरेश्वर सिंह के बारे में सर्च कर रहे हैं। ऐसे में चलिए हम आपको बताते हैं सुरेश्वर सिंह के बारे में। सुरेश्वर सिंह को बहराइच जिले की महसी विधानसभा सीट से भाजपा के विधायक हैं। वे एक अनुभवी राजनेता हैं और क्षेत्र में अपने बेबाक बयानों के लिए जाने जाते हैं। 60 वर्षीया सुरेश्वर सिंह 2017 में महसी विधानसभा से विधायक बने और 2022 में फिर जीतकर विधानसभा पहुंचे। सुरेश्वर सिंह अपने बयानों और स्थानीय मुद्दों पर मुखर रुख के लिए चर्चा में रहते हैं। वे बहराइच में हिंदूवादी और सामाजिक मुद्दों पर खुलकर बोलते हैं, जिससे वे अक्सर सुर्खियों में रहते हैं।
सुरेश्वर सिंह का नाम पहले भी कई विवादों से जुड़ चुका है। अक्टूबर 2024 में बहराइच में सांप्रदायिक तनाव के दौरान उन्होंने कुछ भाजपा कार्यकर्ताओं को दंगाई बताते हुए उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी, जिस पर समाजवादी पार्टी ने योगी सरकार पर निशाना साधा था। इसके अलावा, 2020 में बलिया गोलीकांड में मुख्य आरोपी के समर्थन में खुलकर सामने आने पर उनकी आलोचना हुई थी। इस घटना में भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी करने के निर्देश दिए थे। इसके अलावा विधायक को पार्टी की तरफ से कईबार बयानबाजी नहीं करने को लेकर दिशानिर्देश भी जारी किए गए।
सुरेश्वर सिंह ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत स्थानीय स्तर पर सामाजिक कार्यों से की थी। वे बहराइच में राजपूत समुदाय के बीच मजबूत पकड़ रखते हैं। 2017 में योगी सरकार के सत्ता में आने के बाद से वे महसी में भाजपा के प्रमुख चेहरों में से एक हैं। हालांकि, उनके बयानों ने कई बार पार्टी को असहज स्थिति में डाला है। फिर भी, वे स्थानीय स्तर पर लोकप्रिय हैं और क्षेत्र के मुद्दों को उठाने में मुखर रहते हैं। जब बहराइच पर भेड़िया लोगों को मार रहा था, तब बीजेपी विधायक की बंदूक के साथ एक फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हुई थी। विधायक ग्रामीणों के साथ जंगल में कईदिनों तक ढेरा जमाए रहे थे।
वहीं, अब बात करें उस नेता की, जिस पर निष्कासन की गाज गिरी तो वह हैं गोंडा के जिला अध्यक्ष अमर किशोर कश्यप् हैं। बीजेपी ने उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया है। बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी के निर्देश पर गोंडा के जिला अध्यक्ष को पार्टी ने सस्पेंड किया। दरअसल, अमर किशोर कश्यप का महिला के साथ आपत्तिजनक वीडियो सामने आया था। वह पार्टी के दफ्तर में ही एक महिला कार्यकर्ता के साथ आपत्तिजनक हालत में नजर आए थे। इसका वीडियो खूब वायरल हुआ। वीडियो जब दुनिया के सामने आया तो भाजपा जिलाध्यक्ष ने सफाई देते हुए कहा कि वह तो महिला कार्यकर्ता को सहारा दे रहे थे।
बीजेपी जिलाध्यक्ष ने अपनी सफाई में कहा कि महिला बीजेपी कार्यकर्ता की तबीयत खराब होने का उन्हें पता चला था तो वह उसको बस स्टैंड से लेकर भाजपा कार्यालय पहुंचे थे। यहां उसकी तबियत और खराब होने लगी और वह बेहोश होकर गिरने लगी। इसलिए बचाने के लिए उसे सहारा देना पड़ा। अगर सहारा देना गलत है तो हां मैंने गलत किया है। बीजेपी जिलाध्यक्ष को कारण बताओ नोटिस जारी कर 7 दिन की मोहलत देते हुए जवाब देने को कहा गया था। वह नोटिस पर स्पष्टीकरण नहीं दे सके और निष्कासन की कार्रवाई कर दी गई। बीजेपी प्रदेश महामंत्री गोबिंद नारायण शुक्ला ने उनका सस्पेंशन लैटर जारी किया। इस तरह 24 घंटे के भीतर भाजपा ने अपने दो नेताओं पर यह एक्शन लिया।